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महिला मतदाता पर नजर, नकद राशि से लेकर कई घोषणाएं, 2025 में 15 लाख नई महिला वोटर, जानें किस दल के पास क्या लॉलीपॉप?

By एस पी सिन्हा | Updated: September 29, 2025 14:03 IST

विपक्ष भी महिलाओं को लुभाने के लिए बड़े वादे कर रहे हैं। चुनावी रण में इस बार महिलाएं सिर्फ मतदाता नहीं, बल्कि किंगमेकर बनकर उभर रही हैं।

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ठळक मुद्देबिहार के सियासी के अखाड़े में इस बार आधी आबादी पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर होकर उतर रही है।आंकड़े बताते हैं कि बिहार में पिछले एक साल में करीब 15 लाख नई महिला मतदाता जुड़ी हैं।महिलाएं न सिर्फ चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं।

पटनाः बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन और विपक्ष के महागठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला है। ऐसे में सभी पार्टियां महिला मतदाताओं के वोट पाने के लिए कई जतन कर रही हैं। महिलाओं के लिए नकद राशि से लेकर कई घोषणाएं की जा रही हैं। इसका कारण यह है कि बिहार की सियासत में अब महिलाओं की भूमिका निर्णायक होती जा रही है। आधी आबादी के वोट की ताकत को समझते हुए नीतीश सरकार ने महिलाओं के लिए योजनाओं की झड़ी लगा दी है। नीतीश कुमार ने भत्ता के जरिये सत्ता के लिए रोजगार, उद्यमिता, भत्ता, पेंशन से लेकर आरक्षण देने की घोषणा कर रही है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष भी महिलाओं को लुभाने के लिए बड़े वादे कर रहे हैं। चुनावी रण में इस बार महिलाएं सिर्फ मतदाता नहीं, बल्कि किंगमेकर बनकर उभर रही हैं।

कहा जाए तो बिहार के सियासी के अखाड़े में इस बार आधी आबादी पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर होकर उतर रही है। आंकड़े बताते हैं कि बिहार में पिछले एक साल में करीब 15 लाख नई महिला मतदाता जुड़ी हैं। यह सिर्फ संख्या का बढ़ना नहीं है, बल्कि चुनावी नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित करने वाला कारक है। दरअसल, महिलाएं न सिर्फ चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं।

बल्कि इन्हें 'साइलेंट वोटर' भी माना जाता है। कहा जाता है कि महिलाएं चुपचाप जातियों और समुदायों से परे अपनी पसंद के नेता को वोट दे आती हैं। यही वजह है कि जातिगत समीकरणों के अलावा महिला मतदाताओं पर सभी पार्टियों की नजर रहती हैं। बीते चुनावों में भी महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान की थी और अब यह रुझान और तेज हो चुका है।

यही वजह है कि सभी राजनीतिक दल महिला मतदाताओं को साधने की नई रणनीति बनाने में जुट गए हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव तक बिहार में कुल महिला मतदाताओं की संख्या 3 करोड़ 57 लाख 71 हजार 306 थी। विधानसभा चुनाव 2025 आते-आते यह आंकड़ा बढ़कर 3 करोड़ 72 लाख 57 हजार 477 हो गया है। यानी एक साल में 14 लाख 86 हजार से ज्यादा नई महिलाएं मतदाता सूची में जुड़ी हैं।

विशेष रूप से मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, वैशाली और सीतामढ़ी जैसे जिलों में महिला मतदाताओं का उभार और भी चौंकाने वाला है। इन जगहों पर 50 हजार से अधिक नई महिला मतदाता जुडी हैं। इन जिलों में चुनावी समीकरण बदलना अब महिला मतदाताओं की सक्रियता पर ही निर्भर करेगा। बता दें कि बिहार में कुल 7.64 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से 3 करोड़ 72 लाख 57 हजार 477 करोड़ महिलाएं हैं।

यहां महिला मतदाताओं की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि पिछले कुछ चुनावों में महिलाएं बढ़-चढ़कर मतदान कर रही हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में 243 में 167 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट डाले थे। 2015 में तो 202 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया था। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी महिला मतदान पुरुषों से 3 प्रतिशत ज्यादा था।

