पटनाः बिहार में सत्तारूढ़ जदयू में आर-पार की लड़ाई पर उतरे पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आखिरकार दल को बाय-बाय कर दिया। पटना में अपने समर्थकों के साथ दो दिनों की विशेष बैठक में कई तरह के सुझाव और सलाह दी गई, जिसके बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने यह ऐलान किया।
उन्होंने राष्ट्रीय लोक जनता दल की नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी। उन्होंने जदयू के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और विधान पार्षद के पद से भी इस्तीफा देने की घोषणा की। उन्होंने अपने फैसले की जानकारी नीतीश कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को दे दी है।
मीडिया से आज रूबरू होते हुए उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि आज से नई पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थिति में वे दो साल पहले नीतीश कुमार के साथ आये थे, पर अब उनके साथ रहना उनके और बिहार के हित में नहीं है। इसलिए अब वे फिर से नई शुरुआत करने जा रहे हैं। तीसरी बार जदयू से ब्रेकअप हुआ है।
नीतीश कुमार अपने घर के बजाय पड़ोसी के घर से राजनीतिक विरासत की घोषणा कर रहे हैं। कुशवाहा ने कहा कि दो दिनों से पटना कार्यकर्ताओं के साथ चली बैठक में मुझे अपने साथियों से जो फीडबैक मिला उसके आधार पर अब नई पार्टी बनाने का समय आ गया है।
उन्होंने कहा कि बैठक में शामिल होने पहुंचे जदयू के कई कार्यकर्ताओं ने वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति को देखते हुये मुझसे अलग पार्टी बनाने का निवेदन किया। ऐसे में कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए हमलोगों ने नई पार्टी के गठन का निर्णय ले लिया है। कुशवाहा ने कहा कि बिहार में तेजस्वी यादव को सत्ता सौंपने का फैसला इस राज्य को बर्बाद कर देगा।
बिहार में फिर से जंगलराज वापस आयेगा। उन्होंने कहा कि समता पार्टी और जदयू का गठन ही जंगलराज को खत्म करने के लिए हुआ था। जदयू के कार्यकर्ता जंगलराज को वापस नहीं आने देंगे। जननायक की विरासत संभालने की जिम्मेवारी लोगों ने लालू यादव को दी। शुरुआती दौर में लालू ने जनता के हितों को उठाया लेकिन बाद में उनमें भटकाव आ गया।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार ने शुरुआती दौर में बहुत बेहतर काम किया। लेकिन बाद में अंत बुरा हो गया। अंत बुरा तो सब बुरा। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अपने मन से फैसला नहीं ले रहे हैं। उन्हें दो-तीन लोगों के कॉकस ने घेर लिया है।
वे ही नीतीश कुमार से फैसले करवा रहे हैं। कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने कई दफे नीतीश कुमार को बताया कि पार्टी कमजोर हो रही है। उन्हें जदयू के कार्यकर्ताओं की भावना से अवगत कराया लेकिन कोई बात नहीं सुनी गयी। ऐसे में अब कोई दूसरा रास्ता नहीं बच गया था।