Wakf Amendment Act: केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दायर किया है। केंद्र ने अपने जवाब में कहा गया कि यह कानून स्थापित प्रथाओं के अनुरूप है और विधायी शक्ति का एक वैध प्रयोग है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि याचिकाएं इस गलत धारणा पर आधारित हैं कि संशोधन मौलिक धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक सप्ताह के भीतर याचिकाओं का जवाब देने के लिए कहा था, जबकि याचिकाकर्ताओं को इसके बाद पांच दिनों के भीतर अपना प्रत्युत्तर देने की अनुमति दी थी।
10 पॉइंट में समझे कोर्ट रूम की पूरी बात
1- केंद्र ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम विधायी शक्ति का एक वैध और वैध प्रयोग है। हलफनामे में कहा गया है कि संवैधानिकता की धारणा संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर लागू होती है।
2- केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ परिषद और औकाफ बोर्डों में 22 सदस्यों में अधिकतम दो गैर-मुस्लिम होंगे केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि संसद ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र में काम किया कि वक्फ जैसे धार्मिक बंदोबस्त का प्रबंधन उसमें दिखाए गए भरोसे को कायम रखते हुए किया जाए।
3- हलफनामे में आगे कहा गया है कि प्रतिकूल परिणामों से अवगत हुए बिना अधिनियम के कई प्रावधानों पर पूरी तरह रोक लगाना तब अनुचित था जब उनकी वैधता की धारणा थी।
4- हलफनामे में केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि दलीलें गलत आधार पर आगे बढ़ती हैं कि संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीन लेते हैं।
5- केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि दलीलें गलत आधार पर आगे बढ़ती हैं कि संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीन लेते हैं।
6- केंद्र ने कहा कि वक्फ कानून की वैधता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का प्रयास न्यायिक समीक्षा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। केंद्र ने कहा कि निजी, सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने के लिए प्रावधानों का दुरुपयोग किया गया है।
7- सरकार ने 1,332 पृष्ठ के प्रारंभिक जवाबी हलफनामे में विवादास्पद कानून का बचाव करते हुए कहा कि "चौंकाने वाली बात" है कि 2013 के बाद वक्फ भूमि में 20,92,072.536 हेक्टेयर (20 लाख हेक्टेयर से ज्यादा) की वृद्धि हुई। हलफनामे में कहा गया है, "मुगल काल से पहले, स्वतंत्रता से पूर्व और स्वतंत्रता के बाद के दौर में भारत में कुल 18,29,163.896 एकड़ भूमि वक्फ की गई।"
8- हलफनामे में निजी और सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने के लिए पहले के प्रावधानों के "दुरुपयोग" का आरोप लगाया गया। यह हलफनामा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव शेरशा सी शेख मोहिद्दीन ने दायर किया। हलफनामे मे कहा गया है, "कानून में यह स्थापित स्थिति है कि संवैधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगी। संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर संवैधानिकता की धारणा लागू होती है।"
9- केंद्र सरकार ने कहा, "न्यायालय याचिकाओं की सुनवाई के दौरान इन पहलुओं की समीक्षा करे, लेकिन आदेश के प्रतिकूल परिणामों के बारे में जाने बिना पूरी तरह से रोक (या आंशिक रोक) लगाना अनुचित होगा।"
10- हलफनामे में कहा गया है, "संसद ने अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कार्य करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि वक्फ जैसी धार्मिक संस्थाओं का प्रबंधन इस प्रकार से किया जाए कि उनमें आस्था रखने वालों का और समाज का विश्वास कायम रहे तथा धार्मिक स्वायत्तता का हनन न हो।"