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न्यायाधिकरणों में नियुक्तियां नहीं करके केंद्र इन्हें कमजोर कर रहा है: न्यायालय

By भाषा | Updated: September 6, 2021 18:04 IST

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नयी दिल्ली, छह सितंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि न्यायाधिकरणों में अधिकारियों की नियुक्ति नहीं करके केंद्र इन अर्द्ध न्यायिक संस्थाओं को ‘शक्तिहीन’ कर रहा है और उसके धैर्य की परीक्षा ले रहा है। न्यायालय ने कहा कि न्यायाधिकरण पीठासीन अधिकारियों, न्यायिक सदस्यों एवं तकनीकी सदस्यों की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं। न्यायालय ने केन्द्र से कहा कि इस मामले में 13 सितंबर तक कार्रवाई की जाए।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि वह केंद्र सरकार के साथ किसी तरह का टकराव नहीं चाहती। उसने केंद्र से कहा कि अगले सोमवार से पहले न्यायाधिकरणों में कुछ नियुक्तियां की जाएं।

कई महत्वपूर्ण न्यायाधिकरणों और राष्ट्रीय कंपनी लॉ न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), ऋण वसूली न्यायाधीकरण (डीआरटी), दूरसंचार विवाद समाधान एवं अपील अधिकरण (टीडीएसएटी) जैसे अपीलीय न्यायाधिकरणों में करीब 250 पद रिक्त हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘नियुक्तियां नहीं करके आप न्यायाधिकरणों को कमजोर कर रहे हैं।’’

सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से अनुरोध किया कि अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल निजी कारणों से आ नहीं सके हैं, इसलिए सुनवाई स्थगित की जाए।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘नहीं, माफ कीजिए। पिछली बार हमने बहुत साफ कर दिया था। हमने दो नियमित पीठों के कामकाज को प्रभावित करके दो वरिष्ठ न्यायाधीशों की विशेष पीठ बनाई है। उन्होंने पहले इन मामलों पर सुनवाई की थी और विस्तृत फैसले सुनाये थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस अदालत के फैसलों का कोई सम्मान नहीं है। ऐसा हमें लग रहा है। आप हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। पिछली बार, आपने बयान दिया था कि कुछ लोगों की नियुक्ति की गयी है। उन्हें कहां नियुक्त किया गया है?’’

मेहता ने कहा कि ये नियुक्तियां केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरणों में की गयीं। उन्होंने नये न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम और इसके तहत बनाये गये नियमों पर वित्त मंत्रालय से प्राप्त जानकारी साझा की।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार सुनिश्चित करेगी कि अगले दो सप्ताह में सभी न्यायाधिकरणों में नियुक्तियों पर फैसला हो।’’

न्यायालय ने दलीलों पर गौर किया और न्यायाधिकरणों में रिक्तियों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई को 13 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि तब तक नियुक्तियां कर दी जाएंगी।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि आप इस अदालत के फैसलों का सम्मान नहीं करना चाहते। अब हमारे पास तीन विकल्प हैं, पहला तो आपने जो भी कानून बनाया है, उस पर रोक लगा दें और आपको नियुक्तियां करने का निर्देश दें, या इन न्यायाधिकरणों को बंद करके उच्च न्यायालयों को इन मामलों को देखने का अधिकार दें, तीसरा विकल्प है कि हम खुद लोगों की नियुक्तियां करें। हम अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने पर विचार कर सकते हैं।’’

न्यायालय ने कहा, ‘‘हम सरकार के साथ टकराव नहीं चाहते हैं और उच्चतम न्यायालय में जिस तरह से नौ न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई है, हम उससे प्रसन्न हैं। पूरी कानूनी बिरादरी ने इसकी सराहना की है। ये न्यायाधिकरण सदस्यों या अध्यक्ष के अभाव में समाप्त हो रहे हैं। आप हमें अपनी वैकल्पिक योजनाओं के बारे में सूचित करें।’’

मेहता ने कहा कि सरकार भी किसी तरह का टकराव नहीं चाहती है।

न्यायालय ने न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम, 2021 के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिका समेत कई नई याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किए। यह कानून संसद के मानसून सत्र के दौरान पारित हुआ था और इसे राष्ट्रपति ने 13 अगस्त को मंजूरी दी थी।

पीठ ने कहा कि इन न्यायाधिकरणों में पीठासीन अधिकारी या अध्यक्ष के 19 पद रिक्त हैं। इसके अलावा न्यायिक और तकनीकी अधिकारियों के क्रमश: 110 और 111 पद भी रिक्त पड़े हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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