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चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अब निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका, चंद्रयान-3 लैंडिंग मिशन के लिए संचार आधार बनेगा

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: August 18, 2023 14:30 IST

चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद अब यह 23 अगस्त को द्रमा पर उतरने का प्रयास करेगा। यहीं से चंद्रयान-2 ऑर्बिटर की भूमिका भी शुरू हो जाएगी। अब चंद्रयान-3 लैंडर को संचार के लिए चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से जोड़ा जाएगा।

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ठळक मुद्देचंद्रयान-2 का ऑर्बिटर 2019 से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा हैअब यह चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर को चंद्रमा की सतह पर उतरने में मदद करेगालैंडर प्रज्ञान के धरती पर इसरो से संचार का आधार भी बनेगा

Chandrayaan-3 landing mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा साल 2019 में भेजा गया  चंद्रयान-2 मिशन पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया था। इसका लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग में असफल रहा था। लेकिन चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर 2019 से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। अब यह चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर को चंद्रमा की सतह पर उतरने में न सिर्फ मदद करेगा बल्कि लैंडर प्रज्ञान के धरती पर इसरो से संचार का आधार भी बनेगा।

चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद अब यह 23 अगस्त को द्रमा पर उतरने का प्रयास करेगा। यहीं से चंद्रयान-2 ऑर्बिटर की भूमिका भी शुरू हो जाएगी। अब चंद्रयान-3 लैंडर को  संचार के लिए चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से जोड़ा जाएगा।

सितंबर 2019 में इसरो के असफल चंद्रयान-2 लैंडिंग मिशन का ऑर्बिटर चंद्रयान-3 मिशन में एक महत्वपूर्ण घटक है। चंद्रयान-2 मिशन के लगभग चार साल बीत जाने के बावजूद 2019 से ही ऑर्बिटर अंतरिक्ष में प्रभावी ढंग से काम करना जारी रखे हुए है। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने पहले ही चंद्रयान-3 लैंडर के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित लैंडिंग स्थान की पहचान करने में भूमिका निभाई है। अब यह लैंडर और पृथ्वी के बीच सभी संचार में भी केंद्रीय भूमिका निभाएगा। 

बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन में चंद्रमा पर उतरने की प्रक्रिया शुक्रवार को लैंडर पर लगे इंजनों की एक छोटी सी फायरिंग के साथ शुरू होगी ताकि लैंडर को धीमा (डीबूस्ट) किया जा सके। पृथ्वी स्टेशनों के साथ चंद्रयान -3 मिशन के संचार नेटवर्क को इस तरह से कॉन्फ़िगर किया गया है कि लैंडर पुराने चंद्रयान -2 ऑर्बिटर को डेटा भेजेगा जो  इसे इसरो और सहयोगी एजेंसियों के ग्राउंड स्टेशनों पर रिले करेगा। हालांकि चंद्रयान-3 लैंडर में पृथ्वी से सीधे संचार करने की क्षमता भी है।

इस बारे में जानकारी देते हुए इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने 9 अगस्त को एक सार्वजनिक बातचीत में बताया था कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर बहुत अच्छे से काम कर रहा है और यह चंद्रयान-3 लैंडर के साथ संचार करेगा। यह सिग्नल ग्राउंड स्टेशन तक पहुंच जाएगा। इसरो अध्यक्ष ने कहा था, "मान लीजिए कि किसी कारण से अगर चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ठीक से काम नहीं कर रहा है तो चंद्रयान-3 लैंडर सीधे पृथ्वी से संपर्क करेगा। रोवर का (जो सुरक्षित और नरम लैंडिंग के बाद छोड़ा जाएगा) संचार केवल लैंडर के साथ है और लैंडर ऑर्बिटर या पृथ्वी स्टेशनों के साथ संचार करेगा।"

सोमनाथ ने चंद्रयान -3 लैंडर के लिए संचार कॉन्फ़िगरेशन के बारे में बताया कि रेडियो फ़्रीक्वेंसी लिंक बहुत महत्वपूर्ण हैं। जिस तरह से हम चंद्रमा से पृथ्वी तक संचार करते हैं वह ग्राउंड स्टेशनों के माध्यम से होता है। हमारे पास 32 मीटर एंटीना और 18 मीटर एंटीना वाला गहन अंतरिक्ष नेटवर्क (बेंगलुरु के बाहर) है। हम अमेरिका और यूरोप के जेपीएल और ईएसए के साथ भी जुड़े हुए हैं।

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