अनुच्छेद 370ः क्या कहते हैं आम कश्मीरी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 7, 2019 06:14 PM2019-08-07T18:14:23+5:302019-08-07T18:14:23+5:30

बारामूला निवासी अब्दुल खलील नजर ने कहा कि भारत सरकार को जो करना था वह 15 अगस्त के बाद करते। अभी ईद है। इससे लोगों में मनमुटाव पैदा हो गया है।

Article 370: Kashmiris express anger at loss of special status | अनुच्छेद 370ः क्या कहते हैं आम कश्मीरी

अब ऐसा महसूस हो रहा कि हम यहां आजाद नहीं है। हम पराया हो गए। 

Highlightsबारामूला के जहूर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को बंद क्यों किया। भारत सरकार को जो करना था करे। मंगलवार को जब इसकी घोषणा की गई तो हम हैरान रह गए। हमलोग उम्मीद भी नहीं किए थे।

संसद ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा संबंधी अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में विभाजित करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी। अनुच्छेद 370 पर बहस जारी है। जम्मू-कश्मीर के लोग इसको लेकर चिंतिंंत है। 

बीबीसी से बातचीत में स्थानीय लोगों ने कहा कि यह ठीक नहीं हुआ। बारामूला के जहूर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को बंद क्यों किया। भारत सरकार को जो करना था करे। पूरे जम्मू-कश्मीर को क्यों बंद कर दिया। अनुच्छेद 370 और 35-ए खत्म किया गया। विवाह कानून को खत्म कर दिया।

जो समझौता हुआ वह खत्म कर दिया गया। सब कुछ बर्बाद कर दिया। बंद से लग गया था कि हमारे साथ कुछ होने वाला है। बारामूला निवासी अब्दुल खलील नजर ने कहा कि भारत सरकार को जो करना था वह 15 अगस्त के बाद करते। अभी ईद है। इससे लोगों में मनमुटाव पैदा हो गया है।

रोजगार का बुरा हाल है। कोई सुकून में नहीं है। किसी ने इसके बारे में सोचा भी नहीं था। गुजर बसर बेहाल है। मंगलवार को जब इसकी घोषणा की गई तो हम हैरान रह गए। हमलोग उम्मीद भी नहीं किए थे। अब क्यों घरों में बैठे हो। अब हमलोग यहां आजाद नहीं है। सबकुछ छीन लिया गया।

सारे समझौते खत्म कर दिए गए। एक तरह से देखा जाए तो हम इस देश में बेगाने हो गए। अब क्या बचा है। अनुच्छेद 370 ही सब कुछ था। वह भी हमसे छीन लिया गया। घर में क्यों छुप कर बैठे हो। अब ऐसा महसूस हो रहा कि हम यहां आजाद नहीं है। हम पराया हो गए। 

परिवार और मित्रों की खोज खबर और वहां की स्थिति जानने के लिए चिंतित 

कश्मीर में बंद की स्थिति के बीच क्षेत्र के बाहर रहने वाले लोग वहां रह रहे अपने परिवार और मित्रों की खोज खबर और वहां की स्थिति जानने के लिए चिंतित हैं। भारत के अन्य राज्यों और विदेश में रह रहे कश्मीर के लोगों ने अपनी बेचैनी को व्यक्त करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया है।

कुछ लोग कर्फ्यू ग्रस्त राज्य में अपने लोगों से संपर्क नहीं कर पाने की व्यथा जाहिर कर रहे हैं तो कुछ अपनों से हुई अंतिम बातचीत के स्क्रीनशॉट पोस्ट कर रहे हैं। सैयद फैजान ने ट्वीट किया,‘‘कश्मीर से संबंध रखने वाला कोई भी व्यक्ति कश्मीर की जमीनी हकीकत के बारे में बताए....हम चिंतित हैं...परिवारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं??? कश्मीर के साथ हैं।’’

एक अन्य व्यक्ति ने लिखा,‘‘कश्मीर में संचार के सभी साधन बंद हैं, मैं अपने परिवार से बातचीत करना चाहता हूं।’’ एम जुनैद ने कई ट्वीट करके कहा कि पिछले 24 घंटे उनके लिए अब तक के सबसे लंबे घंटे रहे हैं। जुनैद ने ट्वीट किया,‘‘पिछले कुछ दिनों से परिवार और मित्र मैसेज भेज कर पूछ रहे थे कि क्या भारत के जेहन में कोई अंतिम हल है। उन्हें सांत्वना देना अथवा यह कहना कि सबकुछ ठीक हो जाएगा बेहद कठिन था। अब संदेश आने बंद हो गए हैं। लंबी रात की शुरुआत हो गई है। कश्मीर के साथ खड़ा हूं।’’

एक अन्य यूजर ने ट्वीट किया कि परिवार से संपर्क बंद होने के बाद से उन्हें पैनिक अटैक आ रहे हैं। बॉलीवुड अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने भी कश्मीर के हालात जानने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। हुमा ने ट्वीट किया,‘‘कोई जानता है कि कश्मीर में क्या हो रहा है??वहां परिवार में किसी से बात नहीं हो पा रही है...मैं दुआ करती हूं कि वहां सब सुरक्षित हों।’’

