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बालाघाट संसदीय क्षेत्र में चुनाव लड़ने बदलते रहे दल, जानिए पूरा लेखा-जोखा

By राजेंद्र पाराशर | Updated: April 19, 2019 06:10 IST

मध्यप्रदेश के बालाघाट संसदीय क्षेत्र में एक नेता ऐसा भी है, जो चुनाव जीतने के लिए दल बदलता रहा है, मगर हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा

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मध्यप्रदेश के बालाघाट संसदीय क्षेत्र में एक नेता ऐसा भी है, जो चुनाव जीतने के लिए दल बदलता रहा है, मगर हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा. जीत मिली भी तो निर्दलीय प्रत्याशी की रुप में. हर चुनाव की तरह इस बार फिर उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरें हैं, वैसे इस बार के चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली थी, मगर बसपा की रणनीति में ऐसे उलझे कि उन्हें हाथी चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरना पड़ा.

मध्यप्रदेश की बालाघाट संसदीय क्षेत्र में जुझारु नेता के रुप में पहचान बना चुके कंकर मुंजारे एक ऐसे नेता के रुप में उभरे हैं जो 1989 से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. अगर वे नहीं लड़े तो उन्होंने अपनी पत्नी अनुभा मुंजारे को मैदान में उतारा, मगर लोकसभा का चुनाव जरुर लड़ते रहे हैं. मुंजारे वैसे तो राजनीति में 1980 से सक्रिय हैं, उन्होंने 1980 में क्रांतिकारी मजदूर परिषद का गठन किया और 1980 में वे विधानसभा पहुंचे. इसके बाद उन्होंने लोकसभा का चुनाव 1989 में निर्दलीय रुप में बालाघाट से लड़ा और जीते भी. इस चुनाव में मिली जीत के बाद कभी विधानसभा तो कभी लोकसभा का चुनाव लड़ते आ रहे हैं. विधानसभा में तो वे तीन बार विधायक चुनकर पहुंचे, मगर लोकसभा में कंकर एक ही बार पहुंच पाए. 1989 के बाद 1991, 1996, 2004, 2009, 2014 और अब 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मैदान में हैं. हर बार कंकर दल बदलकर जीत का प्रयास करते रहे, मगर उन्हें जीत हासिल नहीं हुई. इस बार (2019) समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं, मगर उन्हें मजबूरी में बसपा के चुनाव निशान हाथी के साथ मैदान में उतरना पड़ा. वैसे वे साइकिल के निशान पर ही चुनाव मैदान में उतरना चाहते थे, मगर उन्हें इस बार फिर चुनाव निशान बदलकर मैदान में उतरना पड़ा.

यह रही चुनाव चिन्ह बदलने वजह

लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने गठबंधन के तहत प्रत्याशी मैदान में उतारने का फैसला लिया था. इस फैसले के तहत सपा के खाते में बालाघाट, टीकमगढ़ और खजुराहो सीट आई थी, मगर एनवक्त पर बसपा की प्रदेश इकाई ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर दबाव डालकर यह सीट अपने खाते में ले ली.

बसपा यहां प्रत्याशी भी घोषित कर चुकी थी, मगर सपा प्रमुख अखिलेश यादव से चर्चा के बाद बसपा ने प्रत्याशी बदलने का फैसला लिया. मायावती और अखिलेश के बीच हुई चर्चा के बाद बालाघाट में सपा नेता कंकर मुंजारे को बसपा के चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतारने का फैसला लिया.

कंकर कब, किस दल से उतरे मैदान में

सन् दल परिणाम

1989 निर्दलीय जीते

1991 जनता दल हारे

1996 क्रांतिकारी समाजवादी मंच हारे

2004 जनता पार्टी हारे

2009 राष्ट्रीय जनता दल हारे

2014 समाजवादी पार्टी हारे

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