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सीमांचल मतदाता सूचीः विदेशी नागरिक के पास वोटर, आधार और राशन कार्ड?, सियासी हलकों में हलचल

By एस पी सिन्हा | Updated: July 13, 2025 15:53 IST

bihar Seemanchal voter list: बांग्लादेश और नेपाल की सीमा से सटे बिहार के किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया को सीमांचल नाम से पुकारा जाता है।

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ठळक मुद्दे1951 से 2011 तक देश की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी जहां चार प्रतिशत बढ़ी है।किशनगंज बिहार का ऐसा जिला है, जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं। आधार पर वे तमाम योजनाओं के हकदार भी बन जा रहे हैं।

bihar Seemanchal voter list:बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के द्वारा कराए जा रहे मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण(एसआईआर) के दौरान बड़ा खुलासा हुआ है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, राज्य की मतदाता सूची में नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश जैसे देशों के विदेशी नागरिकों के नाम शामिल पाए गए हैं। घर-धर जाकर किए जा रहे सत्यापन के दौरान यह बात भी सामने आई है कि इन विदेशी नागरिकों के पास वोटर आई कार्ड, आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज भी हैं। इस खुलासे ने न केवल प्रशासन को, बल्कि सियासी हलकों में भी हलचल पैदा कर दी है।

चुनाव आयोग ने साफ किया है कि ऐसे अवैध मतदाताओं के नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल नहीं किए जाएंगे। आयोग के मुताबिक, एसआईआर अभियान का मकसद ही फर्जी और गैरकानूनी मतदाताओं को पहचान कर सूची से हटाना है। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, 1 अगस्त 2025 के बाद उचित जांच के पश्चात ऐसे नामों को 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित होने वाली अंतिम सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। आयोग ने संकेत दिया है कि फाइनल लिस्ट के साथ इन विदेशी मतदाताओं की संख्या भी सार्वजनिक की जाएगी।

फिलहाल मतदाता गणना फॉर्म जमा करने का कार्य अंतिम चरण में है। अब तक 80 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने अपना नाम, पता, जन्मतिथि, आधार नंबर, और वोटर आई कार्ड की जानकारी देकर फॉर्म जमा कर दिया है। निर्वाचन आयोग ने इसके लिए 25 जुलाई 2025 की अंतिम तिथि तय की है, लेकिन संभावना है कि तय समय से पहले ही यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

बता दें कि बांग्लादेश और नेपाल की सीमा से सटे बिहार के किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया को सीमांचल नाम से पुकारा जाता है। लेकिन सीमांचल में अवैध घुसपैठियों के कारण इस इलाके की डेमोग्राफी पूरी तरह बदल गई है। 1951 से 2011 तक देश की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी जहां चार प्रतिशत बढ़ी है, वहीं सीमांचल में यह आंकड़ा करीब 16 प्रतिशत है।

किशनगंज बिहार का ऐसा जिला है, जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं। दरअसल, किशनगंज में हितैषियों की आड़ लेकर उस पार बांग्लादेश से चोरी-छिपे घुस आ रहे हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि सरकारी दस्तावेज में भारतीय नागरिक के रूप में उनका नाम-मुकाम भी दर्ज हो जा रहा। इसी आधार पर वे तमाम योजनाओं के हकदार भी बन जा रहे हैं।

सीमांचल में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का दबदबा इस कदर बढ़ गया है कि वहां के हिंदू पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। सीमांचल कहलाने वाले बिहार के इन जिलों में बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं के कारण बड़े पैमाने पर जनसांख्यिकीय बदलाव हुए हैं, जिनके कारण इन इलाकों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं।

बिहार के किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया जिलों में मुस्लिम आबादी 38 फीसदी से 68 फीसदी तक है। कुछ लोग मानते हैं कि ज्यादा आधार कार्ड बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए बनाए गए हैं। उनका दावा है कि स्थानीय नेताओं और कट्टरपंथी समूहों ने इसमें मदद की है।

