पटनाः बिहार में सरकार गठन को एक साल हो गया है. 17वीं विधानसभा में जीतकर आए विधायक जनता के प्रतिनिधि के तौर पर सत्ताधारी दल व विरोधी दल के साथ अपनी सहभागिता निभा रहे हैं. लेकिन कई ऐसे विधायक हैं, जिनके आगे जनता की आवाज भी बौनी साबित होती है.
इसका कारण यह है कि बिहार विधानसभा में 243 विधायकों में से 123 विधायकों पर गंभीर किस्म के आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनको पांच साल की सजा से लेकर अन्य दंड मिल सकती है. वहीं, 163 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. बताया जाता है बिहार में करीब दो तिहाई विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि 81 प्रतिशत विधायक करोड़पति हैं.
चुनाव सुधारों पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 163 (68 फीसदी) विधायकों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है. वहीं, 123 (51 प्रतिशत) विधायकों ने बताया है कि उनके खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध समेत संगीन धाराओं में मामले दर्ज हैं.
इसमें राजद के 74 में से 54 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. जबकि भाजपा के 73 में से 47 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इसके अलावा जदयू के 43 में से 20, कांग्रेस के 19 में से 16, भाकपा (माले) के 12 में से 10 और एआईएमआईएम के सभी पांचों विधायकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं.
इसमें से राजद के 74 में से 44, भाजपा के 73 में से 35, जदयू के 43 में से 11, कांग्रेस के 19 में से 11, भाकपा(माले) के 12 में से आठ और एआईएमआईएम के सभी पांचों विधायकों के खिलाफ खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं.