कोलकाताः भाजपा का साथ छोड़ पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थामने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की।
कोलकाता में सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद टीएमसी नेता बाबुल सुप्रियो ने कहा कि मैं मिलकर बहुत खुश हूं। स्नेह और गर्मजोशी के साथ ममता बनर्जी ने टीएमसी परिवार में मेरा स्वागत किया। मैं दीदी और अभिषेक को धन्यवाद देना चाहता हूं।
यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए सर्वसम्मति से विपक्षी उम्मीदवार बन सकती हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘क्या आप इससे सहमत नहीं कि वह देश की सबसे लोकप्रिय हस्ती हैं?’’ 2015 के विवाद पर टिप्पणी करते हुए, जब उन्होंने एक कार्यक्रम के बाद राजभवन जाने के रास्ते में बनर्जी के साथ कार में 'झालमुरी' साझा किया था, तो सुप्रियो ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र की कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर चर्चा की थी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो ने कहा कि जिंदगी ने सार्वजनिक मामलों से ‘रिटायर्ड हर्ट’ (सक्रिय न रहने) होने की आशंका के बजाए उनके लिये एक नया रास्ता खोल दिया है। सुप्रियो ने कहा कि उन्हें किसी को कुछ साबित नहीं करना है और वह 2014 में आसनसोल से भाजपा के टिकट पर सांसद बनने के बाद से ही जमीनी स्तर की राजनीति करते रहे हैं।
सुप्रियो ने कहा, ‘‘सार्वजनिक जीवन से ‘रिटायर्ड हर्ट’ होने की संभावना के बजाए जिंदगी ने मेरे लिये एक नया रास्ता खोल दिया है। मुझे उस पार्टी (टीएमसी) से काफी प्यार और समर्थन मिला है, जिसके साथ मेरे रिश्ते खराब रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘रिटायर्ड हर्ट होने की भावना तक आई जब मैं राजनीति छोड़ना चाहता था। लेकिन, मैंने पिछले चार दिनों में अपना फैसला बदल दिया... मुझे बड़ा मौका देने के लिए मैं ममता दीदी (मुख्यमंत्री ममता बनर्जी) और अभिषेक (बनर्जी) को धन्यवाद देता हूं। यह पूरी तरह से अप्रत्याशित था।’’
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद से हटाए जाने के बाद कई हफ्तों तक कभी नरम तो कभी गरम तेवर दिखाने वाले भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो ने शनिवार को टीएमसी का दामन थामकर लोगों को चौंका दिया था। आसनसोल संसदीय सीट से दूसरी बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे सुप्रियो ने पूर्व में कहा था कि वह राजनीति छोड़ देंगे। हालांकि, भाजपा नेतृत्व ने बाद में उन्हें लोकसभा का सदस्य बने रहने के लिये मना लिया था।