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ब्रिटिश फाइटर जेट F-35B ने 38 दिन बाद उड़ान भरी, तकनीकी खराबी के कारण केरल के तिरुवनंतपुरम में फंसा हुआ था...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 22, 2025 14:43 IST

केरल में एक महीने पहले तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आपात स्थिति में उतारा गया ब्रिटेन का लड़ाकू विमान 'एफ-35 बी' मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद मंगलवार को स्वदेश लौट गया।

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केरल में एक महीने पहले तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आपात स्थिति में उतारा गया ब्रिटेन का लड़ाकू विमान 'एफ-35 बी' मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद मंगलवार को स्वदेश लौट गया। हवाई अड्डे के सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि यह विमान पूर्वाह्न 10 बजकर 50 मिनट पर आस्ट्रेलिया के डार्विन के लिए रवाना हुआ। ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने कहा, "14 जून को आपात स्थिति में उतारा गया ब्रिटेन का लड़ाकू विमान 'एफ-35 बी' आज तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रवाना हो गया। छह जुलाई से तैनात ब्रिटेन की एक इंजीनियरिंग टीम ने मरम्मत और सुरक्षा जांच पूरी की, जिससे यह विमान फिर से सक्रिय सेवा में लौट सका।" एक बयान में प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिटेन मरम्मत प्रक्रिया के दौरान भारतीय अधिकारियों और हवाईअड्डे की टीम के समर्थन एवं सहयोग के लिए बहुत आभारी है। प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि ब्रिटेन भारतीय अधिकारियों और हवाई अड्डे की टीम के सहयोग और समर्थन के लिए बहुत आभारी है, जिन्होंने विमान की मरम्मत और उसके ठीक होने में पूरा साथ दिया। बयान में प्रवक्ता ने कहा, "हम भारत के साथ अपनी रक्षा साझेदारी को और मजबूत बनाने के लिए तत्पर हैं।"

सोमवार को जेट को 'हैंगर' से बाहर लाकर हवाई अड्डे के 'बे' में रखा गया। हैंगर का मतलब एक तरह का ढांचा होता है, जहां विमान रखे जाते हैं और हवाई अड्डे का 'बे' एक ऐसा क्षेत्र है जहां विमानों को खड़ा किया जाता है और यात्री विमान में चढ़ते या उतरते हैं। ब्रिटेन की नौसेना का 'एफ-35बी लाइटनिंग लड़ाकू' विमान उनके सबसे आधुनिक विमानों के बेड़े में शामिल है। दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक माने जाने वाले इस विमान की कीमत 11 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। तकनीकी खराबी आने के बाद 14 जून से यह विमान यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर खड़ा था। यह विमान 14 जून को 'एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स' से उड़ान भरने के बाद प्रतिकूल मौसम के कारण विमानवाहक पोत पर वापस नहीं लौट सका। सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए इसे तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर मोड़ दिया गया, जहां इसे सुरक्षित रूप से उतार लिया गया। इसके बाद, जमीन पर रहते हुए विमान में तकनीकी संबंधी समस्या उत्पन्न हो गई, जिसकी वजह से उसके लौटने में देरी हुई। 'एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स' के अभियंताओं ने विमान का निरीक्षण किया और यह तय किया कि इसके लिए ब्रिटेन की इंजीनियरिंग टीम की सहायता की आवश्यकता है। ब्रिटेन ने विमान को रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) सुविधा में ले जाने के लिए भारत के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हवाई अड्डे के सामान्य संचालन में न्यूनतम व्यवधान हो, यह निर्णय लिया गया कि विमान को तभी स्थानांतरित किया जाएगा जब ब्रिटेन की इंजीनियरिंग टीम विशेष उपकरणों के साथ यहां पहुंच जाएगी।

टॅग्स :केरलइंडियन एयर फोर्सAir Forceभारत
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