देश की अर्थव्यवस्था दिन-प्रतिदिन गिरती जा रही है। ऐसे में अहमद पटेल ने देश की गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है। अहमद पटेल ने ट्वीट करके कहा कि मनमोहन सिंह जी का मजाक उड़ाने वाले अब देश की अर्थव्यवस्था को नहीं संभाल पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आपको बता दूं कि आज केंद्र की सत्ता में जो लोग सरकार चला रहे हैं, उन लोगों ने मनमोहन जी का मजाक बनाकर अपना करियर बनाया है। अहमद पटेल ने कहा कि देश की इकोनॉमी 4.5 प्रतिशत हो या 0.5 प्रतिशत हो इन लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।
आपको बता दें कि मनमोहन सिंह ने भी देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। इस साल के दूसरी तिमाही के लिए देश की जीडीपी में वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रहा है। देश की अर्थव्यवस्था में इस गिरावट को देश के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने "चिंताजनक" करार दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि कई उद्योगपतियों ने उन्हें बताया है कि आज के समय मे वे सरकारी अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न से डरे रहते हैं। मनमोहन के मुताबिक, सरकार व प्रशासन को लेकर देश के बिजनेस मैन के मन में डर का माहौल है।
जीडीपी के आंकड़ों के आने के बाद भारत में देश के कई उद्योगपतियों व विद्वानों ने इस पर चिंता जाहीर की है। वहीं, भारतीय उद्योग संघ, प्रमुख उद्योग निकाय, आदि के जीडीपी पर चुप्पी साध कर देश की अर्थव्यवस्था को लेकर एक नई बहस छेड़ दिया है।
इसके बावजूद आश्चर्य की बात यह है कि ट्विटर पर बेहद सक्रिय रहने वाले कुछ उद्योगपतियों ने इस गंभीर मसले पर चुप्पी साध ली है। इनमें प्रमुख रूप से उदय कोटक (सीईओ कोटक महिंद्रा बैंक), आनंद महिंद्रा (अध्यक्ष, महिंद्रा ग्रुप), हर्ष गोयनका (अध्यक्ष, आरपीजी एंटरप्राइजेज),नंदन नीलेकणि (अध्यक्ष, इन्फोसिस), संजीव बजाज (एमडी बजाज फिनसर्व और बजाज होल्डिंग्स), गौतम सिंघानिया (CMD Raymond Ltd), विजय शेखर शर्मा (संस्थापक सीईओ, पेटीएम) आदि हैं।
यह सोचने वाली बात है कि देश की गिरती अर्थव्यवस्था से देश का जो वर्ग सर्वाधिक प्रभावित हो रहा है, उसी वर्ग ने जीडीपी के आंकड़े आने के बाद इस पर चुप्पी बनाए रखा है।
इसके अलावा आपको बता दें कि जब सरकार ने सितंबर में कॉर्पोरेट कर की दर में कटौती की घोषणा की, तो पूरे कॉर्पोरेट क्षेत्र ने सरकार के इस कदम की सराहना की। उद्योगपतियों ने तब कहा था कि सरकार के इस कदम से बाजार में वृद्धि को बढ़ावा देगा। लेकिन, यह दुर्भाग्य है कि इसके परिणाम आने पर यह वर्ग चुप्पी साधे हुए है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि फिक्की ने अर्थव्यवस्था को लेकर कहा, “चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 4.5% तक बढ़ गई है। हालांकि यह चिंता का विषय है, यह पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं था क्योंकि आर्थिक गतिविधियों के प्रमुख संकेतकों में से कई कमजोरी के संकेत दे रहे थे। निजी खपत और निवेश की मांग कमजोर बनी हुई है, हालांकि हाल के त्योहारी सीजन के दौरान कुछ सुधार देखा गया। ”
हालांकि, देश की जीडीपी पर अपने भाषण में मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि 4.5 प्रतिशत की विकास दर अप्रत्याशित थी, क्योंकि लोगों की आकांक्षाओं ने औसतन 8-9 प्रतिशत की वृद्धि का आह्वान किया। उन्होंने कहा, 'पहली तिमाही में विकास दर में 5 फीसदी से दूसरी तिमाही में 4.5 फीसदी की कमी आई है। इसके अलावा, मनमोहन सिंह ने कहा कि आर्थिक नीति में बदलाव से अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद नहीं मिलेगी।