नई दिल्ली , 21 जुलाई: लोकसभा में विपक्षी पार्टी टीडीपी द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव शुक्रवार( 20 जुलाई) को वोटिंग के बाद गिर गया। जिसके बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान में विपक्ष को मिली हार 2019 लोकसभा चुनाव की महज एक झलक है और यह मोदी सरकार तथा उसके मंत्र ‘सबका साथ सबका विकास’ में लोगों के भरोसा को दिखाता है।
उन्होंने कहा, अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के नतीजे लोकतंत्र की जीत है और वंशवाद की राजनीति की हार है। शाह ने विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद ट्वीट कर कहा, ''मोदी सरकार की यह जीत लोकतंत्र की जीत है और वंशवाद की राजनीति की हार है।''
उन्होंने कहा, ''वंशवाद की राजनीति, नस्लवाद और तुष्टीकरण को बढ़ावा देने वाली कांग्रेस की एक बार फिर गरीब पृष्भूमि से आने वाले प्रधानमंत्री को लेकर नफरत उजागर हो गई है। उन्होंने कहा, ''बिना बहुमत और कोई उद्देश्य ना होने पर कांग्रेस पार्टी ने सरकार के खिलाफ उद्देश्यहीन प्रस्ताव लाकर ना केवल अपने राजनीतिक दिवालियेपन का परिचय दिया है बल्कि उसने लोकतंत्र को कुचलने के अपने पुराने इतिहास को भी दोहराया है। सरकार के पास देश का पूरा भरोसा है।''
वहीं, अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए उन पर सत्ता का अहंकार दिखाने और ओछी बात करने का आरोप लगाया है। सचिवालय में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आंध्रप्रदेश के साथ किए गए वादे के साथ इंसाफ नहीं किया। राज्य को 2014 में विभाजन के बाद बहुत नुकसान का सामना करना पड़ा है।
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पीएम नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेट के दर्जे पर जवाब देते हुए कहा, 'जोर और जुल्म के बीच आंध्र और तेलंगाना का विभाजन किया। उस समय मैंने यह कहा था कि तेलुगू हमारी मां है। तेलुगू के स्प्रिट को टूटने नहीं देना चाहिए। कांग्रेस की वजह से तेलंगाना विवाद पैदा हुआ। 18 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ का गठन किया। तीनों राज्य बहुत तेजी से प्रगति कर रहे हैं। लेकिन राजनीतिक लाभ पाने के लिए आपने आंध्र के लोगों को विश्वास में लिए बिना जोर और जुल्म के बीच आंध्र और तेलंगाना का विभाजन किया। उस समय मैंने कहा था तेलुगू हमारी मां है। इसकी स्पिरिट को बचाना चाहिए।
अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में 325 वोट पड़े जबकि इसके पक्ष में सिर्फ 126 वोट ही पड़े। इस प्रस्ताव पर कुल 451 सदस्यों ने वोट दिया। प्रस्ताव पर वोटिंग के बाद लोकसभा की कार्रवाई सोमवार( 23 जुलाई) तक के लिए स्थगित कर दी गई। बता दें कि यह प्रस्ताव आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के मांग को लेकर टीडीपी लेकर आई थी। कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों के सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।
(भाषा इनपुट)लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर सब्सक्राइब करें!