भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकार और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को एम्स में निधन हो गया। वह 66 वर्ष के थे। जेटली का कई सप्ताह से एम्स में इलाज चल रहा था।
एम्स ने इसकी घोषणा करते हुए एक संक्षिप्त बयान में कहा कि हम बड़े दुख के साथ अरुण जेटली के निधन की जानकारी दे रहे हैं। जेटली को सांस लेने में दिक्कत और बेचैनी की शिकायत के बाद नौ अगस्त को यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था।
एक ऐसा शख्स जो कभी भी चुनाव नहीं जीता, लेकिन भाजपा में सबसे आगे रहते थे। रणनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते थे अरुण जेटली। 2014 में भले ही अमृतसर से चुनाव हार गए लेकिन मोदी सरकार में उन्हें ही वित्त मंत्री बनाया गया। इसके अलावा मोदी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री और रक्षा मंत्री का भी कार्यभार संभाला।
चाहे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार हो या मोदी की सरकार सबसे आगे जेटली रहते थे। रणनीति बनाना हो या सरकार किसी मुद्दे पर फंस जाए वह निकालने के लिए आगे रहते थे। 1999 में जब वाजपेयी सरकार में सबसे ज्यादा जिम्मेदारी पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली पर पड़ीं।
अटल सरकार में वह कानून मंत्री भी थे। सरकार को हर मुद्दे पर बचाते रहे। कई नेताओं को वह हमेशा मार्गदर्शक थे। प्रवक्ता की बात सुनते थे और उन्हें गाइड करते थे। 10 साल वह राज्यसभा में नेता विपक्ष रहे। यूपीए सरकार की नाक में दम कर दिए थे। जब मनोहर पर्रिकर की तबीयत खराब हुई तो वह रक्षा मंत्री बनाए गए।
रक्षा मंत्री के तौर पर दो बार अपने छोटे से कार्यकाल में अरुण जेटली ने सैन्य बलों में दीर्घकालिक लंबित सुधारों की दिशा में राह दिखायी और रक्षा निर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिये अहम नीतिगत पहल लेकर आये।
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जेटली ने 26 मई से नौ नवंबर 2014 तक रक्षा मंत्री का पदभार संभाला था, इसके बाद मनोहर पर्रिकर को गोवा से बुलाकर रक्षा मंत्री का पदभार सौंपा गया था। गोवा का मुख्यमंत्री बनने के लिये पर्रिकर ने जब केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया तब तत्कालीन वित्त मंत्री जेटली को 14 मार्च 2017 में एक बार फिर रक्षा मंत्रालय का पदभार सौंपा गया।