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पाँच राज्यों में फेल हुआ बीजेपी का 'हिंदुत्व कार्ड', लोक सभा 2019 में राम भरोसे नहीं लगेगा पीएम मोदी का बेड़ा पार

By विकास कुमार | Updated: December 12, 2018 14:55 IST

Vidhan Sabha Chunav Analysis: दरअसल देश की जनता ने इस बात का स्पष्ट सन्देश भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को दे दिया है कि आप के विकास के मुद्दे पर हमने प्रचंड बहुमत का आशीर्वाद दिया था, लेकिन आपने उसको प्राथमिकता की सूचि में सबसे नीचे रखा।

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हिंदी हार्टलैंड में भाजपा की हार से पार्टी की बहुत किरकिरी हो रही है। कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बहुत ज्यादा गया है। उन्हें विधानसभा चुनावों के परिणाम की पुनरावृति के दोहराव का डर सता रहा है। हर मुद्दे पर मीडिया के सामने अपने बेबाक बयान रखने वाले भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता कहीं विलुप्त से हो गए हैं। अमित शाह घनघोर चिंतन में डूब चुके हैं। हो भी क्यों न, 2014 के बाद पहली बार उनके मैनेजमेंट को जबरदस्त चुनौती मिली है। 

नरेन्द्र मोदी का विश्वास और पार्टी के कार्यकर्ताओं की आकांक्षा को नहीं पूरा कर पाने का मलाल उनके चेहरे पर साफ़ देखा जा सकता है। तो क्या इस हार में अमित शाह का भी उतना ही योगदान है जितना योगी आदित्यनाथ और अन्य तथाकथित हिंदूवादी नेताओं का है? क्योंकि अमित शाह ने इन चुनावों में हिंदूत्व को विकास के ऊपर तरजीह दी और उसका नतीजा उनके सामने है। योगी आदित्यनाथ की रैलियां जिस धुआंधार तरीके से करवाई गई उससे ऐसा लगा कि बीजेपी के मुख्यमंत्रियों ने पिछले कई वर्षों में किए गए अपने विकास कार्यों पर भरोसा नहीं जता सके। 

राजस्थान के नागौड़ में अमित शाह ने जनता से पूछा, ''बताइए भैया, बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालना चाहिए की नहीं, एनआरसी का मुद्दा देश देश के लिए जरूरी है कि नहीं।'' जनता ने उस समय उनके हां में हां मिला दिया लेकिन वोट डालते समय उन्होंने ये बता दिया कि असम और पश्चिम बंगाल का मुद्दा राजस्थान में नहीं चलेगा। एनआरसी के मुद्दे से अमित शाह राजस्थान में वसुंधरा के खिलाफ उफन रहे माहौल को शांत नहीं कर सके। 

गोरखपुर मठ से हिन्दू हित की राजनीति में डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजे गए भाजपा के सबसे फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ के अली और बजरंग बलि की तुलना जनता के विकास के मुद्दे को डिगाने में सफल नहीं रही। अमित शाह और योगी आदित्यनाथ पूरे चुनाव के दौरान एक ही नाव पर सवारी कर रहे थे। लेकिन किनारे पर पहुंचने में सफल नहीं रहे। 

दरअसल देश की जनता ने इस बात का स्पष्ट सन्देश भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को दे दिया है कि आप के विकास के मुद्दे पर हमने प्रचंड बहुमत का आशीर्वाद दिया था, लेकिन आपने उसको प्राथमिकता की सूचि में सबसे नीचे रखा। अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और भाजपा के वैचारिक-गुरु संगठन आरएसएस को ये समझ लेना चाहिए कि इस देश में अब केवल विकास की बात होगी। आप अपने मुद्दों को अप्रासंगिक बताकर दफना दीजिए। इसी में आपकी भलाई है। 

टॅग्स :विधानसभा चुनावनरेंद्र मोदीयोगी आदित्यनाथआरएसएसमोहन भागवतअमित शाह
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