पटनाः बिहार चुनाव में ‘एक्स फैक्टर’ कही जाने वाली पूर्व चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (जेएसपी) 238 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद 243 सदस्यीय विधानसभा में अपना खाता भी नहीं खोल पाई। निर्वाचन आयोग के अनुसार, जेएसपी के अधिकतर उम्मीदवारों को कुल डाले गए मतों के 10 प्रतिशत से भी कम वोट मिले हैं और उनकी जमानत जब्त हो गई है। प्रशांत किशोर की जनसुराज को 3.44% वोट मिले। 99% उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। 68 सीटों पर नोटा से भी कम वोट मिले। फिर भी वोट शेयर के मामले में पार्टी नवें स्थान पर रही जो कइयो से बेहतर है।
अब तक पार्टी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नवीन कुमार सिंह उर्फ अभय सिंह का रहा, जो मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र से दूसरे स्थान पर रहे। राजद के जितेंद्र कुमार राय ने यह सीट 27,928 मतों के अंतर से जीती। पूर्व चुनाव रणनीतिकार द्वारा गठित यह पार्टी जोरदार प्रचार अभियान तथा बेरोजगारी, पलायन और उद्योगों की कमी जैसे ज्वलंत मुद्दों को उठाने के बावजूद अपने पक्ष में वोट जुटाने में विफल रही।
आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 238 निर्वाचन क्षेत्रों में जेएसपी के अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने की संभावना है। कई सीट पर जेएसपी उम्मीदवारों के वोटों की संख्या नोटा (इनमें से कोई नहीं) श्रेणी से भी कम है। फोर्ब्सगंज विधानसभा सीट से जेएसपी उम्मीदवार मोहम्मद एकरामुल हक को मतगणना पूरी होने पर सिर्फ 977 वोट मिले, जबकि नोटा के तहत 3,114 वोट दर्ज किए गए।
बहुत कम जसुपा उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने 10 प्रतिशत से ज्यादा मत हासिल किए। इनमें चनपटिया सीट से त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ मनीष कश्यप शामिल हैं, जिन्हें 24वें चरण की गिनती के बाद 17.2 प्रतिशत मत मिले। मतगणना पूरी होने के बाद जोकीहाट सीट से सरफराज आलम को 16.26 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए।
भोजपुरी गायक रितेश पांडे भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में असफल रहे और उन्हें केवल 7.45 प्रतिशत वोट ही मिल सके। किशोर ने पहले दावा किया था कि उनकी पार्टी 150 सीट जीतेगी, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि सीटों की संख्या में या तो पार्टी शीर्ष पर होगी या सबसे निचले पायदान पर, लेकिन बिहार चुनाव में कोई बीच का रास्ता नहीं है।
जेएसपी बिहार के अध्यक्ष मनोज भारती ने कहा, ‘‘हम एक नई राजनीति शुरू करना चाहते थे और लोगों को बिहार की दुर्दशा के बारे में बताना चाहते थे। हमें शुरुआती दिनों से ही यकीन था कि अगर लोग हमारी बातों को समझेंगे तो हम शीर्ष पर होंगे अन्यथा सबसे नीचे।’’चुनावी रणनीतिकार बदलाव की मुहिम का नारा देकर सियासी पारी शुरू करने वाले प्रशांत किशोर नतीजों में कहीं भी नजर नहीं आए।
कहा जाए तो बिहार की जनता ने प्रशांत किशोर पर भरोसा नहीं किया। मतगणना में प्रशांत किशोर की वो रणनीति देखने को नहीं मिली, जिसके लिए वे चर्चित रहे हैं। जनसुराज् पार्टी रुझान से पूरी तरह गायब हो गई। बिहार के 243 विधानसभा में जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी पीछे रह गए। जनसुराज पार्टी की बुरा हाल सामने आया।
चुनाव परिणाम के बाद वोट प्रतिशत के मामले में भी सबसे पीछे है। चुनाव आयोग के वेबसाइट पर दिखने वाली परिणाम सूची से भी जनसुराज पार्टी गायब रही। चनपटिया से मनीष कश्यप और करगहर से रितेष पाण्डेय भी पीछे ही रह गए। वहीं मढ़ौरा से जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार नवीन कुमार सिंह उर्फ अभय सिंह भी कमाल नही दिखा पाए।
बता दें कि प्रशांत किशोर ने जनसुराज पद यात्रा की शुरुआत 2 अक्टूबर 2022 को की थी। उन्होंने पश्चिम चंपारण के भितिहारवा गांधी आश्रम से अपनी पद यात्रा शुरू की थी, जो लगभग 3000 किलोमीटर लंबी थी। प्रशांत किशोर जनसुराज पद यात्रा के दौरान तंबुओं से बनाए गए पदयात्रा कैंप में ही रात्रि विश्राम करते थे।
उन्होंने दिन की शुरुआत करने से पहले पत्रकारों से बातचीत करते थे और उस इलाके की समस्याओं की जानकारी लेते थे। प्रशांत किशोर जिस प्रखंड में होते थे, वहां के स्थानीय जन सुराज के प्रखंड समिति के सदस्यों के साथ मिलकर बात करते थे। प्रशांत किशोर ने अपनी दो महीने की पदयात्रा के दौरान लगभग पांच हजार से अधिक गांवों में जाकर संवाद किया था।
इसके बाद उन्होंने जन सुराज पार्टी की स्थापना की। प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव में मतदाताओं से राज्य के विकास, शिक्षा और रोजगार के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस बार नया विकल्प ‘जन सुराज पार्टी’ को चुनने की अपील की थी, इसके साथ ही मतदाताओं से अपने बच्चों के भविष्य के लिए वोट करने का आग्रह किया था, न कि पारंपरिक राजनीतिक दलों या नेताओं के बच्चों के लिए।
बताया जाता है कि प्रशांत किशोर एक दिन में लगभग 18 से 22 किमी का सफर तय करते थे और शाम को दूसरे कैंप में पहुंच जाते थे, इस दौरान वे 6 से 7 गांवों और पंचायतों में सभा को संबोधित करते थे। प्रशांत किशोर अपनी पदयात्रा के दौरान जनता की सवालों का जवाब तसल्ली से देते थे।
प्रशांत किशोर दिन भर दूरी तय करने के बाद सैकड़ों पदयात्रियों के साथ कैंप पहुंचते थे और वहां सैकड़ों की सख्या में मौजूद स्थानीय लोगों को कैंप में संबोधित करते थे। इस बीच प्रशांत किशोर के एक बयान की खूब चर्चा हो रही है। साथ ही सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे हैं। चर्चा होने लगी क्या अब क्या सियासत में एंट्री के साथ ही एग्जिट कर जाएंगे प्रशांत किशोर!
क्योंकि चुनाव आयोग के रुझानों में जन सुराज का एक भी प्रत्याशी आगे नहीं नजर आ रहा है। अब आपके मन में ये सवाल जरुर आ रहा होगा कि आखिर कौन सा प्रशांत किशोर का बयान है, जिसकी चर्चा हो रही है? दरअसल, जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कई मीडिया हाउस के दिए अपने इंटरव्यू में कहते थे कि जदयू को अगर 25 सीट आ गई तो राजनीति से सन्यास ले लूंगा।
इतना ही नहीं, वह यहां तक कहते थे कि इस बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनने जा रहे हैं। अब प्रशांत किशोर के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी है। अब यूजर पूछ रहे हैं कि क्या प्रशांत किशोर के सियासत से संन्यास लेने का समय आ गया है।