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बिहार: पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने के मुहिम में जुटी भाजपा, 26 नवंबर को पटना में होगा कार्यक्रम

By एस पी सिन्हा | Updated: November 22, 2022 17:21 IST

बिहार में जदयू से अलग होने के भाजपा की नजर पसमंदा मुसलमानों पर है, जिनकी आबादी मुस्लिमों में लगभग अस्सी प्रतिशत के आसपास है।

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ठळक मुद्देबिहार भाजपा 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर पसमांदा मुस्लिमों के लिए कार्यक्रम करेगीबिहार में जदयू से अलग होने के भाजपा की नजर अब पसमंदा मुसलमानों पर हैबिहार में पसमांदा मुसलमानों की आबादी कुल मुस्लिम आबादी के लगभग अस्सी प्रतिशत है

पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा पसमांदा मुसलमानों पर भाजपा को ध्यान देने के दिए गए टिप्स के बाद अब 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर भाजपा बिहार की राजधानी पटना में कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है। इसके तहत भाजपा ने ईबीसी, दलितों, आदिवासियों और पसमांदा मुसलमानों के प्रतिभागियों को एकसाथ लाने के प्रयास में जुटी है।

दरअसल, बिहार में जदयू से अलग होने के भाजपा की नजर पसमंदा मुसलमानों पर है, जिनकी आबादी मुस्लिमों में लगभग अस्सी प्रतिशत के आसपास है। ऐसे में भाजपा की नजर अब इस समाज पर टिक गई है। उत्तर प्रदेश में पसमांदा समाज के लोगों ने भाजपा के तरफ झुकाव के संकेत भी दिये थे।

जानकारों के अनुसार यह सुमदाय बिहार में अभी तक महागठबंधन का वोट बैंक माना जाता है। लेकिन अब भाजपा इन्हें तोडने की रणनीति पर काम करने लगी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता व विधान पार्षद संजय पासवान इस आयोजन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं। उनके देखरेख में यह कार्यक्रम होने जा रहा है।

संजय पासवान का कहना है कि पिछले कई साल से पसमांदा मुस्लिमों को विकास से महरूम रखा गया है, जबकि इनके वोट बैंक को अपने पाले में कर कभी कांग्रेस तो कभी राजद और जदयू ने बिहार में सरकार बनाई। लेकिन जब इनको हक देने की बारी आती है तो राजनीतिक दल कन्नी काट लेते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार ने अभी तक पसमांदा मुस्लिमों के विकास के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई, जिसकी वजह से आज भी ये तबका विकास से कोसों दूर है।

पासवान के अनुसार पसमांदा मुस्लिम की बड़ी आबादी धर्मांतरण कर मुस्लिम बने हैं, जो पहले हिंदू थे। इस वजह से भी हमें उम्मीद है कि वो हमारी बातों को ठीक-तरीक़े से समझ पाएंगे। इसबीच पूर्व सांसद और ऑल इंडिया पसमंदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अली अनवर का कहना है कि इस समाज को उसका हक नहीं मिल पाया है और सिर्फ इसे वोट बैंक समझा गया। लेकिन अब पसमांदा वोट बैंक बनने को तैयार नहीं है।

अली अनवर ने बताया कि कुछ महीना पहले प्रधानमंत्री को एक पत्र भी लिख था और पसमांदा मुस्लिमों के विकास और हक के लिए मांग की थी। एक अनुमान के मुताबिक बिहार में कुल मुस्लिम जनसंख्या में से करीब 80 प्रतिशत मुसलमान पसमांदा समुदाय से आते हैं।

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