नई दिल्ली/लखनऊ: नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने लगातार दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट आज संसद के पटल पर रख दिया है। लोकसभा चुनाव 2024 के कुछ महीने पहले पेश हुए इस अंतरिम बजट को लेकर एक तरफ जहां सरकार की ओर से प्रशंसा की जा रही है, बजट को जनकल्याणकारी बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष की ओर से बजट को जनता के लिए मायूसी भरा बताया जा रहा है।
विपक्ष की ओर से बजट पर शुरूआती हमला करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे सरकार का निराशाजनक प्रदर्शन बताया है।
सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर किये पोस्ट में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बजट की निंदा करते हुए कहा, "कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वो व्यर्थ है। भाजपा सरकार ने जनविरोधी बजटों का एक दशक पूरा करके एक शर्मनाक रिकार्ड बनाया है, जो फिर कभी नहीं टूटेगा क्योंकि अब सकारात्मक सरकार आने का समय हो गया है। ये भाजपा का ‘विदाई बजट’ है।"
सपा सुप्रीमो द्वारा न केवल मोदी सरकार द्वारा पेश किये गये बजट की आलोचना की गई बल्कि उन्होंने बीते बुधवार को झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की भी जमकर आलोचना की।
उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन सरकार की अगुवाई कर रहे हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला किया। अखिलेश यादव ने ईडी की कार्रवाई को आदिवासी विरोधी कार्य और केंद्र की सत्ता द्वारा अलोकतांत्रिक प्रथाओं का जन्म देने वाला बताया।
सोशल प्लेटफाॉर्म एक्स पर किये पोस्ट में अखिलेश यादव ने कहा, "झारखंड नहीं झुकेगा! झारखंड में भाजपा का आदिवासी विरोधी चेहरा सामने आ रहा है। झारखंड के साहसी योद्धा हेमंत सोरेन भाजपा से आदिवासियों और आदिवासी क्षेत्रों की रक्षा के लिए सदैव वचनबद्ध रहे हैं और भाजपाई भ्रष्ट राजनीतिज्ञों व पूंजीपतियों के सामने इसलिए दीवार बनकर खड़े रहे, जिससे झारखंड को शोषण से बचाया जा सके। इसीलिए उनके साथ ऐसा बुरा व्यवहार किया जा रहा है। ये झारखंड के जनमत का अपमान है। इसीलिए हर एक झारखंड निवासी इस बार भाजपा के ख़िलाफ़ वोट डालेगा और भाजपा को ऐतिहासिक पराजय की सामना करना पड़ेगा।"
सपा प्रमुख ने अपनी पोस्ट में आगे कहा, "दरअसल भाजपा महंगाई, बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार के बड़े मुद्दों के सामने अपने को बुरी तरह से हारा हुआ मान रही है तभी तो वो कहीं सरकारें गिरा कर, कहीं चयनित मुख्यमंत्री को गिरफ़्तार करके और कहीं मतपत्रों में जालसाज़ी करके अपनी सत्ता बचाए रखना चाहती है। भाजपा नैतिक रूप से 2024 का चुनाव पहले ही हार चुकी है अब तो बस उसकी राजनीतिक हार होने की घोषणा होना बाक़ी है। भाजपा की ऐसी अलोकतांत्रिक हरकतें देखकर उनको वोट देनेवाले भी इस बार पहले से पीछे हट गये हैं।"
उन्होंने भाजपा पर पिछड़ा, दलित और आदिवासियों का शोषण करने का आरोप लगाते हुए कहा, "हम लगातार जिस PDA की बात कर रहे हैं उसमें आदिवासी समाज भी पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों व आधी आबादी मतलब महिलाओं व अगड़ों में पीड़ित-दुखी लोगों सहित शामिल है। भाजपा PDA विरोधी है। पीडीए कुल मिलाकर हमारे देश की 90% जनसंख्या की एकता का नाम है, भाजपा इसी एकता से डरी है और छापे-गिरफ़्तारी का डर दिखाकर हमें बाँटना चाहती है। PDA राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन गया है।"
मालूम हो कि बीते बुधवार को झारखंड में मचे भारी सियासी उथल-पुथल के बीच हेमंत सोरने को उस समय मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा, जब ईडी ने जमीन घोटाले के मामले में उनके साथ की गई लंबी पूछताछ के बाद आखिर उन्हें गिरफ्तार करने का फैसला लिया। उसके बाद सोरेन ईडी अधिकारियों के साथ राजभवन गये, जहां उन्होंने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया।