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टिकैत के समर्थन जुटाने के बाद किसान आंदोलन फिर से लय में, मोदी ने कहा-प्रस्ताव अब भी कायम

By भाषा | Updated: January 30, 2021 23:27 IST

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गाजियाबाद/नयी दिल्ली, 30 जनवरी नये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शनों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कृषक समुदाय से समर्थन मिलने के बाद शनिवार को यह आंदोलन एक बार फिर से ‘लय में आता हुआ’ नजर आया। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को उनकी सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है और बातचीत में महज ‘एक फोन कॉल की दूरी’ है।

किसान नेताओं ने शनिवार को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को ‘सदभावना दिवस’ के रूप में मनाया और उन्होंने दिल्ली-मेरठ राजमार्ग पर गाजीपुर सहित दिल्ली की सीमा पर स्थित विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर एक दिन का उपवास रखा।

यह स्थान आंदोलन का अब एक नया मुख्य केंद्र बन गया है, जहां अधिक संख्या में प्रदर्शनकारी उमड़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस पर ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद स्थानीय प्रशासन ने लोगों को स्थान खाली करने को कहा था, जिसके बाद भीड़ कुछ कम नजर आ रही थी।

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे हैं। हरियाणा और राजस्थान के जिलों के किसान भी यहां पहुंचे हैं।

आंदोलनकारी किसान संगठनों के नेताओं ने दावा किया है कि प्रदर्शनकारी फिर पंजाब और हरियाणा से सिंघू तथा टीकरी बॉर्डर पर लौट रहे हैं।

प्रशसान हाई अलर्ट पर है। दिल्ली की सिंघू, गाजीपुर और टीकरी सीमाओं पर तथा इनसे लगे इलाकों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं। हरियाणा के 17 जिलों में भी मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अवधि बढ़ा कर रविवार शाम तक के लिए कर दी गई हैं।

दंगा रोधी पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों सहित सुरक्षाकर्मी पर्याप्त संख्या में तैनात किये गये हैं। कंक्रीट ब्लॉक सहित बहुस्तरीय अवरोध प्रदर्शन स्थलों पर लगाये गये हैं।

माला पहने किसान नेता उपवास के दौरान मंच पर बैठे। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई हिंसा को लेकर रोष के बाद उन्होंने शनिवार को सदभावना दिवस के तौर पर मनाने का आह्वान किया था।

आंदोलन के प्रति अपना समर्थन प्रकट करते हुए बीकेयू के नेता राकेश टिकैत के लिए ग्रामीण मिट्टी के घड़े में पानी और घर का बना भोजन लेकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे।

गाजीपुर में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि वे दो महीने से अधिक समय से यह लड़ाई लड़ रहे हैं और वे अब पीछे नहीं हटेंगे। टिकैत की भावनात्मक अपील के बाद प्रदर्शन स्थल पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से बड़ी संख्या में लोग जुटना शुरू हो गये।

भाकियू के मेरठ क्षेत्र के अध्यक्ष पवन खटाना ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘आंदोलन मजबूत था और अब भी है।’’

टिकैत के साथ प्रदर्शन स्थल पर मौजूद बीकेयू के मेरठ क्षेत्र के प्रमुख पवन खटाना ने कहा, ‘‘कृषि कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग को लेकर हो रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शन को लगातार समर्थन मिल रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह राजनीतिक प्रदर्शन नहीं है। जो भी भाकियू एवं राकेश टिकैत की विचारधारा का समर्थन करता है, उसका यहां स्वागत है लेकिन हमारी अपील है कि जो अंत तक हमारे आंदोलन को समर्थन देने के इच्छुक नहीं हैं, वे इसे बीच में छोड़कर जाने के लिए नहीं आएं।’’

प्रदर्शन स्थल पर प्रदर्शनकारियों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता ने कहा, ‘‘किसान आ रहे हैं और एकजुटता प्रकट कर वापस जा रहे हैं। यह स्थिर भीड़ नहीं है।’’

