बाबरी विध्वंस मामले में फैसले पर VHP ने कहा- 28 साल लगे पर ये सत्य की जीत, कारसेवकों को ढांचा गिराने के लिए नहीं बुलाया था

By भाषा | Published: September 30, 2020 02:26 PM2020-09-30T14:26:42+5:302020-09-30T14:32:38+5:30

बाबरी विध्वंस मामले में फैसला आने के बाद विश्व हिन्दू परिषद ने इसे सत्य की जीत बताया है। विहिप ने कहा कि यह बात पहले से स्पष्ट है कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी।

Babri demolition case verdict VHP says It took 28 years but truth was won | बाबरी विध्वंस मामले में फैसले पर VHP ने कहा- 28 साल लगे पर ये सत्य की जीत, कारसेवकों को ढांचा गिराने के लिए नहीं बुलाया था

विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने कोर्ट के फैसले पर जताई खुशी (फाइल फोटो)

Highlightsबाबरी विध्वंस केस में कोर्ट के फैसले पर विश्व हिंदू परिषद ने जताई खुशी, बताया सत्य की जीतइस केस में कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया है

इंदौर: अयोध्या के बाबरी विध्वंस मामले के सभी आरोपियों को बरी करने के सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने बुधवार को कहा कि सत्य की विजय हुई है। कोकजे ने कहा, 'हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। सत्य की विजय हुई है।' 

उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना को लेकर अदालत का फैसला आने में करीब 28 साल लगे। लेकिन यह बात पहले से स्पष्ट है कि यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और देश भर से कारसेवकों को ढांचा गिराने के लिए अयोध्या नहीं बुलाया गया था।

मध्यप्रदेश और राजस्थान के उच्च न्यायालयों के पूर्व न्यायाधीश कोकजे ने कहा, 'बाबरी विध्वंस की घटना अचानक हुई थी। उस वक्त हिन्दू समुदाय के लोग राम मंदिर मामले में कांग्रेस के रवैये से बेहद आक्रोशित थे।' 

विहिप अध्यक्ष ने कहा कि उनके संगठन ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की मांग को लेकर गुजरे वर्षों में जितने भी आंदोलन किए, वे संविधान और कानून का सम्मान करते हुए संपन्न हुए थे। उन्होंने कहा, 'बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना को लेकर विहिप पर जो आरोप लगाए गए, वे हास्यास्पद थे।'

बता दें कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को अहम फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। 

इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती समेत 32 अभियुक्त थे। सीबीआई की विशेष अदालत के जस्टिस एसके यादव ने बुधवार को अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी।

कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सुबूत नहीं मिले हैं और उन्होंने ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी। कोर्ट ने कहा है कि जो सबूत पेश किए गए हैं उनसे यह साबित नहीं होता है और विध्वंस की घटना को लेकर साजिश रची गई थी।

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