आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य पांच जनवरी को जेएनयू के छात्रों पर हमला करने वाले नकाबपोश समूह में शामिल थे। यह दावा एक समाचार चैनल ने एक स्टिंग करके किया है। जेएनयू में हुए उक्त हमले में 35 लोग घायल हुए थे।
समाचार चैनल ‘इंडिया टुडे’ द्वारा किये गए स्टिंग के कथित वीडियो में दिख रहे दो संदिग्धों ने कहा कि वे एबीवीपी के सदस्य हैं और विश्वविद्यालय में ‘बैचलर्स इन फ्रेंच’ की पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं एबीवीपी ने यह कहते हुए आरोपों को खारिज कर दिया कि कथित वीडियो में दिख रहे दोनों छात्र उसके सदस्य नहीं हैं।
स्टिंग वीडियो में छात्र यह स्वीकार करते हुए दिख रहे हैं कि वे विश्वविद्यालय के साबरमती छात्रावास के बाहर हुई हिंसा में शामिल थे। एक वीडियो में, एक और संदिग्ध यह स्वीकार करते हुए दिख रहा है कि एबीवीपी के 20 से अधिक सदस्य नकाबपोश समूह का हिस्सा थे।
वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले छात्र इकाई से संबद्ध एक छात्रा पर भी स्टिंग किया गया है, जिसमें पूर्व जेएनयू छात्रसंघ पदाधिकारी यह कहती हुई दिख रही है कि वह जेएनयू सेंटर फॉर इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स में सर्वर डाउन करने वाले समूह का हिस्सा थी।
इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है, लेकिन किसी भी छात्र को आरोपी के रूप में नामजद नहीं किया गया है।
जेएनयू हिंसा : एबीवीपी का दावा, उसके सदस्य नहीं थे हमले में शामिल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने शुक्रवार को दावा किया कि उसके कार्यकर्ता, जिनके नाम जेएनयू हमला मामले में पुलिस ने बतौर संदिग्ध लिए हैं, वे पांच जनवरी को कैम्पस में हुए हमले में शामिल नहीं थे। एबीवीपी ने साथ ही कहा कि वह इसके संबंध में पुलिस के साथ सबूत साझा करेगा।
इस घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को नौ संदिग्धों के चित्र जारी किए थे और साथ ही दावा किया था कि जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष उनमें से एक है। एबीवीपी के विकास पटेल और योगेन्द्र भारद्वाज नौ संदिग्धों में शामिल हैं। जांच में पुलिस के साथ पूरा सहयोग करने पर जोर देते हुए एबीवीपी ने कहा कि पटेल और भारद्वाज उसके सदस्य हैं लेकिन वे हिंसा में शामिल नहीं थे ।
संगठन ने कहा, ‘‘ पटेल और भारद्वाज घटना के बाद से डरे हुए हैं । वाम कार्यकर्ता उनके नाम लिखे पोस्टर चिपका रहे हैं और उनके लिए मुश्किल पैदा कर रहे हैं । वे हिंसा में शामिल नहीं थे।’’