पटनाः बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद भाजपा लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर हमलावर बनी हुई है। कोईलवर में नए मानसिक अस्पताल के उद्घाटन के मौके पर दो फीते काटे जाने की तस्वीर सामने आने के बाद भाजपा ने नीतीश और तेजस्वी की जोड़ी पर तंज कसा है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा है कि आगे से जब कभी भी कोई उद्घाटन का कार्यक्रम हो तो नीतीश कुमार को वहां 7 फीते लगवाने चाहिए। सभी सहयोगी दलों से एक-एक प्रतिनिधि उद्घाटन के दौरान फीते काटे, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने भतीजे तेजस्वी यादव के साथ मिलकर बाकी सहयोगी दलों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सरकार के अंदर नीतीश और तेजस्वी में वर्चस्व कायम करने की होड़ दिख रही है। वहीं, तेजस्वी यादव की जमानत रद्द किए जाने को लेकर सीबीआई की याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ जायसवाल ने कहा कि तेजस्वी जिस तरह खुलेआम सीबीआई अधिकारियों को धमका रहे हैं, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को सीधा कर देने की धमकी दे रहे हैं, तो ऐसे व्यक्ति आईआरसीटीसी घोटाला में जमानत पर बाहर रहते हुए जांच को प्रभावित क्यों नहीं कर सकते हैं?
उन्होंने कहा कि सीबीआई का अर्जी देना बेहद जरूरी है। तेजस्वी ने गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को ठंडा करने की धमकी दी थी। बिहार में ठंडा करने का मतलब सबको पता है। अधिकारियों को यह बोलना कि आपका भी परिवार है, आप रिटायर करेंगे। यह सब बिल्कुल गलत है। इस तरह की बात करने वाले व्यक्ति पर जरूर कार्रवाई होगी।
जमानत पर छूटा हुआ व्यक्ति गृह राज्यमंत्री पर बोले यह ठीक नहीं है। ऐसे व्यक्ति द्वारा सीबीआई के अफसरों पर कितना प्रभाव डाला गया होगा सब जानते हैं। डॉ जायसवाल ने यह भी खुलासा किया कि 2017 में भाजपा के साथ आने से पहले नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव से जुड़े सभी दस्तावेज केंद्रीय एजेंसियों को मुहैया करा दिया था।
आईआरसीटीसी घोटाले को लेकर सबसे अधिक की जानकारी केंद्रीय एजेंसियों के साथ नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेताओं ने ही साझा की है। नीतीश चाहते हैं कि तेजस्वी जेल चले जाएं और वह अकेले बैठकर बिहार में सरकार चलाएं। नीतीश का मकसद तेजस्वी की पार्टी राजद को हाईजैक करने का है। उन्होंने जदयू पर हमला बोलते हुए कहा कि आईआरसीटीसी घोटाला में तेजस्वी यादव के खिलाफ ललन सिंह ने ही सभी साक्ष्य उपलब्ध कराए थे।