हाल ही में हुई जातिगत जनगणना से पता चला है कि किशनगंज में मुस्लिम आबादी 68 फीसदी, अररिया में 50 फीसदी, कटिहार में 45 फीसदी और पूर्णिया में 39 फीसदी हो गई है। केंद्र सरकार सीमांचल में हो रहे इन बदलावों को लेकर चिंतित है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के इन जिलों में मुसलमानों की आबादी करीब 40 से बढ़कर करीब 70 फीसदी हो गई है।

किशनगंज में मुसलमानों की आबादी सबसे ज्यादा है। यही वजह है कि आज सीमांचल की विधानसभा सीटों की जीत को इंडिया ब्लॉक की सहयोगी आरजेडी और कांग्रेस एक-दूसरे से सीटें छीनने की होड़ में दिख रही हैं, वहीं असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने भी यहां अप्रत्याशित रूप से अपना जनाधार बढ़ाया है।

जानकारों की मानें तो चुनाव आयोग की मतदाता सूची की विशेष जांच भी इसी वजह से की जा रही है। मतदाता सूची की जांच का सबसे ज्यादा विरोध राज्य के मुस्लिम इलाकों में हो रहा है। मुस्लिम समुदाय लंबे समय से विपक्षी महागठबंधन का समर्थन करता रहा है। महागठबंधन इस विरोध के बहाने इस समुदाय को एकजुट करना चाहता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सीमांचल के कई ऐसे जिले हैं, जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो गए और बाद में प्रताड़ना से तंग आकर वहां से पलायन कर गए। अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड के रामपुर गांव के हिंदू पलायन कर दोगांछी गांव चले गए। यहां हिंदुओं की आबादी थोड़ी अधिक है।

कहा जाता है कि इलाके में मुस्लिम अपनी जनसंख्या बढ़ाने के लिए ना सिर्फ बांग्लादेशियों को बसाने में मदद करते हैं, बल्कि उनके लिए दस्तावेज आदि का भी प्रबंध करते हैं। वहीं, हर मुस्लिम अधिक से अधिक बच्चे पैदा कर मुस्लिम दबदबा बढ़ाने में व्यक्तिगत तौर पर अपना योगदान देना नहीं भूलता है। एक-एक मुस्लिम महिला के 14 तक बच्चे हैं।

वहीं, सामान्य तौर पर सबसे कम बच्चे वाली मुस्लिम महिला के भी पांच बच्चे होते हैं। इसी तरह अगर एक मुस्लिम की दो बीवियां भी हैं तो उसके औसतन एक दर्जन बच्चे हो गए। अगर किसी गांव में 20 मुस्लिम पुरुष हैं तो औसतन 250 बच्चे हो गए। इस तरह अगले 10 सालों में आबादी का पूरा सेनेरियो ही बदल जाएगा।

जानकारों के अनुसार बांग्लादेश के अलावे रोहिंग्या पश्चिम बंगाल में घुसते हैं और वहां से देश के अन्य हिस्सों में जाकर बस जाते हैं। जहां-जहां मुस्लिम आबादी अधिक होती है, वहां-वहां इन अवैध घुसपैठियों को प्रश्रय मिलता है। डेमोग्राफी में बदलाव होने के साथ ही सीमांचल के ये सारे जिले राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील बन गए हैं।

साल 2017 में बांग्लादेश सीमा पर एक सुरंग का पता चला था। वह बांग्लादेश की ओर से 80 मीटर भूमि की खोदाई कर कंटीले बाड़ के नीचे से भारतीय सीमा में पहुंचाई गई थी। स्पष्ट है कि वह सुरंग घुसपैठ के लिए बनी थी। इस क्षेत्र में जाने पर हर जगह मदरसे दिखेंगे. मुख्य मार्ग पर ही अंदरूनी इलाकों और सीमा के क्षेत्रों में इसकी संख्या और भी ज्यादा है।

इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मदरसे और नए मस्जिद तो बने ही हैं। जानकारों की मानें तो यहां घुसपैठ कराने से लेकर उनके जाली दस्तावेज बनवाने से लेकर उन्हें बसाने तक के लिए तस्करों का एक पूरा गिरोह काम करता है। समय-समय पर ये तस्कर पकड़े भी जाते हैं, लेकिन उनके सिंडिकेट को तोड़ पाना आसान नहीं है।

इनकी पैठ बांग्लादेश और नेपाल में बैठे मुस्लिमों तस्करों तक होती है और उनके साथ मिलकर ये ऑपरेट करते हैं। सीमांचल में घुसपैठ का मुद्दा केंद्र सरकार के लिए कितना अहम है, यह इससे समझा जा सकता है कि पिछले दिनों पूर्वोत्तर राज्यों की केंद्र सरकार के साथ हुई बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठा।

बांग्लादेश और नेपाल के बीच मेची नदी की खुली सीमा बांग्लादेशी घुसपैठियों के आवागमन का आसान मार्ग है। घुसपैठ के बाद कहीं ठिकाना मिल जाए तो ये अपनी आबादी तेजी से बढ़ाते हैं। यहां पहुंचकर वे बिहार के असली व मूल निवासियों के लिए समस्याएं खड़ी कर रहे हैं। उनके हिस्से की भूमि पर फैल ही नहीं रहे, बल्कि उनके हक पर फल-फूल भी रहे।  

बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग की मतदाता सूची की विशेष जांच भी इसी वजह से की जा रही है। मतदाता सूची की जांच का सबसे ज्यादा विरोध राज्य के मुस्लिम इलाकों में हो रहा है। मुस्लिम समुदाय लंबे समय से विपक्षी महागठबंधन का समर्थन करता रहा है। महागठबंधन इस विरोध के बहाने इस समुदाय को एकजुट करना चाहता है।

ऐसा माना जाता है कि जब भी बिहार की सत्ता पर लालू यादव का प्रभाव बढ़ता है, तो राज्य में मुस्लिम तुष्टिकरण बढ़ने लगता है। राजद नेता मुस्लिम वोट बैंक को लेकर कितने चिंतित हैं, इसका एक उदाहरण तब सामने आया जब लालू यादव की पत्नी राबडी देवी ने अपने आवास पर एक मुस्लिम धार्मिक अनुष्ठान किया और लालू यादव और उनका पूरा परिवार इसमें पूरी तरह से डूबा हुआ नजर आया।

इस संबंध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रामनरेश सिंह कहते हैं कि एक सोचे-समझे षड्यंत्र और वोट बैंक के कारण इस इलाके में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ाई जा रही है। जिस तरह की राष्ट्रविरोधी गतिविधियां इन इलाकों में चल रही हैं, वे देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। ऐसे में हिंदू सीमांचल से पलायन कर रहे हैं।

उन्होंने बिहार के सीमांचल में चलने वाली अवैध गतिविधियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है। डॉ रामनरेश सिंह ने बताया कि विहिप की ताजा तरीन रिपोर्ट के मुताबिक सीमांचल के चार जिलों में धर्मांतरण, लव जेहाद और बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है।

वहीं, बिहार में भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि बिहार के कई जिले में डेमोग्राफी तेजी से बदल रहा है। अगर जल्द से जल्द जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू नहीं किया गया तो मैं भविष्यवाणी करता हूं कि अगले बीस साल के बाद एक भी हिंदू विधायक सीमांचल से लेकर मिथिलांचल और बेतिया से लेकर मोतिहारी तक जीत कर नहीं आएगा।

बचौल ने तो चुनाव आयोग से मांग करते हुए कहा कि हम दो हमारे दो का पालन करते हुए चुनाव आयोग डेमोग्राफी ना बदले इसलिए हिंदुओं के लिए नॉर्मलाइजेशन जैसी व्यवस्था करे। उन्होंने कहा कि बिहार में फर्जी तरीके से जो वोटिंग होती है। आज हम लोग एक पाकिस्तान की बात कह रहे हैं। लेकिन, बिहार में गांव-गांव पाकिस्तान बन रहा है। 

उधर, राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने पलटवार करते हुए कहा कि अपने आप को राजनीति में स्थापित करने के लिए नैरेटिव सेट करते हैं। बिहार में भाजपा नेताओं के द्वारा केवल हिंदू-मुस्लिम के बीच खाई पैदा करने की कोशिश की जाती रही है। यही कारण है कि चुनाव आयोग को गुमराह करके इनलोगों के द्वारा एनआरसी कराने का काम कराया जा रहा हैं।

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