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कैग रिपोर्ट में खुलासाः 10 साल में भी नेवी ने पूरा नहीं किया 16,000 करोड़ रुपये का सौदा, जानिए कारण

By भाषा | Updated: September 24, 2020 14:16 IST

संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कैग ने एलपीडी की कमी से जूझने के बावजूद इस अनुबंध को पूरा नहीं कर पाने को लेकर नौसेना की आलोचना की है।

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ठळक मुद्दे16,000 करोड़ रुपये के अनुबंध को पूरा करने में नौसेना के विफल रहने पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कड़ा ऐतराज किया है।सैनिकों तथा टैंकों, हेलीकॉप्टरों एवं अन्य युद्धास्त्रों को समुद्री मार्ग से युद्धक्षेत्र में ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।एलपीडी की वर्तमान क्षमता जल-थल अभियानों के लिहाज से अपर्याप्त पायी गयी।

नई दिल्लीः जल और थल में चल सकने वाले जंगी जहाजों के बेड़े को खरीदने का फैसला 2010 में होने के बाद भी 16,000 करोड़ रुपये के अनुबंध को पूरा करने में नौसेना के विफल रहने पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कड़ा ऐतराज किया है।

नौसेना ने चार लैंडिंग प्लेटफार्म डॉक (एलपीडी) खरीदने की योजना बनायी थी जिनका इस्तेमाल सैनिकों तथा टैंकों, हेलीकॉप्टरों एवं अन्य युद्धास्त्रों को समुद्री मार्ग से युद्धक्षेत्र में ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बुधवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कैग ने एलपीडी की कमी से जूझने के बावजूद इस अनुबंध को पूरा नहीं कर पाने को लेकर नौसेना की आलोचना की है।

कैग ने कहा, ‘‘ एलपीडी की वर्तमान क्षमता जल-थल अभियानों के लिहाज से अपर्याप्त पायी गयी। भारतीय नौसेना ने इसलिए अक्टूबर, 2010 में 16,000 करोड़ रूपये की कीमत से अहम जंगी जहाज को खरीदने का निर्णय लिया था।’’ उसने कहा, ‘‘लेकिन नौ साल गुजर जाने के बाद भी यह अनुबंध पूरा नहीं किया गया।’’

रेलवे ने पूर्ण विद्युतीकरण लक्ष्य के बावजूद इलेक्ट्रिक इंजनों की जरूरत का आकलन नहीं किया : कैग

नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने बुधवार को कहा कि 2022 तक शत-प्रतिशत विद्युतीकरण हासिल करने के लक्ष्य के बावजूद रेलवे इलेक्ट्रिक इंजनों की जरूरतों का आकलन करने में विफल रहा जिसके परिणामस्वरूप 2012-18 के दौरान डीजल के इंजन 20 फीसद बढ़ गये और इसने रखरखाव की गुणवत्ता को काफी प्रभावित किया। ‘भारतीय रेलवे में इंजनों एवं उसके उत्पादन के मूल्यांकन एवं उपयोगिता तथा एलएचबी डिब्बों के रखरखाव’ विषय पर कैग की ऑडिट रिपोर्ट बुधवार को संसद के दोनों सदनों में रखी गयी।

कैग ने कहा कि इंजनों की जरूरत का आकलन करते समय इलेक्ट्रिक इंजनों की जरूरत और साथ ही डीजल इंजनों के उपयोग में कमी पर उचित तरीके से विचार नहीं किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ विद्युतीकरण और कार्बन की मात्रा कम करने के मिशन में रेलवे ने (सितंबर, 2017) 2022 तक भारतीय रेलवे का शतप्रतिशत विद्युतीकरण का निर्देश जारी किया था । रेलवे बोर्ड ने 2012-19 के दौरान इंजनों की जरूरतों का आकलन करते समय रेलवे में विद्युतीकरण की बढ़ती दर की उपयुक्त ढंग से समीक्षा नहीं की।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘ इंजनों की जरूरत का आकलन करते समय इलेक्ट्रिक इंजनों की जरूरत में वृद्धि और साथ ही डीजल इंजनों के उपयोग में कमी पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया।’’ कैग ने कहा कि रेलवे बोर्ड द्वारा इंजनों की जरूरत के लिए अपनाया गया मापदंड पिछले साल के वास्तविक उत्पादन पर आधारित था।

उसने कहा, ‘‘ इंजनों की आवश्यकता वास्तविक जरूरत के आधार पर तय नहीं की गयीं तथा विशिष्ट रूप से निर्धारित मापदंड के आधार पर इंजनों की जरूरतों के आकलन के लिए कोई तय व्यवस्था नहीं है। इससे जरूरत से ज्यादा डीजल इंजन प्रणाली में आ गये। असल में, भारतीय रेलवे में डीजल इंजन 2012-18 के दौरान 20 फीसद बढ़ गये। 

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