नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू हो रहा है। सत्र शुरू होने से पहले केंद्र सरकार ने बुधवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई। सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। अब सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि सरकार मानसून सत्र के दौरान मणिपुर में जारी जातीय हिंसा पर चर्चा के लिए तैयार हो गई है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मणिपुर मामले को लेकर केंद्र सरकार पर पहले से ही हमलावर हैं। माना जा रहा है कि मानसून सत्र हंगामेदार रह सकता है। सरकार को भी इस बात का पूरा अंदाजा है। इस सत्र में विपक्ष न सिर्फ मणिपुर बल्कि मंहगाई, केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग और दिल्ली सेवा अध्यादेश को लेकर केंद्र सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
11 अगस्त तक चलने वाले सत्र में कुल 17 दिन कामकाज होगा। मणिपुर हिंसा, रेल सुरक्षा, महंगाई और अडानी मामले जैसे मुद्दों से निपटने के बीच केंद्र सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती दिल्ली सेवा अध्यादेश को संसद के दोनों सदनों में पास कराना है। लोकसभा में तो सरकार के सामने कोई चुनौती नहीं है लेकिन अगर राज्यसभा में विपक्ष एकजुट हो गया तो मोदी सरकार की चुनौतियां बढ़ जाएंगी।
इसे लेकर आम आदमी पार्टी के रुख का समर्थन करते हुए कांग्रेस पहले ही विरोध करने की बात कर चुकी है। केजरीवाल के साथ-साथ कांग्रेस भी दिल्ली सेवा अध्यादेश को भारत के संघीय ढांचे पर हमला बता रही है।
वहीं मणिपुर को लेकर भी मुसीबतें कम नहीं हैं। तीन मई से शुरु हुई हिंसा की आग खत्म होती नहीं दिख रही है। अब भी राज्य के बड़े हिस्से में कर्फ्यू लागू है। पूरा मणिपुर दो हिस्सों में बंट चुका है। हालात ये हैं कि कुकी बहुल पर्वतीय हिस्सों में मैतेई और मैतेई बहुल मैदानी हिस्सों में कुकी लोगों का आना जाना भी बंद है। सरकारी कर्मचारी भी अपने इलाके में ही हाजिरी लगा रहे हैं। कांग्रेस पहले ही इसके लिए बीजेपी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बता चुकी है। मानसून सत्र में कांग्रेस के तेवर और तीखे हो सकते हैं।