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जानिए कौन हैं सपा के टिकट पर वाराणसी से चुनाव लड़ रहे पूर्व BSF कॉन्स्टेबल तेज बहादुर यादव, क्यों हैं पीएम मोदी के खिलाफ?

By पल्लवी कुमारी | Updated: April 29, 2019 16:03 IST

पूर्व बीएसएफ कॉन्स्टेबल तेज बहादुर यादव हरियाणा रेवाड़ी के रहने वाले हैं। साल 2017 में वो उस वक्त चर्चा में आए जब उनका सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया था।

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ठळक मुद्देवाराणसी लोकसभा सीट से सपा-बसपा-आरएलडी ने पहले शालिनी यादव को उम्मीदवार बनाया था। पूर्व बीएसएफ कॉन्स्टेबल तेज बहादुर यादव हरियाणा रेवाड़ी के रहने वाले हैं।

वाराणसी लोकसभा सीट देश की सबसे हाई-प्रोफाइल सीटों में से एक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र होने की वजह से वाराणसी सीट हमेशा ही चर्चाओं में रहता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पीएम मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ने वाले हैं। समाजवादी पार्टी ने यहां से अपना प्रत्याशी बदलकर फिर से इस सीट पर चुनाव दिलचस्प कर दिया है। वाराणसी लोकसभा सीट से सपा-बसपा-आरएलडी ने शालिनी यादव को उम्मीदवार बनाया था, जिसको बदलकर अब सपा ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। तेज बहादुर यादव ने 27 अप्रैल 2019 को सपा प्रदेश प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी साथ नामांकन किया है। वाराणसी में 19 मई को चुनाव होने हैं।

शालिनी यादव श्यामलाल यादव की बहू हैं। श्यामलाल यादव कांग्रेस के पूर्व सांसद और राज्यसभा के पूर्व उप सभापति रह चुके हैं। शालिनी यादव ने 22 अप्रैल 2019 को ही कांग्रेस से इस्तीफ देकर सपा में शामिल हुईं थी। 

जानें पूर्व बीएसएफ कॉन्स्टेबल तेज बहादुर यादव के बारे में सबकुछ 

पूर्व बीएसएफ कॉन्स्टेबल तेज बहादुर यादव हरियाणा रेवाड़ी के रहने वाले हैं। साल 2017 में वो उस वक्त चर्चा में आए जब उनका सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया था। जिसमें वह जवानों को दिए जाने वाले खाने की क्वॉलिटी की आलोचना कर रहे थे। जिसके बाद , कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद उनके आरोपों को गलत निकले और तेज बहादुर यादव को नौकरी से निकाल दिया गया था। इन्होंने पहले लोकसभा चुनाव 2019 में वाराणसी से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। जिसके बाद उन्होंने सपा से नामंकन किया है। 

वायरल वीडियो में वह जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पहाड़ी इलाके के बर्फीले स्थान पर सैनिकों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता की शिकायत करता नजर आ रहा था। इसके बाद उसे अनुशासनहीनता के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था। जनवरी 2019 में तेज बहादुर के 22 साल के बेटे की संदिग्‍ध स्थितियों में मौत हो गई थी। वह अपने कमरे में बंदूक के साथ मृत पाया गया था। तेज बहादुर ने बताया था कि अफसरों से शिकायत करने पर भी कोई सुनने वाला नहीं है यहां तक कि गृहमंत्रालय को भी चिट्ठी लिखी लेकिन कुछ नहीं हुआ था। 

हरियाणा में रहने वाले उनके बड़े भाई हनुमान यादव ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया था, "हमारा परिवार सैनिकों का परिवार है। तेज बहादुर पांच भाइयों में सबसे छोटे हैं। हमारे एक बड़े भाई भी बीएसएफ में कार्यरत हैं, जबकि एक भतीजा है। हमारे दादाजी नेताजी के बल में एक स्वतंत्रता सेनानी थे। अगर उन्होंने कुछ मुद्दा उठाया है, तो यह केवल इसलिए है क्योंकि वह चाहते हैं कि हमारी प्रणाली में सुधार हो।"

क्यों लड़ रहे हैं पीएम मोदी के खिलाफ? 

हरियाणा के रेवाड़ी में तेज बहादूर यादव ने पत्रकारों से कहा, ''मैं वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लडूंगा।'' यादव ने कहा कि वह भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए चुनाव लड़ना चाहते है। उन्होंने कहा, ''मैंने भ्रष्टाचार का मामला उठाया लेकिन मुझे बर्खास्त कर दिया गया। मेरा पहला उद्देश्य (सुरक्षा) बलों को मजबूत करना और भ्रष्टाचार खत्म करना होगा।''

हाल ही में बीबीसी को दिए इंटरव्यू में जब हरियाणा के रहने वाले तेज बहादुर से पूछा गया किआखिर वाराणसी को ही चुनाव के लिए क्यों चुना गया तो उन्होंने बताया, ''वो फौज पर राजनीति करने वालों को हराना चाहते हैं।''

पीएम मोदी के लिए तेज बहादुर ने कहा, ''पीएम मोदी हमारी फौज का नाम बदनाम कर रहे हैं। जिससे जवानों के हौसले कमजोर पड़ गए हैं, उरी हमले के बाद सेना की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक और इस साल पुलवामा हमले के बाद वायुसेना की ओर से की गई एयर स्ट्राइक का श्रेय अक्सर बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी को देते हैं।''

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