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केंद्र ने मणिपुर हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया, गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश होंगे अध्यक्ष

By भाषा | Updated: June 4, 2023 19:25 IST

केंद्र ने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा की जांच के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में रविवार को एक जांच आयोग का गठन किया। आयोग के अन्य सदस्य भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी हिमांशु शेखर दास और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी आलोक प्रभाकर हैं।

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ठळक मुद्देमणिपुर में हुई हिंसा की जांच के लिए आयोग का गठन किया गयाकेंद्रीय गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचनागुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन

नई दिल्ली: केंद्र ने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा की जांच के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में रविवार को एक जांच आयोग का गठन किया। राज्य में हिंसा में 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, आयोग तीन मई को और उसके बाद मणिपुर में विभिन्न समुदायों के सदस्यों की लक्षित हिंसा और दंगों के कारणों तथा प्रसार के संबंध में जांच करेगा। यह आयोग उन घटनाओं की कड़ी और ऐसी हिंसा से जुड़े सभी पहलुओं की जांच करेगा।

यह भी देखा जाएगा कि क्या किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों/लोगों की ओर से इस संबंध में कोई चूक या कर्तव्य में लापरवाही हुई? जांच में हिंसा और दंगों को रोकने तथा इससे निपटने के लिए किए गए प्रशासनिक उपायों पर भी गौर किया जाएगा। अधिसूचना के अनुसार आयोग द्वारा उसके समक्ष किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा दी जाने वाली शिकायतों पर भी गौर किया जाएगा। आयोग जितनी जल्दी हो सके केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा, लेकिन अपनी पहली बैठक की तारीख से छह महीने के भीतर यह हो जाना चाहिए। 

अधिसूचना में कहा गया है आयोग अगर उचित समझे, तो उक्त तिथि से पहले केंद्र सरकार को अंतरिम रिपोर्ट दे सकता है। अधिसूचना के मुताबिक आयोग के अन्य सदस्य भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी हिमांशु शेखर दास और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी आलोक प्रभाकर हैं। तीन मई को जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से ही मणिपुर में छिटपुट हिंसा देखी गई है। अधिकारियों ने कहा कि झड़पों में मरने वालों की संख्या 80 से अधिक हो गई है। मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी।

इस बीच मणिपुरी नागरिक संस्थाओं और छात्र संगठनों ने रविवार, 4 जून को दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया और मांग की कि सरकार राज्य में म्यांमार से ‘‘अवैध प्रवासियों’’ के आने पर रोक लगाए।  नागरिक संस्थाओं और छात्र संगठनों के समूह मणिपुर को ऑर्डिनेटिंग कमेटी, दिल्ली द्वारा आयोजित रैली में राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले राज्य के लोगों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। सदस्यों ने कहा कि सरकार को म्यांमा से आए कुकी ‘‘उग्रवादियों’’ की हिंसा पर भी लगाम लगाना चाहिए। 

टॅग्स :मणिपुरअमित शाहGuwahatiहाई कोर्ट
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