चुनाव आयोग के अनुसार राज्य में पुरुष मतदाताओं की संख्या 4 करोड़ है। इस बार विधानसभा चुनाव में 9.26 लाख मतदाता पहली बार मतदान करेगे। वहीं, राज्य के 20 से 29 साल के युवा मतदाताओं की संख्या 1.6 करोड़ बताई गई है। आयोग के अनुसार बिहार में 21,680 मतदाता 100 साल से अधिक उम्र के हैं।

वहीं, राज्य में कुल वरिष्ठ(सीनियर सिटीजन) मतदाताओं की संख्या 14.5 लाख है। इसके अलावा राज्य में 6.3 लाख दिव्यांग मतदाता भी हैं। जानकारों के अनुसार महिला मतदाताओं की निर्णायक भूमिका किसी भी सीट पर जीत और हार का फासला तय कर सकती है। यही वजह है कि दल अब महिलाओं को साधने के लिए नई-नई योजनाओं और वादों का खाका तैयार कर रहे हैं।

महिलाएं इस बार सिर्फ मतदाता नहीं हैं, बल्कि एजेंडा सेट करने वाली शक्ति के रूप में उभर रही हैं। शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर उनकी आवाज बुलंद हो रही है। छात्राओं और महिला समूहों ने विधानसभा में महिला प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग तेज कर दी है। चुनावी बहस अब सिर्फ जातीय समीकरण या विकास के वादों तक सीमित नहीं रह जाएगी,

बल्कि महिलाओं की प्राथमिकताओं पर भी केंद्रित होगी। सियासत के जानकारों का कहना है कि बढ़ती महिला भागीदारी राजनीतिक दलों के लिए एक चेतावनी भी है। 15 लाख से अधिक नई महिला मतदाता आधी आबादी अब सिर्फ “संख्या” नहीं, बल्कि सशक्त राजनीतिक आवाज बन चुकी है, जिसे अनसुना करना किसी भी दल के लिए भारी पड़ सकता है।

इस बीच जदयू की प्रवक्ता अंजुम आरा ने कहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं। इन योजनाओं से बड़ी संख्या में महिलाओं को लाभ मिला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण देने का काम किया।

उन्होंने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना भी शुरू की है, जिसके तहत पात्र महिलाओं को पहली किस्त के रूप में 10,000 रुपये दिए जाने लगे हैं। बाद में 2 लाख रुपये की अतिरिक्त सहायता प्रदान करने का भी प्रावधान है। उन्होंने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य बन गया है, जहां पुलिस बल में अधिक महिलाएं नियुक्त की गई हैं।

अंजुम आरा ने कहा कि लालू-राबडी शासनकाल को याद किजीए जब महिलाएं शाम होते ही घरों में कैद होने को विवश हो जाती थीं। लेकिन अब रात हो या दिन महिलाएं बेधडक चल रही हैं। वहीं, राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि राजद नेता तेजस्वी यादव ने महिलाओं के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया है।

इनमें बेटी के जन्म से लेकर रोजगार तक की योजना और माई-बहन मान योजना शामिल है, जिसमें महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये दिए जाएंगे। महिलाओं के लिए 1,500 रुपये पेंशन और 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने का भी ऐलान किया गया है। इसके अलावा उन्होंने लड़कियों के लिए आवासीय कोचिंग संस्थान, खेल प्रशिक्षण और मुफ्त परीक्षा फॉर्म जैसी घोषणाएं भी की गई हैं।

उन्होंने कहा कि आज बिहार में महिला-बेटियों के खिलाफ आपराधिक घटनाओं की बाढ आई हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेबस हो कर सत्ता चला रहे हैं। जबकि आपराधिक घटनाएं लगातार बढती जा रही हैं। एजाज अहमद ने कहा कि राजद के सत्ता में आते ही महिलाओं-बेटियों के कल्याण के लिए सौगातों की बारिश कर दी जाएगी।

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