रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि जैव-आतंकवाद आज के समय में असली खतरा है और सशस्त्र बलों की चिकित्सा सेवाओं को समस्या से निपटने में सबसे आगे होना चाहिए।
शंघाई सहयोग संगठन के पहले सैन्य औषधि सम्मेलन में सिंह ने कहा कि जैव आतंकवाद ‘‘संक्रामक प्लेग’’ के तौर पर फैल गया है। सिंह ने कहा, ‘‘सशस्त्र बल और उसकी चिकित्सा सेवाओं को इस समस्या से निपटने में अग्रणी होना चाहिए।’’
इस दौरान रक्षा मंत्री ने बताया कि भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भारत और भारत की सेना पूरी तरह से तैयार है। राजनाथ सिंह ने कहा कि आने वाले समय में बायो टेररिज्म एक बड़ा खतरा है, ऐसे में समय की मांग है कि सेना-मेडिकल सर्विस इन हमलों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहें।
दिल्ली में हो रही इस कॉन्फ्रेंस में कई देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि आज दुनिया में कई देश एक साथ सैन्य अभ्यास कर रहे हैं, ताकि आतंकवाद के खिलाफ लड़ा जा सके और क्षेत्रीय शांति हो स्थापित हो सके। उन्होंने कहा कि SCO के इस कॉन्फ्रेंस में वो देश शामिल हैं, जो दुनिया में बड़ा असर रखते हैं। भारत के डिफेंस स्टाफ के द्वारा इस मामले में आगे बढ़कर अगुवाई करने के लिए वह भी धन्यवाद के पात्र हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज सिर्फ हथियारों के जरिए नहीं बल्कि टेक्नॉलोजी के जरिए भी लड़ाई लड़ी जा रही है। ऐसे में ये जरूरी है कि सेनाओं की मेडिकल टीम इसके लिए तैयार रहे। किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि न्यूक्लियर, केमिकल और बॉयोलॉजिकल के क्षेत्रों में माहौल बिगड़ता जा रहा है और ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए हर सेना को तैयार होना चाहिए।
इस तरह के खतरों को अब पहचाना जा चुका है और वैज्ञानिक तरीकों से इसपर शोध भी जारी है। गौरतलब है कि बायो टेररिज्म के जरिए अक्सर बैक्टीरिया, नई तकनीक के जरिए हमला किया जाता है, जो हथियारों से और भी ज्यादा खतरनाक होता है।