असम के दीमा हसाओ जिले के माइबांग इलाके में शुक्रवार (26 जनवरी) को हुई हिंसा के बाद शनिवार (27 जनवरी) को भी स्थिति तनाव पूर्ण बनी हुई है।
प्रशासन ने जिले में कर्फ्यू लगा रखा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक नेता के विवादित भाषण के बाद स्थानीय नेताओं ने 25 जनवरी को 12 घंटे के बंद का आह्वान किया था।
25 जनवीर को प्रदर्शनकारी जब माइबांग रेलवे स्टेशन पर रेल रोकने की कोशिश कर रहे थे तभी पुलिस ने उन पर गोली चला दी।
पुलिस की गोलीबारी से मिथुन दिब्रागेड़ा (27) और प्रबान्त हकमाओसा (17) समेत पाँच लोग घायल हो गये।
मिथुन की अस्पताल जाते हुए रास्ते में मौत हो गयी और प्रबांत की अगले दिन (26 जनवरी) सुबह अस्पताल में मौत हो गयी।
दोनों युवकों की मौत के बाद स्थिति और भी तनावपूर्ण हो जाने की वजह से प्रशासन ने अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया।
दूसरी तरफ स्थानीय संगठनों ने दो युवकों की मौत के बाद 26 जनवरी को "काला दिवस" के रूप में मनाने का आह्वान किया था।
पुलिस ने बताया हैं की जिले में जांच के दौरान कुछ संदिग्घ समान और एक आईइडी बरामद किया गया है जिसकी जांच की जा रही है।
दीमा हसाओ में क्यों हो रहा है विवाद?
नागा नेताओं के संग समझौते के लिए तैयार किए गये एक मसौद में दीमा हसाओ जिले को नागालैंड के नागालिम जिले में विलय के प्रस्ताव से स्थानीय नेता नाराज हैं।
एक आरएसएस नेता ने हाल ही में कहा कि जिस तरह से नागा लोगों में अब शांति हैं उससे साफ है कि नागा शांति समझौता सफल रहा है।
आरएसएस नेता ने कहा कि इस समझौते के बाद आदिवासी बहुल दीमा हसाओ ग्रेटर नागालैंड का हिस्सा होगा, इसके लिए केंद्र सरकार से बातचीत चल रही है।
आरएसएस नेता के इस बयान के बाद दीमा हसाओ में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये। ।