"वे पति-पत्नी आज भी जिंदा हैं, लेकिन कोई मानता नहीं"

By बलवंत तक्षक | Published: December 19, 2018 11:45 AM2018-12-19T11:45:31+5:302018-12-19T12:03:13+5:30

 यह मामला अमर सिंह और उनकी पत्नी शीला कौर से जुड़ा है. उनकी शादी 1982 में हुई थी. लेकिन अब लोग उन्हें मरा हुआ मानते हैं।

1984 anti-sikh riots real story- "Husband and wife are alive today, but nobody believes" | "वे पति-पत्नी आज भी जिंदा हैं, लेकिन कोई मानता नहीं"

यह एक 1994 सिख विरोधी दंगे की सांकेतिक तस्वीर है। यह पीड़िता अत्तार कौर हैं।

Highlights1984 के सिख दंगों में मुआवजे के लिए मृतकों की सूची में जुड़वा दिया था परिजनों ने उनका नामहैरानी इस बात को लेकर थी कि उनके परिजनों ने उन्हें मृत घोषित करवा दिया था. यहां तक कि जयपुर में रह रही उसकी छोटी बहन बलजीत कौर का नाम भी मृतकों की सूची में शामिल करा दिया था. 

उनका नाम 1984 के सिख दंगों के मृतकों की सूची में शामिल था, लेकिन वे 34 साल बाद आज भी जिंदा हैं. उनकी बदकिस्मती देखिये कि अपने जिंदा होना का प्रमाण वे खुद हैं, लेकिन कोई उन्हें जिंदा मानता नहीं. न केवल जिंदा होने का प्रमाण लेकर वे बरसों से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, बल्कि अब उन्हें अपनी जान का भी खतरा है. मुआवजा हासिल करने के लिए किसी और ने नहीं, उनके ही परिजनों ने यह साजिश रची थी.

 यह मामला अमर सिंह और उनकी पत्नी शीला कौर से जुड़ा है. उनकी शादी 1982 में हुई थी. दो साल बाद सिख दंगों के दौरान अमर सिंह अपनी पत्नी के साथ जोधपुर चला गया. तब उसकी बहन को बच्चा होने वाला था, इसलिए दोनों पति-पत्नी मदद के इरादे से दिल्ली में सुल्तानपुरी से जोधपुर पहुंच गए और डेढ़ महीने तक वहां रहे.

अमर सिंह के माता-पिता तब हरियाणा में रेवाड़ी में रहते थे. सिख दंगों के बाद अमर सिंह ने केश कटवा लिए और पत्नी को साड़ी पहना कर ट्रेन से रेवाड़ी आ गए. दंगों के बाद जब पति-पत्नी दिल्ली आए तो सुल्तानपुरी के लोग उन्हें जिंदा देख कर हैरान रह गए.

हैरानी इस बात को लेकर थी कि उनके परिजनों ने उन्हें मृत घोषित करवा दिया था. यहां तक कि जयपुर में रह रही उसकी छोटी बहन बलजीत कौर का नाम भी मृतकों की सूची में शामिल करा दिया था.

परिजनों पर उनका आरोप है कि मुआवजा राशि हड़पने के लिए उन्हें मृत घोषित करवाया गया. अमर सिंह इस समय 73 साल के हैं. उन्होंने बताया कि वह अपने परिवार के साथ आज भी रेवाड़ी में किराये के मकान में रहते हैं और मजदूरी कर परिवार का गुजारा चला रहे हैं.

सीबीआई से शिकायत करने के बाद भी नहीं हुई कोई सुनवाई

अमर सिंह ने अपने साथ हुई नाइंसाफी की शिकायत सीबीआई और रेवाड़ी पुलिस से भी की, लेकिन कहीं उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. मुआवजे के तौर पर उनकी मौत के बदले मिले लाखों रुपए डाकार जाने वाले वही लोग सरकार की तरफ फ्लैटों में आज उनके वही परिजन रह रहे हैं, जिन्होंने उन्हें जिंदा होते हुए भी की सूची में शामिल करवा दिया था.

अमर सिंह का कहना है कि उसके परिवार को जान का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि झूठ का राज खुलने से वे लोग इस समय उनकी जान के दुश्मन बन गए हैं.

Web Title: 1984 anti-sikh riots real story- "Husband and wife are alive today, but nobody believes"

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