इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एसएन शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में आरोपपत्र दाखिल, जानिए क्या है पूरा मामला

By भाषा | Published: December 16, 2021 08:57 PM2021-12-16T20:57:18+5:302021-12-16T21:16:14+5:30

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आई एम कुद्दुसी, प्रसाद शिक्षा ट्रस्ट के भगवान प्रसाद यादव और पलाश यादव, ट्रस्ट और भावना पांडे और सुधीर गिरी को भी नामजद किया था।

Allahabad High Court former judge SN Shukla Chargesheet filed corruption case Private medical college allegedly benefits cbi | इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एसएन शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में आरोपपत्र दाखिल, जानिए क्या है पूरा मामला

सरकार से अनुमति मिलने के बाद शुक्ला के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है।

Highlightsप्राथमिकी में कई अन्य आरोपियों के नाम भी आरोपपत्र में शामिल हैं। कथित तौर पर फायदा पहुंचाने के लिए आरोपपत्र दाखिल किया है।

नई दिल्लीः केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस एन शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में अपने आदेशों में एक निजी मेडिकल कॉलेज को कथित तौर पर फायदा पहुंचाने के लिए आरोपपत्र दाखिल किया है।

अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार से अनुमति मिलने के बाद शुक्ला के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। सीबीआई ने अन्य आरोपियों के साथ दिसंबर 2019 में भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निवारण कानून के प्रावधानों के तहत न्यायमूर्ति शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज किया था। एजेंसी ने अपनी प्राथमिकी में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति शुक्ला के अलावा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आई एम कुद्दुसी, प्रसाद शिक्षा ट्रस्ट के भगवान प्रसाद यादव और पलाश यादव, ट्रस्ट और भावना पांडे और सुधीर गिरी को भी नामजद किया था।

प्राथमिकी में कई अन्य आरोपियों के नाम भी आरोपपत्र में शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि कि ‘प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज’ को मई 2017 में घटिया सुविधाओं और आवश्यक मानदंडों को पूरा नहीं करने के कारण छात्रों को दाखिला देने से रोक दिया गया था। इसके साथ ही 46 अन्य मेडिकल कॉलेजों को भी इसी आधार पर प्रतिबंधित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि रोक के फैसले को ट्रस्ट ने एक रिट याचिका के जरिए उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। इसके बाद प्राथमिकी में नामजद लोगों ने साजिश रची और अदालत की अनुमति से याचिका वापस ले ली।

अधिकारियों ने कहा कि 24 अगस्त, 2017 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष एक और रिट याचिका दायर की गई थी। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी में आगे आरोप लगाया गया कि याचिका पर 25 अगस्त, 2017 को न्यायमूर्ति शुक्ला की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की गई और उसी दिन एक अनुकूल आदेश पारित किया गया।

न्यायमूर्ति शुक्ला ने 2017-18 के शैक्षणिक सत्र के लिए निजी कॉलेजों को छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति देने के लिए शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पीठ द्वारा पारित आदेशों की कथित तौर पर अवहेलना की थी। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने मामले का संज्ञान लिया और आरोपों पर गौर करने के लिए तीन सदस्यीय आंतरिक समिति का गठन किया।

सूत्रों ने कहा कि सीबीआई को कुद्दुसी पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी की जरूरत नहीं है क्योंकि वह कथित अपराध के समय सेवानिवृत्त न्यायाधीश थे और एक निजी व्यक्ति की क्षमता से काम कर रहे थे। उच्च न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार, शुक्ला 5 अक्टूबर 2005 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जुड़े थे और 17 जुलाई 2020 को सेवानिवृत्त हुए थे।

Web Title: Allahabad High Court former judge SN Shukla Chargesheet filed corruption case Private medical college allegedly benefits cbi

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