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नशीले पदार्थों की तस्करी के मार्ग में बदलाव, खतरे का सामना कर रहे भारत-बांग्लादेश : रिपोर्ट

By भाषा | Updated: July 1, 2021 18:00 IST

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(जयंत भट्टाचार्य)

अगरतला, एक जुलाई पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश मादक पदार्थ की तस्करी के नए खतरे का सामना कर रहे हैं क्योंकि तस्करों ने नशीले पदार्थ याबा टैबलेट की तस्करी के लिए अपने रास्ते बदल लिए हैं और इस्लामिक छात्र संगठनों की भी इसमें संलिप्तता पायी गयी है। सुरक्षा और खुफिया संगठनों द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है।

बांग्लादेश के सुरक्षा बलों के म्यांमा से मादक पदार्थों की तस्करी के पारंपरिक मार्ग पर अभियान चलाए जाने के कारण याबा टैबलेट म्यांमा से त्रिपुरा, मिजोरम और असम होते हुए बांग्लादेश पहुंचाए जा रहे हैं। बांग्लादेश में दबाव का सामना कर रहे इस्लामिक छात्र संगठन तस्करी से जुड़े हैं और सुरक्षा बलों को आशंका है कि तस्करी से अर्जित धन को वे आतंकी गतिविधियों में लगा सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तैयार एक रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश-म्यांमा सीमा पर कार्रवाई के कारण मादक पदार्थ के गिरोह अब भारत-बांग्लादेश सीमा का इस्तेमाल कर रहे हैं। म्यांमा से तस्करी कर लाए ला जा रहे मादक पदाथों की खेप अब मणिपुर और वहां से सिल्चर और त्रिपुरा होते हुए बांग्लादेश पहुंच रही है।

याबा टैबलेट और अन्य मादक पदार्थों की तस्करी के लिए म्यांमा-मिजोरम-धर्मनगर-सोनापुरा-बांग्लादेश मार्ग का भी इस्तेमाल हो रहा है। पार्टी के दौरान नशा करने के लिए इस टैबलेट का दुरुपयोग होता है।

हाल की खुफिया सूचनाओं के अनुसार संकेत मिले हैं कि कैलाशहर में तस्करी और राज्य में याबा टैबलेट पहुंचाने में इस्लामिक छात्र संगठन की संलिप्तता थी। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, कैलाशहर में खुबजार मस्जिद के आसपास इनकी गतिविधियां पायी गयी। कैलाशहर, उनाकोटी का जिला मुख्यालय है और बांग्लादेश की सीमा से लगा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा एजेंसियां देश विरोधी गतिविधियों के वित्तपोषण के साथ इनके जुड़ाव की जांच कर रही हैं। एजेंसियों ने फरवरी के महीने में असम-त्रिपुरा सीमा के पास एक इस्लामिक धार्मिक उत्सव के दौरान याबा टैबलेट के बड़े तस्कर दिवंगत सैफुल करीम के एक प्रमुख सहयोगी की उपस्थिति की भी बात कही है।

सूत्रों ने बताया, कि याबा टैबलेट के लिए लक्षित बाजार अब भी बांग्लादेश बना हुआ है, वहीं याबा और ब्राउन शुगर जैसी अन्य नशीली दवाओं की पूर्वोत्तर भारत में खुदरा बिक्री के अलावा, इन्हें देश के बाकी इलाके में भी भेजा जा रहा हैं। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्ग में बदलाव और कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) त्रिपुरा फ्रंटियर खतरे से निपटने के लिए कदम उठा रहा है और वह 2021 में 25 जून तक भारी मात्रा में गांजा, याबा टैबलेट और अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं को जब्त करने में कामयाब रहा। बीएसएफ त्रिपुरा फ्रंटियर ने इस वर्ष 25 जून तक 5,907.85 किलोग्राम गांजा, 34,674 याबा टैबलेट, फेंसडिल की 23,105 बोतलें, शराब की 2,883 बोतलें और भारी मात्रा में नशीली दवाएं जब्त की और गांजा के 8,65,839 पौधे नष्ट किए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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