पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रथम चरण का मतदान 6 नवंबर को होने जा जा रहा है। 121 विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे मतदान में मुख्य मुकाबला महागठबंधन बनाम एनडीए ही देखा जा रहा है। हालांकि प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में लगी है। महागठबंधन में कांग्रेस, राजद, वीआईपी, वाम दल और आईआईपी मिलकर चुनाव लड़ रही है। महागठबंधन में टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच काफी खींचतान देखने को मिली। इसके बाद सीटों पर सहमति बनते ही कांग्रेस के अंदर टिकट बंटवारे को लेकर बगावत की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
ऐसे में कांग्रेस के अंदर पनप रहे असंतोष को दूर करने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने अपने राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडेय को बिहार में बतौर संकट मोचक बनाकर भेजा है। अविनाश पांडेय ने आते ही अपने नेताओं-कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करते हुए चुनावी मैदान में कांग्रेस का हाथ मजबूत करने में लगा दिया।
बतौर संकट मोचक कांग्रेस की स्थिति मजबूत करने में जुटे अविनाश पांडेय ने लोकमत से बातचीत की। प्रस्तुत है कुछ अंश-
सवाल-बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अभी प्रथम चरण के लिए मतदान होने जा रहा है। इन दिनों में आपने क्या महसूस किया?
बिहार में होने जा रहा यह चुनाव न केवल बिहार के लिए बल्कि पूरी देश के लिए महत्वपूर्ण होने जा रहा है। प्रथम चरण के लिए 121 सीटों पर होने जा रहा मतदान में अधिकतर सीटों पर महागठबंधन बहुत अच्छी स्थिति मेम चुनाव लड रहा है और मैं समझता हूं कि इनमें से 74-75 सीटों पर महागठबंधन के चुनाव प्रबंधन से बहुत अच्छी संभावना बनने जा रही है।
सवाल- पहले चरण में आपके कितने उम्मीदवार मैदान में हैं और इनमें से कितनी सीटों पर आप अपनी स्थिति मजबूत समझ पा रहे हैं?
मैं इसको इस प्रकार से रखना चाहूंगा कि महागठबंधन पूरे समन्वय के साथ चुनाव लड रहा है और इसमें 24 कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, जिनका परीक्षण लेकिन उसमें हमने आकलन हाल ही में किया हुआ है। मतदान समाप्त होने के बाद हम और बेहतर ढंग से बता पायेंगे। लेकिन मैं टोटलीटि में कहूं तो सरकार महागठबंधन की बनने जा रही है और प्रथम चरण में इंडिया गठबंधन 74-75 सीटों पर चुनाव बेहतर स्थिति में चुनाव लड रहा है। अधिकांश सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार चुनाव जीतने जा रहे हैं।
सवाल -पहले चरण में आप 5 सीटों पर दोस्ताना संघर्ष के तौर पर मैदान में हैं। आप इसको किस रूप में ले रहे हैं?
जहां तक आपने दोस्ताना संघर्ष को मैंने अलग रखा है। उसमें सभी सीटों पर अच्छी संभावना बन रही है और आपसी सहमति बातचीत से हम लोग बेहतर व्यवस्था करके चुनाव मैदान में हैं और कई सीटों पर सहयोगी दलों के उम्मीदवारों ने साथ दे दिया है और अन्य सीटों पर भी हम इस प्रयास में जुटे हैं कि दूसरे चरण के मतदान 11 नवंबर से पहले जो तीन चार सीटें बचती हैं, उन पर भी हम साथ-साथ आ जाएं। बेहतर समन्वय स्थापित कर लेंगे।
सवाल- क्या आप महसूस कर रहे हैं कि महागठबंधन में सीटों के तालमेल को लेकर जो देरी हुई, इससे जनता में जो संवाद गया वह गलत प्रभाव डाल सकता है?
