CAG report: 75 प्रतिशत सरकारी स्कूलों के शौचालयों का रखरखाव स्वच्छतापूर्वक नहीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 24, 2020 14:42 IST2020-09-24T14:42:56+5:302020-09-24T14:42:56+5:30

‘‘सर्वेक्षण के दौरान, लेखा परीक्षा में देखा गया कि 2,326 शौचालयों में से 1,812 शौचालयों में उचित रखरखाव/स्वच्छता का अभाव था। वहीं 1,812 शौचालयों में से 715 शौचालय साफ नहीं किये गए थे। 1,097 शौचालय हफ्ते में दो बार से महीने में एक बार के बीच साफ किये जा रहे थे।’’

CAG report 75 percent government schools toilets not maintained hygienically | CAG report: 75 प्रतिशत सरकारी स्कूलों के शौचालयों का रखरखाव स्वच्छतापूर्वक नहीं

शौचालयों में साबुन, बाल्टी, सफाई एजेंटों तथा कीटनाशकों की अनुपलब्धता तथा प्रवेश मार्ग की अपर्याप्त सफाई के मामले भी देखे गए।

Highlightsलेखा परीक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत सरकारी स्कूलों के शौचालयों का रखरखाव स्वच्छतापूर्वक नहीं किया जा रहा था।रिपोर्ट में कैग ने कहा, ‘अत: चयनित 75 प्रतिशत शौचालयों का रखरखाव स्वच्छतापूर्वक नहीं किया जा रहा था।’ शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2014 में स्वच्छ विद्यालय अभियान शुरू किया था जिसका मकसद एक वर्ष के भीतर लड़कों एवं लड़कियों के लिये पृथक शौचालय स्थापित करना था।

नई दिल्लीः नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा 15 राज्यों में लेखा परीक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत सरकारी स्कूलों के शौचालयों का रखरखाव स्वच्छतापूर्वक नहीं किया जा रहा था।

संसद में पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘‘सर्वेक्षण के दौरान, लेखा परीक्षा में देखा गया कि 2,326 शौचालयों में से 1,812 शौचालयों में उचित रखरखाव/स्वच्छता का अभाव था। वहीं 1,812 शौचालयों में से 715 शौचालय साफ नहीं किये गए थे। 1,097 शौचालय हफ्ते में दो बार से महीने में एक बार के बीच साफ किये जा रहे थे।’’

रिपोर्ट के अनुसार, मानक प्रतिदिन कम से कम एक बार साफ करने का है। रिपोर्ट में कैग ने कहा, ‘अत: चयनित 75 प्रतिशत शौचालयों का रखरखाव स्वच्छतापूर्वक नहीं किया जा रहा था।’ कैग के अनुसार, शौचालयों में साबुन, बाल्टी, सफाई एजेंटों तथा कीटनाशकों की अनुपलब्धता तथा प्रवेश मार्ग की अपर्याप्त सफाई के मामले भी देखे गए। गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2014 में स्वच्छ विद्यालय अभियान शुरू किया था जिसका मकसद एक वर्ष के भीतर लड़कों एवं लड़कियों के लिये पृथक शौचालय स्थापित करना था। 

कैग ने 2013-18 के दौरान लाभ घटने को लेकर जम्मू कश्मीर बैंक की कार्यप्रणाली की आलोचना की

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने जम्मू कश्मीर बैंक (जेएंडके बैंक) में कंपनी संचालन की खामियां गिनाते हुए कहा कि 2013-18 के दौरान गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) बढ़ने से उसका लाभ काफी कम हो गया। बैंक को 2012-13 में 1,182.47 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था, जो कम होकर 2017-18 में महज 202.72 करोड़ रुपये रह गया।

कैग ने बुधवार को संसद में पेश की गयी रिपोर्ट में कहा कि बैंक ने कंपनी संचालन से संबंधित सेबी नियमन और कंपनी अधिनियम 2013 के कुछ प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘जेएंडके बैंक द्वारा अर्जित लाभ 2013-14 के दौरान 1,182.47 करोड़ रुपये से घटकर 2017-18 में 202.72 करोड़ रुपये रह गया, जो मुख्य रूप से बैंक के सकल एनपीए के 31 मार्च 2013 के 643.77 करोड़ रुपये से बढ़कर 31 मार्च 2018 को 6,006.70 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने के कारण है।’’

रिपोर्ट में कहा गया कि मार्च 2013 के अंत में एनपीए व कुल ऋण का प्रतिशत 1.62 फीसदी था, जो मार्च 2018 में 9.96 फीसदी हो गया। वर्ष 2016-17 के दौरान बैंक को 1,632.29 करोड़ रुपये का घाटा भी हुआ। कैग ने कहा कि बैंक की ऋण नियंत्रण प्रणाली और वित्तीय रिपोर्टिंग प्रणाली समय में एनपीए की पहचान करने में विफल रही।

इसमें कहा गया है कि बैंक की 2013- 14 से 2017- 18 के दौरान जमा राशि में वृद्धि 24.58 प्रतिशत रही है। लेकिन मार्च 2017 को समाप्त चार वित्त वर्षों के दौरान बैंक की वार्षिक जमा राशि वृद्धि अनुसूचिति वाणिज्यिक बैंकों की राष्ट्रीय औसत के मुकाबले काफी कम रही है।

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