अंतर-राज्य नदी जल विवाद बिल को लेकर अकाली दल बीजेपी से नाराज, आज राज्यसभा, लोकसभा में होना है पेश
By हरीश गुप्ता | Published: August 5, 2019 08:35 AM2019-08-05T08:35:13+5:302019-08-05T08:35:13+5:30
केंद्र सरकार को उम्मीद है कि इस बिल के अस्तित्व में आ जाने पर विभिन्न राज्यों के बीच नदियों के जल बंटवारे को लेकर मौजूदा विवादों का तेजी से निपटारा हो सकेगा.
भाजपा के प्रमुख सहयोगी अकाली दल ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उसने अंतर-राज्य नदी जल विवाद (संशोधन) बिल प्रवर समिति को नहीं भेजा तो वह सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर हो जाएगी. उल्लेखनीय है कि बुधवार को लोकसभा से पारित हो चुका यह बिल सोमवार को राज्यसभा में पेश किया जाना है.
केंद्र सरकार को उम्मीद है कि इस बिल के अस्तित्व में आ जाने पर विभिन्न राज्यों के बीच नदियों के जल बंटवारे को लेकर मौजूदा विवादों का तेजी से निपटारा हो सकेगा. विवाद के हल के लिए कई ट्रिब्यूनल्स की जगह केवल एक केंद्रीय ट्रिब्यूनल का गठन कर दिया जाएगा. जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने हाल ही में संसद को बताया था कि नदी जल विवाद सुलझाने के लिए जिन नौ ट्रिब्यूनल्स का गठन किया गया था, उनमें से केवल चार ने अवार्ड का ऐलान किया था. इसमें भी 7 से 28 वर्ष तक का वक्त लगा. ब्यास जल विवाद समस्त जल विवादों में सबसे ऊपर है पंजाब की नदी ब्यास का जल विवाद, जिसे 33 वर्ष से फैसले का इंतजार है. कृष्णा, गोदावरी और नर्मदा के जल बंटवारे को लेकर विवाद भी बरसों से धधक रहा है. कावेरी जल विवाद 29 साल से चल रहा है.
अकाली दल की चिंता अकाली दल को यह चिंता है कि पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद के निपटारे के सारे अधिकार उनसे छिनकर केंद्रीय ट्रिब्यूनल के पास चले जाएंगे. जब अकाली दल से यह जानना चाहा गया कि बिल का लोकसभा में विरोध क्यों नहीं किया गया, तो एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि तब वह इसका महत्व नहीं समझ सके थे. नये बिल की धारा 12 पंजाब के लिए बेहद खतरनाक है, ''जिसे हम स्वीकार नहीं कर सकते. बिल प्रवर समिति की नहीं भेजा गया तो हम सरकार छोड़ देंगे. ''