रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर विचार करने लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक समिति गठित करेंगे जो निश्चित समय-सीमा में अपनी रिपोर्ट देगी। सर्वदलीय बैठक के बाद सिंह ने संवाददाताओें से कहा कि प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर एक समिति गठित की जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह समिति निश्चित समय-सीमा में अपनी रिपोर्ट देगी। उल्लेखनीय है कि मोदी ने लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने तथा महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के आयोजन सहित अन्य मुद्दों पर सर्वदलीय बैठक बुलायी थी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मीटिंग में शामिल होने के लिए 40 राजनीतिक दलों को न्यौता भेजा गया था। इसमें 21 दलों के नेता पहुंचे और 3 पार्टियों ने लिखित रूप से इस मुद्दे पर अपनी राय भेजी थी।
वन नेशन वन इलेक्शन पर बैठक में शामिल होकर आए टीआरएस नेता के टी रामा राव ने कहा कि एक देश-एक चुनाव मोदी का या फिर बीजेपी का एजेंडा नहीं है। टीआरएस नेता के मुताबिक पीएम ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर कोई जल्दबाजी नहीं है, न ही उन्हें 2024 तक इसे लागू करना है। पीएम ने कहा, "मैंने आपके विचार सुने और मैं इसमें कोई नकारात्मकता और आलोचना नहीं देखता हूं। ये आगे बढ़ने के लिए अच्छा कदम है, हमलोग एक कमेटी बना सकते हैं जो इससे सुझावों और जटिलातों का अध्ययन करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ और कुछ अन्य मुद्दों पर बुधवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस सहित 14 पाटियां शामिल नहीं हुई और उसने कहा कि अगर सरकार चुनाव सुधारों को लेकर कोई कदम उठानी चाहती है तो वह संसद में इस विषय पर चर्चा कराए।
पार्टी सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभा के एकसाथ चुनाव कराने को लेकर भाजपा पर दोहारा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को बैठक में शामिल होने का निमंत्रण मिला था, लेकिन वह खेद प्रकट करते हुए इसमें शामिल नहीं हुए।
बीजेपी की राज्यसभा सांसद सरोज पांडे ने कहा कि विपक्षी पार्टियों के द्वारा वन नेशन वन इलेक्शन का जो विरोध किया जा रहा है, वह राष्ट्र हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल का स्वागत किया जाना चाहिए ना कि विरोध किया जाना चाहिए। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन ने कहा कि ये लागू करना गलत है, इसे लोकतंत्र के खिलाफ ही माना जाएगा। इनके अलावा जेडीयू और YSR कांग्रेस ने भी इसका समर्थन कर रहे हैं।
ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने कहा है कि उनकी पार्टी वन नेशन, वन इलेक्शन का समर्थन करती है। उन्होंने संविधान की प्रस्तावना में अहिंसा शब्द शामिल करने की मांग की है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा वन नेशन-वन इलेक्शन के मुद्दे पर बुलाई बैठक पर प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा है कि बीजेपी को उन वादों पर ध्यान देना चाहिए जो उन्होंने जनता से किया है, हमें उम्मीद है कि वे लोग इन वायदों को पूरा करने पर काम करेंगे, कुछ पार्टियां हैं जो वन नेशन-वन इलेक्शन के मुद्दे पर कभी राजी नहीं होंगी। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और YSR कांग्रेस के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने एक देश एक चुनाव का समर्थन किया है।
पार्टी का कहना है कि इससे चुनाव खर्च बचेगा और समय भी कम होगा। पीएम की बैठक में हिस्सा लेने के लिए NCP प्रमुख शरद पवार भी पहुंचे हैं। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR इस बैठक में शामिल नहीं हुए हैं हालांकि उनके बेटे KTR शामिल हुए हैं।
