नई दिल्ली: अंततः जिस दिन का इंतजार था वह आ ही गया। लोकसभा में विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल ने महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक विधेयक को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया। इसका नाम 'नारीशक्ति वंदन विधेयक' होगा। इस बिल में संसद के निचले सदन, यानी लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान है। बिल पर चर्चा बुधवार, 20 सितंबर को होगी।
नये संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है। मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है और इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की मौजूदा संख्या (82) बढ़कर 181 हो जाएगी। इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। मेघवाल ने 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित होने के बाद उसे लोकसभा से पारित न कराने को लेकर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की मंशा पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में पारित होने के बावजूद महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित नहीं कराया जा सका, यह तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की नाकामी को दर्शाता है। इस बीच अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विधेयक पर चर्चा बुधवार को होगी।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि यह बिल महिला सशक्तिकरण के संबंध में है। इसके माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 239AA में संशोधन करके राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) दिल्ली में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित की जाएंगी। अनुच्छेद 330A लोक सभा में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा की उनकी सरकार लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिला आरक्षण के प्रावधान वाले ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को कानून बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। पीएम मोदी ने कहा, ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।’