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बॉम्बे हाईकोर्ट ने एनसीपी नेता नवाब मलिक की जमानत याचिका खारिज की, खराब स्वास्थ्य के आधार पर मांगी थी इजाजत

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: July 13, 2023 13:23 IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एनसीपी नेता नवाब मलिक की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जानकारी के अनुसार गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार चल रहे नवाब मलिक ने हाईकोर्ट से स्वास्थ्य आधार पर जमानत मांगी थी।

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ठळक मुद्देबॉम्बे हाईकोर्ट ने एनसीपी नेता नवाब मलिक की जमानत याचिका खारिज कर दी नवाब मलिक ने हाईकोर्ट से खराब स्वास्थ्य आधार पर जमानत मांगी थीनवाब मलिक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मार्च 2022 से ही ईडी की न्यायिक हिरासत में हैं

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एनसीपी नेता नवाब मलिक की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जानकारी के अनुसार गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार चल रहे नवाब मलिक ने हाईकोर्ट से स्वास्थ्य आधार पर जमानत मांगी थी लेकिन मलिक की याचिका खारिज करते हुए आदेश दिया कि वो दो सप्ताह के बाद योग्यता के आधार पर जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी।

समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की सिंगल बेंच ने एनसीपी नेता की जमानत याचिका पर 16 जून को ही सुनवाई पूरी करते हुए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। नवाब मलिक ने 30 नवंबर, 2022 के विशेष अदालत द्वारा खारिज की गई जमानत याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

हाईकोर्ट में नवाब मलिक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अमित देसाई ने जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई के सामने तर्क पेश किया कि उनके याचिकाकर्ता नवाब मलिक का स्वास्थ्य पिछले आठ महीनों में बेहद खराब हो गया है और गिरफ्तारी के बाद उनकी किडनी की समस्या भी बढ़ गई थी। वकील देसाई ने कोर्ट को बताया कि मलिक क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित हैं और वो केवल एक किडनी पर जिंदा हैं और सुप्रीम कोर्ट इस तरह के कई मामलों में पहले भी चिकित्सा को जमानत का आधार माना है।

नवाब मलिक की वकील अमति देसाई ने कहा कि उनकी क्रोनिक किडनी रोग स्टेज 2 से स्टेज 3 पर पहुंच गया है और यह बीमारी मलिक के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर रही है। इस कारण जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की कोर्ट नवाब मलिक के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण से जमानत याचिका को स्वीकर करके उन्हें रिहा करने का आदेश दें।

वहीं वकील अमित देसाई के तर्कों का विरोध करते हुए ईडी ने कोर्ट से कहा कि कई लोग सामान्य रूप से केवल एक ही किडनी के साथ जीवन जी रहे हैं। इसके साथ ही केंद्रीय एजेंसी ने अपनी दलील में यह भी कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें अदालतों ने स्वास्थ्य आधार पर जमानत की अनुमति दी थी, लेकिन उस शर्त पर जहां आवेदक निजी अस्पतालों में इलाज का खर्च वहन नहीं कर सकता था।

ईडी ने कहा कि नवाब मलिक की गिरफ्तारी के तुरंत बाद उनका इलाज एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था और वह स्वंय इसका खर्च वहन कर सकते हैं। इन्हीं तर्कों के आधार पर ईडी ने कोर्ट से कहा कि नवाब मलिक को चिकित्सा के आधार पर अंतरिम जमानत देने की कोई आवश्यकता नहीं है।

मालूम हो कि ईडी ने एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री नवाब मलिक को पिछले साल फरवरी में कुर्ला में गोवावाला परिसर की संपत्ति पर दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। इस मामले में मलिक पर आरोप है कि वह संपत्ति कथित तौर पर भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम से जुड़ी थी और मलिक उस संपत्ति को मैनेज करते थे।

नवाब मलिक मार्च 2022 से ही ईडी की न्यायिक हिरासत में हैं और मई 2022 से कुर्ला के क्रिटिकेयर अस्पताल में भर्ती हैं। नवाब मलिक के मामले में विशेष अदालत ने आदेश दिया था कि वह कोर्ट के अगले आदेश तक अस्पताल में ही रहेंगे।

टॅग्स :नवाब मलिकबॉम्बे हाई कोर्टप्रवर्तन निदेशालयenforcement directorateNCP
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