पटनाः बिहार विधानमंडल की कार्यवाही स्थगित होने के बाद नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा बाहर आकर मीडिया के समक्ष सरकार के खिलाफ जमकर हमला किया। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के पांचवा दिन नीतीश सरकार के अहंकार के भेट चढ़ गया। छपरा में जहरीली शराब पीने से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और बड़ी संख्या में लोग पीड़ित हैं।
अलग-अलग अस्पताल में लोग भर्ती हैं। छुपकर इलाज करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार न्यायिक जांच कराने से भाग रही है। सदन के अंदर संवेदना तक प्रकट नहीं रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पीड़ित लोगों के प्रति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हमदर्दी नहीं है। तेजस्वी यादव भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अहंकार में शामिल हो गए है। नीतीश सरकार मुआवजा से भाग रहे है।
विजय कुमार सिन्हा ने कहा की बिहार को बर्बाद करने की कहानी जो इन्होंने शुरू की है। उसकी लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक लड़ी जाएगी। जिस जंगल राज को जनता राज बता रहे थे। वह अब गुंडा राज में बदल गया है। उन्होंने कहा की इस गुंडा राज की समाप्ति का लड़ाई भी अब सड़क से प्रारंभ होगा।
विजय सिन्हा ने सदन में कहा कि उनकी अनुपस्थिति में आसन द्वारा उनके संबंधी के खिलाफ सरकार को जांच का निर्देश दिया गया है। विधानसभा में उस आदेश की प्रति को सदन के पटल पर रखा जाए। उन्होंने प्राथमिकी को झूठा बताते हुए कहा कि मामले में जो केस दर्ज किया गया है, उसमें दूर दूर तक उनके संबंधी का नाम नहीं है।
पुलिस ने जिस व्यक्ति को मामले में पकड़ा है, वह जदयू का पोस्टर लगाकर घूमता है। गलत आरोप लगाने वाले लोगों को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी विधायक की विधायिका को बिना जांचे परखे आरोप लगाना गलत है और इसको विधानसभा की प्रोसिडिंग के हटाया जाए। उन्होंने कहा जब की सरकार 2016 में गोपालगंज के अंदर धारा- 42 में चार-चार लाख रुपया दिया।
उस समय उत्पात अधिनियम के तहत दिया गया, तो अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुप क्यों हैं? बिहार की जनता का प्रतिपक्ष मांग कर रही है। सत्ताधारी के लोग भी मुआवजा मांग रही है, फिर भी सरकार चुप है। सत्ता के लोभ में नीतीश कुमार डूबे हुए है, लोगों आवाज को नहीं सुन पा रहे हैं।
विजय सिन्हा ने विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को इस बात के लिए बधाई भी दी कि आजादी के बाद पहली बार 50 मिनट बोलने के क्रम में उन्हें 113 बार टोका गया और अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया गया। ऐसे शब्दों को प्रोसिडिंग से हटाया जाए क्योंकि ऐसे शब्द कही न कही सदन की गरीमा को धूमिल करता है।