इस बैठक में वन नेशन, वन इलेक्शन के अलावा भारत की आजादी के 75 साल, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती जैसे मुद्दों पर बात होनी है. बैठक में कई नेता शामिल हुए हैं लेकिन कांग्रेस, TMC जैसी विपक्षी पार्टी से कोई नहीं आया है।
देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर लंबे समय से बहस हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसका समर्थन किया है. इस मामले पर चुनाव आयोग, नीति आयोग, विधि आयोग और संविधान समीक्षा आयोग बातचीत कर चुके हैं।
प्रधानमंत्री की इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए कोनराड संगमा, आशीष पटेल, अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, थावरचंद गहलोत, नरेंद्र सिंह तोमर, सुखबीर बादल, सीताराम येचुरी, महबूबा मुफ्ती, डी. राजा, सुधाकर रेड्डी पहुंचे।
गोगोई ने कहा, ‘‘हम भी चाहते हैं कि चुनाव प्रक्रिया में सुधार हो। हमने गुजरात में राज्यसभा की दो सीटों पर एकसाथ उपचुनाव कराने की मांग की है। हमने कहा है कि मत पत्र से चुनाव कराए जाएं। हमने यह मुद्दा उठाया है कि इस चुनाव में बेतहाशा पैसे खर्च किए गए।
दिक्कत है कि प्रधानमंत्री विपक्ष की बातों को नजरअंदाज करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव संविधान से जुड़ा विषय है। अगर सरकार चाहे तो चुनाव सुधार को लेकर संसद में चर्चा करा सकती है।’’ कांग्रेस नेता ने भाजपा पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘यह वही सरकार है जो गुजरात और हिमाचल प्रदेश का चुनाव का एक साथ नहीं करा पाई। लोकसभा चुनाव कई चरणों में कराए गए। गुजरात में राज्यसभा की दो सीटों पर एकसाथ उपचुनाव नहीं करा पा रही है। ये लोग अपनी सहूलियत के हिसाब से सबकुछ करते हैं।’’
एक सवाल के जवाब में गोगोई ने कहा कि जिन दलों के नेता इस बैठक में शामिल हुए हुए हैं, उनकी अपनी सोच है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी नेतृत्व ने वरिष्ठ नेताओं एवं कुछ सहयोगी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया।
वैसे, इस मुद्दे पर कांग्रेस एवं सहयोगी दलों की बुधवार सुबह संसद भवन में बैठक होने वाली थी, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जन्मदिन से जुड़े कार्यक्रम की वजह से यह बैठक नहीं हो सकी। कांग्रेस के अलावा विपक्ष के प्रमुख नेताओं में बसपा अध्यक्ष मायावती, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया।
हालांकि वाम दलों की ओर से माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार एवं अन्य नेता इसमें शामिल हुए। कांग्रेस अतीत में भी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार का विरोध करती आई है। उल्लेखनीय है कि मोदी ने लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने तथा महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के आयोजन सहित अन्य मुद्दों पर सर्वदलीय बैठक बुलायी।
वन नेशन-वन इलेक्शन लोकतंत्र विरोध- सीपीएम
सीपीएम ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के प्रस्ताव का विरोध किया है. पार्टी ने इसे 'मौलिक रूप से संघीय व्यवस्था-विरोधी, लोकतांत्रिक व्यवस्था विरोधी' बताया और इसे संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली की जड़ पर प्रहार करार दिया। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए सरकार को विधायिका के प्रति जवाबदेही की संवैधानिक योजना के साथ छेड़छाड़ करनी पड़ेगी।
एनडीए की सहयोगी रही शिवसेना भी इस बैठक में नहीं पहुंची है। ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने एक देश-एक चुनाव का समर्थन किया है, जबकि सीपीएम, समाजवादी पार्टी ने इसका विरोध किया है।मीटिंग में नहीं पहुंचने वाली पार्टियों में कांग्रेस, टीएमसी, टीडीपी, आम आदमी पार्टी, एआईएडीएमके, डीएमके, एसपी, बीएसपी, शिवसेना, आरजेडी, जेडीएस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, एआईयूडीएफ और आईयूएमएल शामिल हैं।