जम्मू कश्मीर पर केन्द्र सरकार के नए निर्णय से 11 अगस्त को बकरीद के मौके पर वहां जाने की योजना बनाने वाले संशय में हैं। सऊदी अरब में रहने वाले नजर जुबैर ने ट्वीट किया,‘‘इस बार ईद कश्मीर में अपने परिवार के साथ मनाने के लिए मैंने 26 माह इंतजार किया। कल मेरी फ्लाइट है और मैं निर्णय नहीं ले पा रहा हूं कि मैं यात्रा करूं या नहीं। कश्मीर खून के आंसू रो रहा है।’’ ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ में सहायक शोधार्थी दिल्ली के खालिद शाह ने ट्वीट किया,‘‘मेरे पिछले फोन कॉल में मेरी मां ने कहा था ‘‘अगर मैं मर गई तो तुम्हें पता कैसे चलेगा।’’ 

लोकसभा ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प को 72 के मुकाबले 351 मतों से स्वीकृति दी। एक सदस्य ने मत विभाजन में हिस्सा नहीं लिया। वहीं, निचले सदन ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 को 70 के मुकाबले 370 मतों से स्वीकृति दी।

निचले सदन में गृह मंत्री अमित शाह की ओर से पेश संकल्प में कहा गया है, ‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड 1 के साथ पठित अनुच्छेद 370 के खंड 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए राष्ट्रपति संसद की सिफारिश पर यह घोषणा करते हैं कि जिस दिन भारत के राष्ट्रपति द्वारा इस घोषणा पर हस्ताक्षर किये जायेंगे और इसे सरकारी गजट में प्रकाशित किया जायेगा, उस दिन से उक्त अनुच्छेद के सभी खंड लागू नहीं रहेंगे.. सिवाय खंड 1 के । इसमें कहा गया है कि 19 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति की अधिघोषणा के बाद जम्मू कश्मीर राज्य विधायिका की शक्ति इस सदन को है।

चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए संविधान के अनुच्छेद 370 को भारत तथा जम्मू कश्मीर को जोड़ने में रुकावट करार दिया और कहा इस अनुच्छेद की अधिकतर धाराओं को समाप्त करके सरकार ‘‘ऐतिहासिक भूल’’ को सुधारने जा रही है। गृह मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि स्थिति सामान्य होते ही जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने में इस सरकार को कोई परेशानी नहीं है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के आदेश के बाद भारत के संविधान के प्रावधान पूरे जम्मू कश्मीर पर लागू होंगे । इस तरह 35ए भी निष्प्रभावी हो गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370 (1-बी) का उपयोग करते हुए कल एक संवैधानिक आदेश जारी किया है। जिसमें भारत के संविधान के सारे अनुबंध जम्मू कश्मीर के संविधान में लागू होंगे। इससे पहले राज्यसभा ने सोमवार को अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को खत्म कर जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख को दो केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने संबंधी सरकार के दो संकल्पों को मंजूरी दी थी।

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 के भाग 2 एवं 3 में कहा गया है कि इसके तहत एक नये संघ शासित क्षेत्र लद्दाख का सृजन होगा । प्रस्तावित संघ शासित क्षेत्र लद्दाख बिना विधायिका के होगा। इसके तहत एक अन्य संघ शासित क्षेत्र जम्मू कश्मीर सृजित होगा जिसमें विधायिका होगी ।

लद्दाख में कारगिल और लेह जिले शामिल होंगे । वहीं, प्रस्तावित संघ शासित क्षेत्र जम्मू कश्मीर में धारा 3 के तहत आने वाले क्षेत्र को छोड़कर (यानी प्रस्तावित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को छोड़कर) मौजूदा जम्मू कश्मीर राज्य के क्षेत्र शामिल होंगे ।

प्रस्तावित जम्मू कश्मीर संघ शासित क्षेत्र को लोकसभा की पांच सीटें और लद्दाख क्षेत्र को एक सीट आवंटित की जायेगी । इसमें कहा गया है कि नियत दिन से अनुच्छेद 239 ‘‘क’’ में निहित उपबंध, जो पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्र पर लागू है, जम्मू कश्मीर संघ शासित क्षेत्र पर भी लागू होंगे ।

जम्मू कश्मीर संघ शासित क्षेत्र के लिये भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 के अंतर्गत एक प्रशासक नियुक्त किया जायेगा और उसे संघ शासित क्षेत्र के उपराज्यपाल के रूप में पदनामित किया जायेगा । जम्मू कश्मीर संघ शासित प्रदेश के लिये एक विधानसभा होगी और प्रत्यक्ष चुनावों द्वारा चुने गए व्यक्तियों से भरी जाने वाली सीटों की कुल संख्या 107 होगी ।

इसमें कहा गया कि जब तक पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर संघ शासित प्रदेश के भू भाग का अधिग्रहण नहीं होता है और उस क्षेत्र में रह रहे लोग अपने प्रतिनिधि नहीं चुनते हैं तब तक विधानसभा में 24 सीटें रिक्त रहेंगी ।

इसके अनुसार नियत दिन से विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन आदेश, 1995 जो जम्मू कश्मीर संघ शासित क्षेत्र पर लागू होता है, उसे संशोधित समझा जायेगा । जम्मू कश्मीर संघ शासित प्रदेश की विधानसभा में अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटें आरक्षित की जायेंगी । 

Web Title: Article 370: Kashmiris express anger at loss of special status

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