भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय वित्त एवं कारपोरेट कार्य मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर नयी सरकार में मंत्री बनने में असमर्थता जाहिर की। जेटली 2014 से लेकर 2019 तक देश के वित्त मंत्री रहे हैं। उनके ही कार्यकाल में मोदी सरकार ने जीएसटी और नोटबंदी जैसी बड़ी योजनाओं को अमलीजामा पहनाया है।
सरकार में शामिल हो सकते हैं शाह
पिछली सरकार में पीएम मोदी ने अरुण जेटली पर बहुत भरोसा करते थे। अब उन्हें जेटली की जगह विश्वसनीय साथी की तलाश है। कहा जा रहा है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सरकार में शामिल होकर वित्त मंत्रालय का जिम्मा संभाल सकते हैं। मोदी सरकार के एजेंडे में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने, हर घर में बिजली, सभी परिवारों को मकान सुनिश्चित करना है। अमित शाह के बेहतरीन प्रबंधन को देखते हुए इसके लिए पीएम मोदी शाह को चुन सकते हैं।
वहीं वित्त मंत्री के लिए पीयूष गोयल और निर्मला सीतारमण के नाम की भी चर्चा है। अगर इन दोनों नेताओं को जिम्मा मिलता है तो पीएम किसी टेक्नोक्रेट को राज्यमंत्री बना सकते हैं।
लोकसभा अध्यक्ष के लिए राजनाथ सिंह के नाम की चर्चा
उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि लोकसभा अध्यक्ष जैसे प्रतिष्ठित पद के लिए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और ग्रामीण विकास और संसदीय कार्यमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की चर्चा है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के केंद्रीय गृह मंत्री बनने की स्थिति में ही राजनाथ सिंह पर विचार किया जाएगा।
सुषमा स्वराज पर स्थिति स्पष्ट नहीं
बीजेपी की सबसे वरिष्ठ महिला नेत्री सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ा था। फिलहाल वो किसी सदन की सदस्य नहीं है। अगर वह सरकार में शामिल नहीं होती तो जेएनयू से पढ़ी और रक्षा मंत्रालय का जिम्मा संभाल चुकी निर्मला सीतारमण को विदेश मंत्रालय की कमान सौंपी जा सकती है।
स्मृति ईरानी का बढ़ेगा कद
सूत्रों का कहना है कि सुषमा से शामिल नहीं होने की स्थिति में किसी दूसरी महिला को संसदीय बोर्ड में लाया जाएगा। वरिष्ठता के अनुसार, तीसरी बार सांसद बनीं निवर्तमान कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी शीर्ष निकाय में शामिल होने की दावेदार हैं। उन्हें किसी महत्वपूर्ण मंत्रालय का जिम्मा दिया जा सकता है।