हर चुनाव की एक रणनीति होती है और बिहार के चुनाव में एक रणनीति के तहत जो समयावधि में जो निर्णय लेना था, वह समय अवधि के अंदर ही लिए गए। इस चुनाव का उद्देश्य यह है कि देश के लिए एक महत्वपूर्ण चुनाव है और इसमें बेहतर समन्वय ही कारगर साबित हो सकता है। निर्णय बेहतर तरीके से लिए गए हैं और जहां तक एनडीए की सरकार की बात है तो एंटी इनकंबेंसी इस सरकार के खिलाफ ज्यादा देखने मो मिल रहा है। काफी नाउम्मीदी इस प्रदेश के युवाओं में देखी जा रही है।
किसी प्रकार की नौकरी की कोई संभावना उन्हें नजर नही आ रही है। पलायन रूकने का नाम नही ले रहा है। आज भी बिहार में तीन करोड़ 48 लाख से ज्यादा हमारे भाई बहन अपना पेट पालने के लिए बाहर जा कर काम कर रहे हैं। उन्हें बिहार में ही अवसर मिलना चाहिए था।
सवाल- पिछली बार कांग्रेस बिहार में 70 सीटों पर उतरी थी। लेकिन इस बार 61 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा? ऐसा क्यों
त्याग और समर्पण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। त्याग किया जाता है जब कुछ चीजों को बेहतर चीजों को पाने के लिए अगर कुछ चीजें बेहतर हैं, आवश्यक हैं, तो समर्पण के रूप में ही वो आती हैं। एक राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते। मैंने यह कहना चाहूंगा कि 2020 और 2025 के राजनीतिक समीकरण में भी बहुत फर्क है।
उस समय का गठबंधन के दलों की तुलना में इस बार सहयोगियों की संख्या बढी है। ऐसे में सीटें तो बढ़ नही सकती हैं। ऐसे में जितनी सीटें हैं, बंटवारा तो उनमें ही करना पडेगा। इसतरह कांग्रेस के हिस्से में 61 सीटें आई हैं और हम लोग सभी जगहों पर मजूती के साथ चुनाव लड रहे हैं। एक नया नई सोच एक नई राजनीतिक करवट लेने जा रहा है।
उसके चलते हुए आपको निश्चित रूप से परिवर्तन दिखेगा विजय के रूप में बेहतर प्रदर्शन के रूप में क्योंकि राजनीति आज खत्म नहीं होनी है। कांग्रेस में राहुल गांधी जी ने हमेशा दूर की सोच रखी हुई है। झूठ का अनंतकाल नहीं होता, सच ही एक चीज है जो अनंतकाल चलती है और झूठ का पर्दाफाश होगा और बिहार के अंदर में आपको एक परिवर्तन निश्चित रूप से मुझे दिख रहा है।
सवाल- अब दूसरे चरण के लिए मतदान के लिए भी कम समय बचे हैं। ऐसे में चुनाव प्रचार में आप कितनी शक्ति लगाने जा रहे है?
पहले चरण में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय मल्लिकार्जुन खडगे जी, आदरणीय राहुल जी और प्रियंका गांधी जी लगातार चुनाव प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। अभी इन सभी लोगों के द्वारा धुआंधार चुनाव प्रचार कर जनता के बीच यह संवाद देने का प्रयास किया जायेगा कि यह सरकार आपके हित की बात नहीं कर सकती है।
इंडिया गठबंधन के लोग ही जनता की भलाई कर सकते हैं। झूठ का अनंतकाल नहीं होता, सच ही एक चीज है जो अनंतकाल चलती है और झूठ का पर्दाफाश होगा और बिहार के अंदर में आपको एक परिवर्तन निश्चित रूप से मुझे दिख रहा है। मैं बहुत स्पष्ट रूप से कहूंगा कि जब कभी भी भाजपा या जदयू आज स्पष्ट रूप से आप देखेंगे कि बहुत एक कमजोर आधार पर ये चुनाव लड़ रही है।
भले ही वो सरकार में है लेकिन लोगों की विश्वसनीयता वो खो चुके हैं। इसके चलते हुए राहुल गांधी जी की जो मतदाता अधिकार यात्रा जो यहां थी उसने पूरे प्रदेश के अंदर में एक परसेप्शन तैयार किया जिससे न ही सिर्फ बिहार में लेकिन देश के हर राज्य में इससे एक सुरसुराहट पैदा हुई और लोगों में एक जागृति आई।
सवाल -चुनाव के बाद अगर ऐसी स्थिति बनती है कि किसी भी दल को बहुमत नही मिले और नीतीश कुमार फिर कांग्रेस के साथ आना चाहें तो क्या आप स्वीकार करेंगे।
यह तो समय ही बतायेगा कि उस वक्त क्या स्थिति बनती है। हां, अगर ऐसी बात आई को हमारा केन्द्रीय नेतृत्व इसपर विचार कर सकता है। हालांकि इसपर फिलहाल कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगा। मैं तो मानता हूं कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है। बिहार के लिए इस सरकार की नाकामियों से आजिज आ चुके हैं, ऐसे में परिवर्तन तय माना जा रहा है।