दिल्ली: देश की राजधानी में केंद्र के प्रतिनिधि उपराज्यपाल वीके सक्सेना और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों की खिंचतान कुछ इस तरह से चल रही है कि आम आदमी पार्टी के विधायक अब दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के खिलाफ सीधे जंग में उतर गये हैं। जानकारी के मुताबिक विरोध के इसी क्रम में आप विधायक दिल्ली विधानसभा परिसर में पूरी रात रुकने की तैयारी कर रहे हैं।
खबरों के मुताबिक आप विधायक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अगुवाई में उपराज्यपाल वी के सक्सेना के खिलाफ केवीआईसी अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर प्रतिबंधित नोटों को बदलने के मामले में जांच की मांग करेंगे।
इस संबंध में आप विधायक दुर्गेश पाठक ने सोमवार को विधानसभा में आरोप लगाया था कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 2016 में अपने कर्मचारियों पर 1400 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदलने के लिए दबाव डाला था, जब वह खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष थे।
आप सूत्रों के अनुसार इस मामले में एलजी वीके सक्सेना को घेरने के लिए सभी आप विधायक आज की रात दिल्ली विधानसभा परिसर में ही रूकेंगे और केंद्र सरकार से उनके खिलाफ जांच की मांग करेंगे।
मालूम हो कि दिल्ली में उपराज्यपाल का पद संभालने के बाद वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार की लागू तत्कालीन शराब नीति को भ्रष्टाचार के कटघरे में खड़ा करते हुए सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी थी। उसके बाद सीबीआई ने एलजी के आदेश पर मामले में संज्ञान लेते हुए जांच शुरू की।
सीबीआई ने दिल्ली सरकार की नई शराब नीति के खिलाफ प्रारंभिक जांच में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत 11 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। जिसके बाद दिल्ली की आप सरकार केंद्र और एलजी पर हमलावर है। आप का कहना है कि केंद्र सरकार के इशारे पर दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना कथित तौर पर आप सरकार को अस्थिर करने के लिए काम कर रहे हैं।
वहीं इस मामले में केजरीवाल सरकार पर हमलावर भाजपा का आरोप है कि कोरोना जैसे भयंकर महामारी में दिल्ली में सैकड़ों जानें चली गई और अब केजरीवाल सरकार गली-गली में शराब की दुकान खोलकर इस दिल्ली के कल्चर को बर्बाद करना चाहती है।
इसके साथ ही दिल्ली भाजपा का यह भी आरोप है कि भ्रष्टाचार के नाम पर जनता को ठग कर सत्ता हासिल करने वाले अरविंद केजरीवाल ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर शराब माफियाओं के लिए नई शराब नीति का निर्माण किया ताकि इससे शराब माफियाओं को लाभ मिले और वो भ्रष्टाचार की कमाई कर सकें। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)