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आडवाणी को गिरफ्तार करने वाले बीजेपी प्रत्याशी राजकुमार सिंह क्या फिर से कर पाएंगे आरा में किला फतह, जानें पूरा समीकरण

By एस पी सिन्हा | Updated: May 15, 2019 21:01 IST

बिहार लोकसभा चुनाव 2019: महागठबंधन समर्थित भाकपा- माले प्रत्याशी राजू यादव के पक्ष में भी माय समीकरण के साथ- साथ अपने परंपरागत वोट के ध्रुवीकरण को लेकर भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्या द्वारा आरा संसदीय क्षेत्र के लगभग सभी प्रखंडों में चुनाव सभाएं की जा चुकी हैं.

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ठळक मुद्देआरा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक अगिआंव विधानसभा क्षेत्र पर एनडीए का कब्जा है.नौकरशाह से राजनेता बने राजकुमार सिंह क्या फिर से इस माले के गढ़ में सेंध लगा पायेंगे अथवा माले के सामने धारासाई होंगे?

बिहार के आरा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र पर इन दिनों सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. यहां मुकाबला भाजपा बनाम भाकपा-माले के बीच है. भाकपा-माले ने राजू यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं भाजपा ने जिला अधिकारी से लेकर बिहार व केंद्र सरकार में गृह सचिव तक का पद संभाल चुके भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी राजकुमार सिंह अभी केंद्रीय मंत्री हैं को मैदान में उतारा है. आरके सिंह इसलिए भी चर्चित हैं कि इन्होंने हीं भाजपा के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया था. 

आरा लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक परिचय

आरा लोकसभा क्षेत्र का मुख्य शहर आरा की चर्चा इसलिए भी जरूरी है कि आरा हाउस और रमना मैदान स्थित 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह का स्मारक स्थल आरा शहर की हृदयस्थली है. वर्ष 1952 से समाजवादियों का गढ़ माने जाने वाला भोजपुर जिला 80 के दशक में नक्सल प्रभावित जिला के स्वरूप में तब्दील हो गया. नये परिसीमन के बाद विधानसभा क्षेत्र आरा, संदेश, बडहरा, अगिआंव, तरारी, जगदीशपुर तथा शाहपुर सहित सात विधानसभा क्षेत्रों को मिलकर बना. इसके बाद आरा संसदीय क्षेत्र राजपूत बाहुल्य माना जाने लगा. यही कारण है कि वर्ष 2009 और वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में आरा से राजपूत जाति के ही प्रत्याशी लगातार जीतते रहे. आरा सीट पर विकास और जाति का फैक्टर इस बार के चुनाव में हावी हो गया है, जबकि भाजपा प्रत्याशी राजकुमार सिंह के पक्ष में अतिपिछड़ा और महादलित जातियों के वोट के ध्रुवीकरण को लेकर लगातार एनडीए के स्टार प्रचारक के रूप में अब तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई चुनावी सभाएं कर चुके हैं.

आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद सरकार के साथ ही राजकुमार सिंह भी सुर्खियों में आए

राजकुमार सिंह सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद 2013 में भाजपा में शामिल हुए. साल 2014 में आरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीता. 2017 में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें ऊर्जा एवं गैर परंपरागत ऊर्जा मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया. राजकुमार सिंह 1974 में आईपीएस चुने गए थे. 1975 में आईएएस बनने के बाद उन्होंने आईपीएस की नौकरी छोड़ दी. अपनी बेबाकी और स्वच्छ छवि के लिए पहचाने जाने वाले सिंह ने सोमनाथ से आयोध्या की रथयात्रा पर निकले भाजपा के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया था. उस समय वह सहकारिता विभाग में पदस्थापित थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उन्हें समस्तीपुर का विशेष डीएम बनाकर आडवाणी की गिरफ्तारी के लिए भेजा था. 30 अक्तूबर 1990 को आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद सरकार के साथ ही राजकुमार सिंह भी सुर्खियों में आ गए. उनकी स्वच्छ छवि का नतीजा रहा कि जब 1999 में अटल सरकार में आडवाणी गृहमंत्री बने तो उन्हें गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव नियुक्त किया गया.  

20 दिसंबर 1952 में बिहार के सुपौल में जन्मे राजकुमार सिंह पटना और पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी रह चुके हैं. 2004 से 2009 के बीच नीतीश सरकार के पहले कार्यकाल में वह पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव रहे. बिहार में सड़कों का जाल बिछाने में उन्होंने उल्लेखनीय योगदान दिया. बिहार से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद वह जून 2011-13 तक केंद्रीय गृह सचिव के पद पर रहे. 2012 में दिल्ली में हुए गैंगरेप मामले में तत्कालीन गृहमंत्री सुशील शिंदे से मतभेद हुए थे. 

दूसरी ओर, महागठबंधन समर्थित भाकपा- माले प्रत्याशी राजू यादव के पक्ष में भी माय समीकरण के साथ- साथ अपने परंपरागत वोट के ध्रुवीकरण को लेकर भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्या द्वारा आरा संसदीय क्षेत्र के लगभग सभी प्रखंडों में चुनाव सभाएं की जा चुकी हैं. राजद के स्टार प्रचारक तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव द्वारा भी ख्वासपुर, कोईलवर प्रखंड के जोकटा, मुफ्ती बाजार तथा जगदीशपुर में चुनाव सभाएं की जा चुकी हैं. लेकिन, इस बार आरा संसदीय सीट पर मुकाबला आमने-सामने का हो गया है.

आरा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक अगिआंव विधानसभा क्षेत्र पर एनडीए का कब्जा है. जहां से जदयू के प्रभुनाथ प्रसाद विधायक हैं. वहीं, महागठबंधन के कब्जा में छह विधानसभा क्षेत्र हैं. जिसमें संदेश से राजद के अरूण यादव, बडहरा से सरोज यादव, शाहपुर से राहुल तिवारी, जगदीशपुर से राम विशुन सिंह लोहिया तथा तरारी से भाकपा- माले के सुदामा प्रसाद विधायक हैं. इस तरह से यहां मुकाबला रोचक गया है. लोगों की बिगाहें इसओर टिकी हैं कि नौकरशाह से राजनेता बने राजकुमार सिंह क्या फिर से इस माले के गढ़ में सेंध लगा पायेंगे अथवा माले के सामने धारासाई होंगे? 

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