गौरतलब है कि अब तक, आंदोलन मुख्य रूप से पंजाब के किसान यूनियनों के नेतृत्व में होता नजर आ रहा था।

विपक्षी दल, किसान आंदोलन का मुद्दा संसद में उठाने की तैयारी कर रहे हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को उनकी सरकार की ओर से दिया गया प्रस्ताव ‘‘अब भी बरकरार’’ है तथा बातचीत में सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है।

संसद सत्र से पहले पारंपरिक सर्वदलीय बैठक में मोदी ने गणतंत्र दिवस के दिन हुई ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटना’ का विपक्षी नेताओं की ओर से किए गए उल्लेख का जवाब देते हुए कहा कि ‘‘कानून अपना काम करेगा।’’

यह डिजिटल बैठक प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई और इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा विभिन्न दलों के सदनों के नेता शामिल हुए।

इस बैठक के ब्योरे की जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने विश्वास दिलाया कि केंद्र सरकार किसानों के मुद्दे पर खुले मन से आगे बढ़ रही है।’’

जोशी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि केंद्र का रुख वही है जो 22 जनवरी को किसान नेताओं और केंद्र के बीच हुई आखिरी बैठक में था तथा कृषि मंत्री (नरेंद्र तोमर) की ओर से दिया गया प्रस्ताव आज भी बरकरार है। मोदी जी ने वही बात कही जो तोमर जी ने कहा था कि बातचीत में सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है।’’

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, रालोद और वाम दलों समेत अनेक विपक्षी दलों ने आंदोलन को खुला समर्थन जताया है।

संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य एवं किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ जारी प्रदर्शन और मजबूत होगा क्योंकि आने वाले दिनों में और किसान इसमें शामिल होंगे।

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने शनिवार को कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर दो फरवरी तक रिकॉर्ड संख्या में लोगों के एकत्र होने की उन्हें उम्मीद है।

केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ इन स्थानों पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और वहां विभिन्न राज्यों से काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष राजेवाल ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम दिल्ली की सीमाओं पर 26 जनवरी से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे है।’’

उन्होंने दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उसकी निंदा की।

राजेवाल ने कहा, ‘‘प्रदर्शन स्थलों पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। संभव है कि दो फरवरी तक प्रदर्शन स्थलों पर फिर से रिकॉर्ड संख्या में लोग एकत्र हो जाएं।’’

इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने के कदम को लेकर राजेवाल ने हरियाणा सरकार की निंदा की।

राजेवाल ने 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हुई हिंसा के संदर्भ में केंद्र पर आरोप लगाया कि वह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं’’ की तस्वीरें दिखाकर लोगों में भय पैदा कर रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ (किसानों के) जारी आंदोलन को बदनाम करने के लिए सरकार गलत प्रचार करके लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है।’’

राजेवाल ने दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन में शामिल हो रहे लोगों से प्रदर्शन में शांति बनाए रखने की अपील की तथा कहा कि वे गुस्से में नहीं आएं, अन्यथा इससे शांतिपूर्ण प्रदर्शन प्रभावित होगा। उन्होंने कहा, ‘‘आंदोलन को शांतिपूर्ण बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार प्रदर्शन स्थल पर किसानों को उकसा कर हिंसा भड़काने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम सतर्क हैं। हम किसी तरह की हिंसा में संलिप्त नहीं होंगे।’’

प्रदर्शनकारी किसानों तथा सरकार के प्रतिनिधियों के बीच अगली बैठक के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘वे हमें बुलाएंगे, तो हम जरूर जाएंगे।’’

दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के सिलसिले में करीब 20 किसान नेताओं को नोटिस भेजे हैं।

फॉरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम गणतंत्र दिवस पर किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान भड़की हिंसा के सिलसिले में साक्ष्य एकत्र करने के लिए शनिवार को लालकिला पहुंची।

दिल्ली यातायात पुलिस ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग 24 (दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे) पर आवागमन बंद कर दिया गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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