पटना: बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक देखकर सियासी दलों के द्वारा शब्द बाणों की बौछार की जाने लगी है। रविवार को जदयू के विधान पार्षद संजय सिंह के द्वारा जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को सत्ता का लालची बताते हुए यह कहा गया था कि प्रशांत किशोर ने जदयू में रहते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उपमुख्यमंत्री पद की मांग की थी, जिसके बाद वह बागी हो गए। इस पर प्रशांत किशोर ने पलटवार करते हुए कहा है कि हम तो सीएम हाउस में रहते थे, जहां इनको जाने की अनुमति भी नहीं थी। ऐसे लोगों के बयानों पर क्या प्रतिक्रिया दें?
उल्लेखनीय है कि प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार का रिश्ता पुराना रहा है। 2015 में प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार और लालू यादव के महागठबंधन को ऐतिहासिक जीत दिलाई थी। 2018 में वह जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने, लेकिन मतभेदों के चलते 2020 में पार्टी से निकाल दिए गए। अब जन सुराज पार्टी के जरिए वह बिहार में नया राजनीतिक विकल्प तलाश रहे हैं। उनकी ‘जन सुराज पदयात्रा’ बिहार में बदलाव की मांग को लेकर चर्चा में है, लेकिन जदयू का कहना है कि यह सिर्फ सियासी ड्रामा है।
वहीं, प्रशांत किशोर के द्वारा अक्सर मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला किए जाने पर बीते रविवार को संजय सिंह ने प्रशांत किशोर पर निशाना साधते हुए उन्हें “महत्वाकांक्षी” और “कुर्सी का भूखा” बताया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने प्रशांत को बहुत सम्मान दिया, उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया। लेकिन, वह उपमुख्यमंत्री बनना चाहते थे। इनकार होने पर वह नीतीश की आलोचना करने लगे। संजय सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी महज एक “महंगा ब्रांडिंग प्रोजेक्ट” है, जो जनता के हित के लिए नहीं, बल्कि निजी स्वार्थ के लिए चल रहा है।
इसके बाद प्रशांत किशोर ने संजय सिंह के इन आरोपों का जवाब देते हुए खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि जब हम नीतीश जी से बात करते थे, तब संजय सिंह जैसे लोगों की वहां कोई वैल्यू थी क्या? वह जो बोल रहे हैं कि उनकी औकात थी कि वे सीएम हाउस में दाखिल हों?” वह कह रहे हैं कि मैं कुछ मांग कर रहा था कि इस दौरान वह वहां मौजूद थे क्या? प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि वह बिहार के लोगों के लिए काम कर रहे हैं, न कि कुर्सी के लिए। उन्होंने नीतीश सरकार पर भ्रष्टाचार और विकास के अभाव का आरोप लगाया, खासकर कल्याण बिगहा में, जहां उन्हें प्रशासन ने गांव में प्रवेश करने से रोका था।