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रेड्डी ब्रदर्स की वजह से जा चुकी है बीएस येदियुरप्पा की कुर्सी, इस बार बने संकटमोचक

By खबरीलाल जनार्दन | Updated: May 19, 2018 14:19 IST

कर्नाटक फ्लोर टेस्टः जानिए कौन हैं कौन हैं रेड्डी ब्रदर्स, जिन पर विधायक 'गायब' कराने के लग रहे हैं आरोप, और वही हैं डिप्टी सीएम के हैं दौड़ में।

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बेंगलुरु, 19 मईः कर्नाटक में आज शाम चार बजे बीएस येदियुरप्पा प्रोटेम स्पीकर समक्ष बहुमत सिद्ध करेंगे। इससे पहले कांग्रेस के दो विधायक आनंद सिंह और प्रताप गौड़ा गायब हो गए हैं। साथ ही जनता दल सेक्यूलर के राजा वैंकेटप्पा, वैंकेट राय के विधायक भी विधानसभा नहीं पहुंचे हैं। भारतीय जनता पार्टी विधायक सोमशेखर रेड्डी भी अभी विधानसभा तक नहीं आए हैं। कांग्रेस के आनंद सिंह और प्रताप गौड़ा दोनों ही रेड्डी बंधुओं के गढ़ बेल्लारी जिले की सीटों से विधायक हैं। कांग्रेस नेता विरप्पा मोइली का आरोप है कि रेड्डी बंधुओं ने दोनों विधायकों को किडनैप किया है। साथ ही कांग्रेस ने जनार्दन रेड्डी की एक ऑडियो क्लिप जारी की है, जिसमें वे कांग्रेस विधायक को पैसे ऑफर कर रहे हैं। चर्चा है ‌कि रेड्डी बंधुओं में से एक को डिप्टी सीएम का पद भी मिलने वाला है। ऐसे में सवाल हैं कि कौन हैं रेड्डी ब्रदर्स-

रेड्डी ब्रदर्स के सबसे ताकतवर जनार्दन रेड्डी अवैध खनन मामले में बीते दो साल से जेल में हैं। कर्नाटक के बेल्लारी जिले में रेड्डी बंधुओं का वर्चस्व है। क्षेत्र में होने वाले खनन पर उनका एकछत्र राज्य है। चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने बेल्लारी को आर्थ‌िक रूप से संवदेशनशील माना था। माना जाता है कि यहां से चुनाव के दौरान अथाह पैसा पूरे कर्नाटक में बहाया जाता है। इस क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री से लेकर एजुकेशन इंडस्ट्री तक रेड्डी बंधुओं का कब्जा है।

रेड्डी असल में कर्नाटक के मूल निवासी नहीं है। रेड्डी आंध्र प्रदेश से बेल्लारी में आकर बसे हैं। बेल्लारी खनीज बहुल क्षेत्र है। रेड्डी बंधु आंध्र प्रदेश से ही माइनिंग का काम करते थे। ऐसा बताया जाता है कि रेड्डी बंधु आंध्र प्रदेश की राजनीति के सबसे प्रमुख नाम वाईएसआर के बेहद करीबी थे। तब उनका झुकाव कांग्रेस की ओर हुआ करता था।  (जरूर पढ़ेंः कांग्रेस ने जारी किया येदियुरप्पा के बेटे का ऑडियो, विधायकों को खरीदने-मैनेज करने का आरोप)

यहां तक वाईएसआर के निधन के बाद जगनमोहन रेड्डी ने भी रेड्डी बंधुओं को शह दी। ऐसे आरोप हैं कि वाईएस राजशेखर रेड्डी के शासन में 2004 से 2009 तक रेड्डी बंधुओं को आंध्र प्रदेश में खनन की पूरी छूट मिली थी। तब रेड्डी बंधुओं ने तमाम कायदे-कानून को ताक पर रखकर खनन किया। बाद में रोसैया ने विपक्ष के दबाव में जांच के आदेश और जनार्दन रेड्डी और श्रीनिवास रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया गया। उसी वक्त रेड्डी बंधुओं को बीजेपी नेता श्रीरामलु की शह मिली। तब से रेड्डी बंधु बीजेपी के साथ हैं। लेकिन बाद में रेड्डी बंधुओं के भ्रष्टाचार में साथ देने के आरोप में बीएस येदियुरप्पा भी फंसे। और ऐसे फंसे कि उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। पार्टी ने दोनों ही लोगों को बेदखल कर दिया।

कर्नाटक की राजनीति में रेड्डी बंधुओं की मौजूदगी उनकी पूंजी के वजह से बेहद खास है। जनार्दन रेड्डी राज्य की बेहद अहम ओबलापुरम खनन कंपनी के मालिक हैं, जबकि श्रीनिवास रेड्डी इसी कंपनी में डायरेक्टर के पद पर हैं। इससे पहले जनार्दन रेड्डी और श्रीनिवास रेड्डी दोनों ही कर्नाटक सरकार में मंत्री रह चुके हैं। ऐसे में जब दोनों बड़े रेड्डी जेल में हैं तो छोटे रेड्डी कमाल दिखा रहे हैं।

अमित शाह की मनाही के बाद भी रेड्डी बंधुओं को मिली था टिकट

कर्नाटक चुनाव के कुछ दिनों पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमित शाह ने कहा था कि उनकी पार्टी का रेड्डी ब्रदर्स से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन जब टिकट मिलने की सूची जारी हुई तो करुनाकर रेड्डी (हरापनहल्ली सीट), जी सोमशेखर रेड्डी (बल्लारी सिटी सीट) इनके करीबी बी श्रीरामलू (मोलाकलमुरु सीट, बादामी सीट), श्रीरामलू के रिश्तेदार सन्ना फकीरप्पा (बल्लारी रूरल सीट) और टी एच सुरेश बाबू (कंपली सीट) और जनार्दन रेड्डी के करीबी साईकुमार (बागेपल्ली सीट) से टिकट दिया गया। अब यही नेता निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। (जरूर पढ़ेंः कांग्रेस के ये 4 MLA हैं शक के घेरे में, दो विधान सभा नहीं पहुंचे, दो शपथ लेकर हुए 'गायब')

श्रीरामलु लेकर आए रेड्डी बंधुओं को वापस बीजेपी में

साल 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में जनार्दन रेड्डी जेल में थे और उनका खनन का साम्राज्य खतरे में पड़ा गया था। उधर, बीजेपी ने भी उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा था। यह रेड्डी बंधुओं को दोबारा राजनीतिक झटका लगा था। तब उनके करीबी बी श्रीरामुलू ने बीएसार कांग्रेस नाम की अपनी अलग पार्टी बनाकर उन्हें शह दी थी। लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में येदियुरप्पा की केजेपी और श्रीरामुलू की बीएसआर कांग्रेस का बीजेपी में विलय हो गया था और फिर से रेड्डी बंधुओं की बीजेपी में वापसी हो गई थी।

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