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अयोध्या विवादः मुस्लिम पक्ष ने कहा- हमें 5 दिसंबर 1992 जैसा अयोध्या चाहिए, जो बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले का था

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 14, 2019 15:17 IST

पीठ ने इस मामले में न्यायालय की कार्यवाही पूरी करने की समय सीमा की समीक्षा की थी और इसके लिए 17 अक्टूबर की सीमा तय की है। इस बीच उच्चतम न्यायालय में जोरदार बहस जारी है। दोनों पक्ष अपनी बात रख रहे हैं। 

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ठळक मुद्देदशहरा अवकाश के बाद सोमवार को 38वें दिन इस प्रकरण पर सुनवाई शुरू की जो 17 अक्टूबर तक जारी रहेगी। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने भी बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की मांग की है।

अयोध्या में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि निषेधाज्ञा दस दिसंबर तक लागू रहेगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2014 के फैसले के खिलाफ शीर्ष न्यायालय 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है।

पीठ ने इस मामले में न्यायालय की कार्यवाही पूरी करने की समय सीमा की समीक्षा की थी और इसके लिए 17 अक्टूबर की सीमा तय की है। इस बीच उच्चतम न्यायालय में जोरदार बहस जारी है। दोनों पक्ष अपनी बात रख रहे हैं। उच्चतम न्यायालय में सोमवार को राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने आरोप लगाया कि इस मामले में हिन्दू पक्ष से नहीं बल्कि सिर्फ हमसे ही सवाल किये जा रहे है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष 38वें दिन की सुनवाई शुरू होने पर मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने यह टिप्पणी की। अपनी दलीलें रखते वक्त राजीव धवन ने कहा कि हमें (मुस्लिम पक्ष) 5 दिसंबर 1992 जैसा अयोध्या चाहिए, जो बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले का था। 

सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कहा कि हम हमेशा ये नहीं सोच सकते हैं कि 1992 नहीं हुआ। अदालत में मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील रखे जाने का सोमवार को आखिरी दिन है। इस मामले की सुनवाई 17 अक्टूबर को खत्म होनी है, 14 अक्टूबर को मुस्लिम पक्ष की दलील खत्म करनी है, 15-16 अक्टूबर को हिंदू पक्ष को अपने तर्क रखने हैं।

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे़, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। संविधान पीठ दशहरा अवकाश के बाद सोमवार को 38वें दिन इस प्रकरण पर सुनवाई शुरू की जो 17 अक्टूबर तक जारी रहेगी। संविधान पीठ अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रही है। 

निषेधाज्ञा का आदेश अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट करते हुए जिला मजिस्ट्रेट अनुज कुमार झा ने कहा ‘‘अयोध्या और यहां आने वालों की सुरक्षा तथा संरक्षा को ध्यान में रखते हुए आदेश जारी किया गया है।’’ उन्होंने आगे कहा है ‘‘मैं यह भी कहना चाहूंगा कि 31 अगस्त 2019 से यहां एक और आदेश लागू है जो गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने और अवांछित गतिविधियों के बारे में है। 12 अक्टूबर 2019 को जारी आदेश उन बिंदुओं के सिलसिले में है जो पूर्व के आदेश में नहीं थे।’’

कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने भी बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की मांग की है। झा ने बताया कि आदेश में ड्रोन आदि से अयोध्या के अंदर शूटिंग करने या फिल्म बनाने पर भी रोक लगाई गई है। दीपावली के अवसर पर मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना पटाखों की खरीदी या बिक्री की इजाजत नहीं होगी। धारा 144 के तहत चार या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक होती है तथा पुलिस पर दंगा फैलाने के आरोप में मामला दर्ज करने का अधिकार होता है।

दशहरा की हफ्ते भर की छुट्टी के बाद उच्चतम न्यायालय में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई सोमवार को अंतिम चरण में प्रवेश कर गई और न्यायालय की संविधान पीठ 38 वें दिन इस मामले की सुनवाई कर रही है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस जटिल मुद्दे का सौहार्दपूर्ण हल निकालने के लिये मध्यस्थता प्रक्रिया के नाकाम होने के बाद मामले में छह अगस्त से प्रतिदिन की कार्यवाही शुरू की थी।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2014 के फैसले के खिलाफ शीर्ष न्यायालय 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है। उच्च न्यायालय ने अयोध्या की 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों... सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा तथा राम लला के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था। पीठ ने इस मामले में न्यायालय की कार्यवाही पूरी करने की समय सीमा की समीक्षा की थी और इसके लिए 17 अक्टूबर की सीमा तय की है। 

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