नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लेटरल एंट्री से सरकारी नियुक्तियां करने का केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विरोध किया है। चिराग पासवान ने कहा है कि सरकारी नियुक्तियों से संबंधित किसी भी ऐसे फैसले में आरक्षण की नीति का पालन किया जाना चाहिए। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भाजपा की प्रमुख सहयोगी है। चिराग ने कहा है कि वह इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे।
एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद इस फैसले को "पूरी तरह से गलत" बताते हुए पासवान ने कहा कि वह और उनकी पार्टी इस फैसले के पक्ष में नहीं हैं। चिराग पासवान ने कहा कि ऐसी नियुक्तियों पर मेरी पार्टी का रुख बिल्कुल साफ है। जहां भी सरकारी नियुक्तियां होती हैं, वहां आरक्षण के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए।
लेटरल एंट्री पर चिराग ने कहा कि जिस तरह से यह जानकारी सामने आई है, वह मेरे लिए भी चिंता का विषय है क्योंकि मैं इस सरकार का हिस्सा हूं और इन मुद्दों को उठाने के लिए मेरे पास मंच है। हम इसके बिल्कुल पक्ष में नहीं हैं। यह पूरी तरह से गलत है और मैं इस मामले को सरकार के समक्ष उठाऊंगा।
चिराग पासवान एनडीए से केंद्र सरकार की लेटरल एंट्री योजना की आलोचना करने वाले पहले नेता हैं। चिराग पासवान की टिप्पणी पर भाजपा नेता गुरु प्रकाश पासवान ने भी प्रतिक्रिया दी है। प्रकाश पासवान ने चिराग से सरकार पर भरोसा रखने को कहा है।
इससे पहले विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केंद्र के फैसले की आलोचना करते हुए इसे "राष्ट्र-विरोधी" बताया था। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने आरोप लगाया है कि यह भाजपा द्वारा पिछले दरवाजे से अपने वैचारिक सहयोगियों को उच्च पदों पर नियुक्त करने की "साजिश" है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती करके एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणियों का आरक्षण छीना जा रहा है। यह यूपीएससी की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के अधिकारों की लूट है और वंचितों के लिए आरक्षण सहित सामाजिक न्याय की अवधारणा पर हमला है।