पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों की गहन समीक्षा के लिए सोमवार को राजद की हुई अहम समीक्षा बैठक बड़ा और निर्णायक फैसला लेते हुए यह सुनिश्चित किया कि तेजस्वी यादव आगे भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने रहेंगे। यह निर्णय तेजस्वी के भविष्य के नेतृत्व पर लग रही अटकलों को समाप्त करता है और यह भी तय किया गया है कि पार्टी अपनी आगामी राजनीतिक यात्रा तेजस्वी यादव के दिशा-निर्देशों में ही तय करेगी। दरअसल चुनावी हार के बाद पहली बार इतनी बड़ी बैठक बुलाई गई थी, जिसमें पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
सबसे बड़ा फैसला यह कि तेजस्वी यादव आगे भी बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने रहेंगे। चर्चा थी कि चुनाव परिणामों के बाद पार्टी नेतृत्व में बदलाव हो सकता है, लेकिन लालू यादव ने साफ कर दिया कि विपक्ष की कमान तेजस्वी के हाथों में ही रहेगी। सूत्रों के अनुसार समीक्षा बैठक के दौरान चुनाव में अपेक्षित सफलता न मिलने के कारणों पर गहन मंथन किया गया।
पार्टी नेताओं ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि मतदाताओं तक अपना संदेश पहुंचाने में कमी रह गई। विशेष रूप से, स्थानीय स्तर पर महिला और युवा मतदाताओं तक पार्टी की बात को प्रभावी ढंग से पहुंचाने में कमजोरी सामने आई। कुछ नेताओं ने हार का एक गंभीर कारण बताते हुए आरोप लगाया कि प्रतिद्वंद्वी दल द्वारा महिलाओं को कथित तौर पर दस हजार रुपये देकर वोट खरीदने की घटनाएं सामने आईं।
जिसपर पार्टी आगे चर्चा करेगी। सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान तेजस्वी यादव ने स्वयं को केवल कार्यकर्ता मानकर पार्टी में कार्य करते रहने की इच्छा व्यक्त की थी। हालांकि, उनके इस प्रस्ताव को बैठक में मौजूद वरिष्ठ नेताओं, विधायकों और पूर्व विधायकों ने सिरे से खारिज कर दिया। सभी ने एकजुट होकर तेजस्वी यादव को ही नेता प्रतिपक्ष बने रहने की अपील की।
पार्टी सदस्यों की इस सामूहिक अपील पर लालू प्रसाद यादव ने तुरंत अपनी मुहर लगा दी। अपने संबोधन में, लालू यादव ने पार्टी नेताओं को आश्वस्त करते हुए कहा कि घर का विवाद घर के लोग सुलझा लेंगे, आप लोग चिंता मत कीजिए। वहीं, राजद ने अपने विधायकों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे सदन के भीतर मजबूती से विपक्ष का असर दिखाएं।
इस निर्णय के साथ, राजद अब चुनाव की हार को पीछे छोड़कर, तेजस्वी यादव के नेतृत्व में संगठनात्मक कमजोरियों को दूर करने और जनता के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाकर भविष्य की राजनीति की तैयारी करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। बैठक में शामिल रहे परबत्ता के पूर्व विधायक डा. संजीव कुमार ने बताया कि निश्चित रूप से जो नतीजा सामने आया है, वह हैरान करने वाला है।
यह बिना किसी सेंटिंग के संभव नहीं है। लोग कह रहे हैं कि यह नीतीश कुमार के विकास की जीत है। तो मैंने भी अपने क्षेत्र में काफी विकास का काम किया था। लेकिन मैं खुद हार गया। डा. संजीव ने एक बार फिर हार के लिए ईवीएम से सेंटिंग का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बिना सेंटिंग किए यह संभव नहीं है।
चुनाव से पहले 65 सीटों की लिस्ट बनाई गई थी। जिसमें मेरी सीट भी थी। यह लिस्ट एक अधिकारी के पास थी। यह लिस्ट मैनें भी देखी है। इन 65 सीटों को टारगेट किया गया था। उन्होंने पार्टी के जीते विधायकों के वोटों के अंतर पर सवाल उठाते हुए कहा कि 25 विधायकों में कई ऐसे हैं, जो 50 हजार से ज्यादा वोटों से जीतने वाले हैं।
लेकिन 10-11 हजार वोटों के अंतर से जीते हैं। जो लोग कह रहे हैं कि राजद को समर्थन नहीं मिला, तो वोट प्रतिशत के आंकड़े बताते हैं कि राजद को 1.80 करोड़ वोट मिले हैं। जाहिर है कि पार्टी को अच्छे वोट मिले हैं।