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RJD प्रमुख लालू यादव को लगा बड़ा झटका, बेहद करीबी रहे अली अशरफ फातमी ने पार्टी छोड़ थामा JDU का दामन

By एस पी सिन्हा | Updated: July 28, 2019 16:55 IST

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि फातमी साहब राजद के चंद महत्वपूर्ण नेताओं में से थे. रविवार उस पार्टी में ऐसी स्थिति बनी कि उन्हें राजद छोड़नी पड़ी है. नीतीश कुमार के कामों से प्रभावित होकर फातमी साहब आज जदयू में आए हैं.

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ठळक मुद्देराजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के कभी बेहद करीबी माने जानेवाले पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री मोहम्मद अली अशरफ फातमी ने रविवार (28 जुलाई) अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ जदयू का दामन थाम लिया. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह की मौजूदगी में उन्होंने अपने समर्थकों के साथ पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के कभी बेहद करीबी माने जानेवाले पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री मोहम्मद अली अशरफ फातमी ने रविवार (28 जुलाई) अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ जदयू का दामन थाम लिया. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह की मौजूदगी में उन्होंने अपने समर्थकों के साथ पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. इस मौके पर उन्होंने जदयू में शामिल होने के कई कारण भी बताए. फातमी के साथ जदयू में शामिल होने वालों में राजद के आठ प्रखंडों के अध्यक्ष भी शामिल थे. 

इस मौके पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि फातमी साहब राजद के चंद महत्वपूर्ण नेताओं में से थे. रविवार उस पार्टी में ऐसी स्थिति बनी कि उन्हें राजद छोड़नी पड़ी है. नीतीश कुमार के कामों से प्रभावित होकर फातमी साहब आज जदयू में आए हैं.

वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि जदयू की पहचान दलों से अलग है और इसलिए लोग हमारे यहां आते हैं. वहीं, इस मौके पर फातमी ने कहा कि मैंने मंत्री रहते बिहार और दरभंगा के लिए बहुत कुछ किया है. मेरी तीन राउंड की मीटिंग नीतीश कुमार से हुई. 

भाजपा के साथ जदयू लम्बे समय से रही है, लेकिन अकलियतों के मामले में जदयू ने कभी कोई समझौत नहीं किया है. पार्टी विवादित मुद्दों पर अपना स्टैंड साफ रखती है. राजद छोड़ने के सवाल पर फातमी ने कहा कि पार्टी छोड़ना दर्द की बात होती है. लेकिन, जब सियासत में पैसा महत्वपूर्ण हो जाए तो वहां हम जैसों का रहना कठिन होता है. जदयू की सदस्यता ग्रहण करते हुए फातमी ने नीतीश कुमार की काफी तारीफ की. 

उन्होंने कहा कि उन्होंने जब राजनीति शुरू की तो जनता दल ज्वॉइन किया था. उस वक्त नीतीश कुमार के साथ मैंने काम किया था. हालांकि, परिस्थिति में बदलाव के बाद राष्ट्रीय जनता दल में चले गए. लेकिन आज वह फिर नीतीश कुमार के साथ जनता दल यूनाइटेड में हैं. 

उन्होंने जदयू में शामिल होने के कारणों को लेकर कहा कि जब मैं राजनीति में आया था तो मुझे कुछ करने की मंशा थी. एक लक्ष्य पर काम करना चाहता था. बिहार और दरभंगा के लिए मैंने काफी कुछ किया. चार बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद रहा. अब उसी लक्ष्य पर काम करने के लिए मैं जदयू में शामिल हुआ हूं.

फातमी ने कहा कि राजद छोडने का कारण टिकट न मिलना नहीं है बल्कि राजद में रहने का कोई कारण नहीं था. पार्टी में कोई कारणवश ही रहता है, लेकिन अब वहां रहने का कोई कारण नहीं है. पहले भी मैंने राजद से इस्तीफा दिया था. जिसका कारण उसी वक्त बताया था. लेकिन, आज परिस्थितियां बदल गई है. उन्होंने राजद पर किसी तरह की टिप्पणी से परहेज किया. 

उन्होंने मौके पर लालू यादव और तेजस्वी यादव पर भी किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार किया और कहा पार्टी छोड़ने में कहीं भी वह शामिल नहीं हैं. 

यहां बता दें कि अली अशरफ फातमी काफी समय से राजद में रहकर अपनी नाराजगी जता रहे थे. जदयू में शामिल होने के संकेत फातमी ने लोकसभा चुनाव 2019 के समय ही दे दिया था. लेकिन अब जब कर उन्होंने औपचारिकता पूरी की 

फातमी लोकसभा चुनाव के दौरान दरभंगा से लोकसभा सीट के टिकट को लेकर नाराज थे. पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की. 

हालांकि, बाद में उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया. लेकिन उन्होंने तभी मन बना लिया था कि उन्हें जदयू में शामिल होना है. फातमी सीमांचल के इलाके में अल्पसंख्यकों के कद्दावार नेता माने जाते हैं.

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