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ब्रिटिश ट्रिब्यूनल ने कहा, नेहरू और माउंटबेटन के निजी पत्रों के कुछ हिस्सों की गोपनीयता बरकरार रहेगी

By भाषा | Updated: April 30, 2022 19:21 IST

ब्रिटिश ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया है कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन और उनकी पत्नी एडविना माउंटबेटन द्वारा लिखी गई निजी डायरी और पत्रों के कुछ खास अंश गोपनीय बने रहेंगे।

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ठळक मुद्देब्रिटिश ट्रिब्यूनल नेहरू और माउंटबेटन के पत्रों और निजी डायरी को सार्वजनिक करने के मामले में सुनवाई कर रहा थाब्रिटिश मंत्रिमंडल ने कहा था कि इनसे जुड़े अधिकांश दस्तावेज पहले से सार्वजनिक हैंअगर पत्रों के अन्य अंशों को सार्वजनिक किया गया तो भारत-पाक के साथ ब्रिटेन के संबंध प्रभावित हो सकते हैं

लंदन:ब्रिटेन के एक ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया है कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन और उनकी पत्नी एडविना माउंटबेटन द्वारा लिखी गई निजी डायरी और पत्रों के कुछ खास अंश गोपनीय बने रहेंगे।

ट्रिब्यूनल के समक्ष दायर अपील का मुख्य बिंदू यही था कि क्या नेहरू और माउंटबेटन दंपत्ति के बीच साझा हुए पत्रों और निजी डायरी को पूरी तरह से सार्वजनिक किया जाए या फिर नहीं।

ब्रिटेन की 'फर्स्ट-टियर ट्रिब्यूनल' (सूचना अधिकार) की जज सोफी बकले को इन निजी डायरी के कुछ गोपनीय हिस्से और 1930 के दशक के दौरान के पत्रों के बारे में फैसला करना था।

जज सोफी ने इस मामले में यह निष्कर्ष निकाला कि साउथहैंप्टन यूनिवर्सिटी के व्यापक संग्रह में ''स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भेजे गये लेडी माउंटबेटन के पत्र (33 फाइल्स, 1948-60), साथ ही नेहरू द्वारा लेडी माउंटबेटन को भेजे गए पत्रों की प्रति'' शीर्षक संबंधी कोई पत्राचार ''उपलब्ध'' नहीं है।

अपनी पुस्तक 'द माउंटबेटन : द लाइव्स एंड लव्स ऑफ डिकी एंड एडविना माउंटबेटन' के लिए दस्तावेज जारी करने को लेकर चार वर्ष लंबी लड़ाई लड़ने वाले इतिहासकार एंड्रयू लॉनी ने कहा, '' माउंटबेटन संग्रह ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है हालांकि सरकार के स्तर पर महत्वपूर्ण मुद्दे भी थे जो सरकार की शक्ति के दुरुपयोग और हमारे इतिहास को छुपाने से कम नहीं है।''

इस मामले में अपनी बचत का 2,50,000 पाउंड खर्च करने वाले एंड्रयू ने कहा कि अब इन डायरी और पत्रों के 30,000 से अधिक पन्ने जारी किए जा चुके हैं और इससे अधिक के सामने आने की संभावना नहीं है क्योंकि लगभग इतनी जानकारी अन्य पुस्तकों और डायरी में उपलब्ध है।

उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन के मंत्रिमंडल ने कहा था कि इन दस्तावेजों से जुड़ी अधिकांश जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है और भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में ''रोकी गई जानकारी अन्य राष्ट्रों के साथ ब्रिटेन के संबंधों को प्रभावित करेंगे।"

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