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Bhagat Singh Jayanti 2024: सत्यम-शिवम-सुंदरम का आव्हान?, शहीद भगत सिंह विचार मानवता के पक्ष में...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 27, 2024 13:33 IST

Bhagat Singh Jayanti 2024: भारत के महान क्रांतिकारी और देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले भगत सिंह का जन्म।

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ठळक मुद्देBhagat Singh Jayanti 2024: भगत सिंह बहुत छोटी उम्र से ही आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए।Bhagat Singh Jayanti 2024: ब्रिटिश हुक्मरान ने 23 मार्च 1931 को 23 बरस के भगत सिंह को फांसी पर लटकाया।Bhagat Singh Jayanti 2024: भारत माता के लाड़ले पुत्र और अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले।

विवेक दत्त मथुरिया

देश मे ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध बगावत की अलख जागने लिए 23 साल की अल्पायु में अपने  प्राणों की आहुति देकर शहीद-ए-आजम भगतसिंह ने देशभक्ति जो मिशाल पेश की वह अतुलनीय है। आज इन्हीं शहीद-ए-आजम भगतसिंह का जन्मदिन हैं। यहाँ बड़ा सवाल यह है कि आज का शिक्षित युवा भगतसिंह के कृतित्व, व्यक्तित्व और राजनीतिक विचारों से कितना परिचित हैं? युवाओं को अगर सबसे कम जानकारी है तो वह शहीद भगत सिंह के ही बारे में। इसके पीछे एक बड़ी वजह देश का मध्यवर्गीय चरित्र है।

मध्यवर्गीय चरित्र से मतलब यह है कि वह दूषित, सड़ी गली व्यवस्था से मुक्ति की प्रबल कामना लिए पड़ोसी के लड़के को भगतसिंह के रूप कुर्बानी देते देखना चाहता है। और अपने बेटे को बेहतर,सुंदर, सम्रद्ध भविष्य के लिए साम्राज्यवादी संस्कृति के ध्वजवाहक अमेरिका और इंग्लैंड  भेजने की जुगत में व्यस्त रहते हैं।

आजादी से पहले और बाद में बदले हुए सामुहिक चरित्र में अपवादों को छोड़कर जो मोटा चरित्र देखने को मिलता है, वह है लाल और दलाल का। आजादी से पहले लाल और आजादी के बाद दलाल मध्यवर्ग के आदर्श हुए। मध्यवर्ग की यह दोगली सोच हमारे युवाओं पर नजर आ रही है। मौजूदा दौर में युवाओं के पास व्यवस्थागत शोषण को लेकर जीवन से जुड़े मौलिक सवाल नहीं है।

सवाल जब होंगे जब पीड़ा का एहसास होगा। एहसास तब होता है जब अपने देश, समाज, परिवार से प्रेम होगा। प्रेम आदमी को बागी बनाता है। बिना प्रेम के आदमी चोर, डकैत, लुटेरा, दलाल बन सकता है,  पर अपनों के शोषण पर बागी नहीं। बागी का अभिप्राय ही क्रांतिकारी है। भगतसिंह के राजनीतिक विचार साम्राज्यवाद के विरुद्ध और मानवता की हिमायत खुली बगावत है।

भगतसिंह के व्यक्तित्व का सबसे अद्वितीय पक्ष यह था कि 23 साल की अल्पायु में मानवतावादी विचारों को लेकर उनका नजरिया वैश्विक और सार्वभौमिक था। भगतसिंह के राजनीतिक विचार आज उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय मे थे। उनके विचारों की प्रासंगिकता का यह खतरा आज भी बना हुआ है।

इसलिए नवसाम्राज्यवादी और पूंजीवादी व्यवस्था ने  बाज़ार के माध्यम युवाओं को अपने आकर्षण में जकड़ रखा है। वही वजह है कि युवा शहीद भगत सिंह के बारे गहरे तक नहीं जानते। युवाओं को चाहिए कि भगत सिंह के राजनीतिक विचारों से एक मुलाकात करनी चाहिए। तभी तो समझ मे आएगा कि हम किस भरम में जी रहे हैं। शहीद भगत सिंह के विचार मानवता के पक्ष में सत्यम शिवम सुंदरम का आव्हान है।

टॅग्स :भगत सिंहपाकिस्तान
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