पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के मुख्य घटक दल राजद के पोस्टर को लेकर सियासत तेज हो गई है। दरअसल, महागठबंधन के द्वारा लगाए जा रहे पोस्टरों में केवल तेजस्वी यादव की तस्वीर देखी जा रही है। तेजस्वी यादव के आगे राजद के संस्थापक प्रमुख लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तक के चेहरे नदारद हैं। यही नहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी की चर्चा तक नहीं है। इन पोस्टरों में। सबसे मजेदार बात तो यह भी है कि राजद नेताओं के द्वारा लगाए जा रहे पोस्टरों में तेजस्वी यादव को जननायक के रूप में पेश किया जाने लगा है।
हालांकि राजद में इसको लेकर मतभेद सामने आने लगे हैं। बता दें कि पटना के मौर्या होटल में मंगलवार को महागठबंधन का घोषणा पत्र जारी होने के दौरान जो पोस्टर लगा था, उसमें तेजस्वी यादव की बड़ी फोटो थी, वहीं राहुल गांधी समेत महागठबंधन के अन्य नेताओं की छोटी फोटो थी। इस पोस्टर से लालू यादव और राबड़ी देवी भी गायब दिखीं।
ऐसे में कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव ने राजद पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। हालांकि इसको लेकर अब सियासत शुरू हो हुई है। जदयू ने एक्स पर पोस्ट कर तेजस्वी पर निशाना साधते हुए लिखा है कि तेजस्वी तो चालू निकले। जदयू की ओर से किए गए ट्वीट मे लिखा है कि तेजस्वी अब पार्टी और परिवार दोनों में ‘एकोऽहम् द्वितीयो नास्ति’ की स्थिति में हैं और कुछ नहीं।
लालू यादव के नाम और चेहरे पर राजनीति करने वाले तेजस्वी के पोस्टरों में अब लालू की तस्वीर माइक्रोस्कोप से ढूंढनी पड़ेगी। वहीं फोटो पर कैप्शन है- तेजस्वी तो निकले चालू, पोस्टर में गुम हो गए लालू। दरअसल, मंगलवार को घोषणा पत्र जारी करने के समारोह में पीछे लगे बैनर में तेजस्वी यादव व राहुल गांधी के अलावा महागठबंधन के अन्य नेताओं की तस्वीर थी।
लेकिन, उसमें लालू प्रसाद की तस्वीर कहीं नहीं थी। इसी को लेकर सियासत गरमाई हुई है। इसके साथ ही तेजस्वी यादव को ‘जननायक’ और ‘नायक’ के रूप में पेश करने पर न केवल भाजपा ने आपत्ति जताई है, बल्कि उनकी अपनी पार्टी राजद के भीतर से भी विरोध के स्वर उठे हैं। राजद के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने इन अपराधियों पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की है।
सिद्दीकी ने स्पष्ट किया कि ‘जननायक’ की उपाधि विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री और भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के लिए इस्तेमाल की जाती है, और तेजस्वी को यह उपाधि हासिल करने के लिए समय और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होगी। सिद्दीकी ने कहा कि तेजस्वी अपने पिता लालू प्रसाद की विरासत के आधार पर राजनीति में लगे हुए हैं। वह लालू प्रसाद की राजनीति की ‘विरासत’ हैं और उन्हें यह सम्मान अपने पिता और ठाकुर के नक्शेकदम पर चलकर खुद को स्थापित करने के बाद ही मिल सकता है।
वहीं, तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप यादव ने भी इन उपाधियों पर असहमति जताते हुए कहा कि “खुद को जननायक कहने से कोई लोगों का नेता नहीं बन जाता। कर्पूरी ठाकुर, राम मनोहर लोहिया, अंबेडकर और महात्मा गांधी ही असली जननायक थे। उन्होंने तेजस्वी व राहुल को “लालू प्रसाद की छत्रछाया” में बताते हुए कहा कि यह संरक्षण हटा दिया जाए तो वे “कुछ भी नहीं” होंगे।